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RPF का एक्शन! चलती ट्रेनों में तस्करों की तोड़ी कमर, दुर्लभ कछुए और मेंढ़क बरामद - SMUGGLING OF WILDLIFE IN TRAINS

आरपीएफ, जीआरपी कर्मियों के साथ मिलकर अक्सर इन वन्यजीव तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करती है और उन्हें वन्यजीव विभाग को सौंप देती है.

भारतीय रेल
भारतीय रेल (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 24, 2025 at 4:24 PM IST

5 Min Read

नई दिल्ली: देश के सामने जंगली जानवरों और उनके शरीर के अंगों की तस्करी एक गंभीर मुद्दा बन चुका है. वन्यजीव प्रजातियों की तस्करी करने के लिए तस्कर ट्रेनों का सहारा ले रहे हैं. इन समस्याओं से निपटने के लिए रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) जवानों के साथ मिलकर तस्करी के खिलाफ कार्रवाई भी की है. इस दौरान उन्होंने वन्यजीवों को तस्करों की चंगुल से आजाद करा के वन्यजीव विभाग को सौंप दिए.

जंगल से जानवरों की अलग-अलग प्रजातियों और उनके अंगों की तस्करी ने रेलवे और अलग-अलग इलाकों के वन्यजीव विभाग के लिए एक गंभीर मुद्दा बन चुका है. इस विषय पर दक्षिण मध्य रेलवे के आरपीएफ के आईजी सह प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त अरोमा सिंह ठाकुर ने ईटीवी भारत को बताया कि, आरपीएफ के जवान इन तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं और वन्यजीव प्रजातियों या उनके शरीर के अंगों को जब्त करते हैं. उसके बाद अपराधियों को आगे की कार्रवाई के लिए वन्यजीव विभाग को सौंप दिया जाता है.

अरोमा सिंह ठाकुर ने आगे बताया कि, ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों पर शक होने की स्थिति में आरपीएफ के जवान उनके सामान को चेक करते हैं. उन्होंने कहा कि, जांच के दौरान कई बार सुरक्षा कर्मचारियों ने यात्रियों से उन वन्यजीव प्रजातियों को बचाया है जो लुप्तप्राय और संरक्षित जानवर होते हैं. तस्कर पुलिस से बचने के लिए जानवरों को अपने बैग में छिपा कर ट्रेनों में यात्रा करते हैं.

आरपीएफ के मुताबिक, हावड़ा में चंबल एक्सप्रेस ट्रेन से आरपीएफ ने वन्यजीव तस्करों को पकड़ा. उनके बैग को जब चेक किया गया तो उसमें से 5 भारतीय सॉफ्टशेल कछुए बरामद किए गए. आगे की कार्रवाई प्रभागीय वन अधिकारी कर रहे हैं.

इस मुद्दे पर पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि, इस महीने के अंत में सिलचर पोस्ट के आरपीएफ कर्मियों ने रेलवे स्टेशन पर चलाए गए एक विशेष अभियान के दौरान प्लेटफॉर्म के पास लावारिस पड़े तीन बैगों से 450 जीवित मेंढक बरामद किए और उन्हें बचाया.

टीम ने बचाए गए मेंढकों को उचित पुनर्वास और आगे की कार्रवाई के लिए प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ), बराक घाटी वन्यजीव प्रभाग को सौंप दिया. रेलवे अधिकारी ने बताया कि, यात्रियों के साथ-साथ वन्यजीवों की सुरक्षा और पर्यावरण को बचाने के लिए आरपीएफ निरंतर सतर्कता और पर्यावरण अधिकारियों के साथ सहयोग के माध्यम से सुरक्षा सुनिश्चित करने और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (आईएंडपी) दिलीप कुमार ने हाल ही में बताया कि, आरपीएफ के जवान ट्रेन या स्टेशन पर हमेशा संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखते हैं. अगर उन्हें किसी यात्री या उसके सामान पर संदेह होता है तो सुरक्षाकर्मी उसकी जांच करते हैं. हाल ही में सुरक्षाकर्मियों को जांच के दौरान ट्रेन में बैग से हॉर्नबिल पक्षी के अंग पाए गए.

इसी तरह,पिछले सप्ताह ऑपरेशन WILEP के तहत सुरक्षाकर्मियों ने वाराणसी रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन से 60 कछुओं को बचाया. बचाए गए कछुओं को सुरक्षित पुनर्वास के लिए वन विभाग को सौंप दिया गया. एक अन्य मामले में,आरपीएफ कोलकाता की टीम ने वन्यजीव तस्करी के प्रयास को विफल कर दिया और जम्मू तवी एक्सप्रेस से 28 जीवित कछुओं को बचाया.

इस महीने की शुरुआत में नियमित जांच के तहत एक संयुक्त अभियान में,दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन के आरपीएफ और जीआरपी ने लावारिस बैग से 72 जीवित कछुए बरामद किए. आरपीएफ के अनुसार वन्यजीव तस्करी से जुड़े कई अन्य मामले भी सामने आए हैं.

स्पेशल ऑपरेशन
आरपीएफ और जीआरपी अक्सर वन्यजीव तस्करों के खिलाफ विशेष अभियान चलाते हैं. ऐसा करके आरपीएफ जंगली जानवरों की तस्करी पर लगाम लगाने की काफी हद तक कोशिश करते हैं. रेलवे पुलिस लुप्तप्राय संरक्षित जानवरों की रक्षा करने के लिए तत्पर हैं.

विशिष्ट इनपुट
कई बार, सुरक्षाकर्मी रेलवे परिसर या ट्रेन में इन लोगों के खिलाफ उनके स्रोतों, सह-यात्रियों, विक्रेताओं, कुलियों और अन्य कर्मचारियों से प्राप्त विशिष्ट इनपुट के आधार पर कार्रवाई करते हैं.

संदिग्ध गतिविधियां
सुरक्षा कर्मचारियों ने देखा है कि, बैग और भारी सामान की जांच के दौरान कुछ लोग अक्सर जांच प्रक्रिया से बचने की कोशिश करते हैं या संदिग्ध व्यवहार करते हैं. अप्राकृतिक गतिविधियाँंसुरक्षा कर्मियों को उन्हें पकड़ने में मदद करती हैं.

लगेज स्कैनर और ऑपरेशन WILEP
कभी-कभी स्कैनिंग मशीनें बैग स्कैनिंग के दौरान आपत्तिजनक वस्तुओं या वन्यजीव भागों का पता लगाने में मदद करती हैं. आरपीएफ अक्सर वन्यजीव प्रजातियों या भागों की तस्करी का पता लगाने और रोकने के लिए ऑपरेशन WILEP के तहत विशेष जांच चलाती है.

नई दिल्ली: देश के सामने जंगली जानवरों और उनके शरीर के अंगों की तस्करी एक गंभीर मुद्दा बन चुका है. वन्यजीव प्रजातियों की तस्करी करने के लिए तस्कर ट्रेनों का सहारा ले रहे हैं. इन समस्याओं से निपटने के लिए रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) जवानों के साथ मिलकर तस्करी के खिलाफ कार्रवाई भी की है. इस दौरान उन्होंने वन्यजीवों को तस्करों की चंगुल से आजाद करा के वन्यजीव विभाग को सौंप दिए.

जंगल से जानवरों की अलग-अलग प्रजातियों और उनके अंगों की तस्करी ने रेलवे और अलग-अलग इलाकों के वन्यजीव विभाग के लिए एक गंभीर मुद्दा बन चुका है. इस विषय पर दक्षिण मध्य रेलवे के आरपीएफ के आईजी सह प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त अरोमा सिंह ठाकुर ने ईटीवी भारत को बताया कि, आरपीएफ के जवान इन तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं और वन्यजीव प्रजातियों या उनके शरीर के अंगों को जब्त करते हैं. उसके बाद अपराधियों को आगे की कार्रवाई के लिए वन्यजीव विभाग को सौंप दिया जाता है.

अरोमा सिंह ठाकुर ने आगे बताया कि, ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों पर शक होने की स्थिति में आरपीएफ के जवान उनके सामान को चेक करते हैं. उन्होंने कहा कि, जांच के दौरान कई बार सुरक्षा कर्मचारियों ने यात्रियों से उन वन्यजीव प्रजातियों को बचाया है जो लुप्तप्राय और संरक्षित जानवर होते हैं. तस्कर पुलिस से बचने के लिए जानवरों को अपने बैग में छिपा कर ट्रेनों में यात्रा करते हैं.

आरपीएफ के मुताबिक, हावड़ा में चंबल एक्सप्रेस ट्रेन से आरपीएफ ने वन्यजीव तस्करों को पकड़ा. उनके बैग को जब चेक किया गया तो उसमें से 5 भारतीय सॉफ्टशेल कछुए बरामद किए गए. आगे की कार्रवाई प्रभागीय वन अधिकारी कर रहे हैं.

इस मुद्दे पर पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि, इस महीने के अंत में सिलचर पोस्ट के आरपीएफ कर्मियों ने रेलवे स्टेशन पर चलाए गए एक विशेष अभियान के दौरान प्लेटफॉर्म के पास लावारिस पड़े तीन बैगों से 450 जीवित मेंढक बरामद किए और उन्हें बचाया.

टीम ने बचाए गए मेंढकों को उचित पुनर्वास और आगे की कार्रवाई के लिए प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ), बराक घाटी वन्यजीव प्रभाग को सौंप दिया. रेलवे अधिकारी ने बताया कि, यात्रियों के साथ-साथ वन्यजीवों की सुरक्षा और पर्यावरण को बचाने के लिए आरपीएफ निरंतर सतर्कता और पर्यावरण अधिकारियों के साथ सहयोग के माध्यम से सुरक्षा सुनिश्चित करने और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (आईएंडपी) दिलीप कुमार ने हाल ही में बताया कि, आरपीएफ के जवान ट्रेन या स्टेशन पर हमेशा संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखते हैं. अगर उन्हें किसी यात्री या उसके सामान पर संदेह होता है तो सुरक्षाकर्मी उसकी जांच करते हैं. हाल ही में सुरक्षाकर्मियों को जांच के दौरान ट्रेन में बैग से हॉर्नबिल पक्षी के अंग पाए गए.

इसी तरह,पिछले सप्ताह ऑपरेशन WILEP के तहत सुरक्षाकर्मियों ने वाराणसी रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन से 60 कछुओं को बचाया. बचाए गए कछुओं को सुरक्षित पुनर्वास के लिए वन विभाग को सौंप दिया गया. एक अन्य मामले में,आरपीएफ कोलकाता की टीम ने वन्यजीव तस्करी के प्रयास को विफल कर दिया और जम्मू तवी एक्सप्रेस से 28 जीवित कछुओं को बचाया.

इस महीने की शुरुआत में नियमित जांच के तहत एक संयुक्त अभियान में,दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन के आरपीएफ और जीआरपी ने लावारिस बैग से 72 जीवित कछुए बरामद किए. आरपीएफ के अनुसार वन्यजीव तस्करी से जुड़े कई अन्य मामले भी सामने आए हैं.

स्पेशल ऑपरेशन
आरपीएफ और जीआरपी अक्सर वन्यजीव तस्करों के खिलाफ विशेष अभियान चलाते हैं. ऐसा करके आरपीएफ जंगली जानवरों की तस्करी पर लगाम लगाने की काफी हद तक कोशिश करते हैं. रेलवे पुलिस लुप्तप्राय संरक्षित जानवरों की रक्षा करने के लिए तत्पर हैं.

विशिष्ट इनपुट
कई बार, सुरक्षाकर्मी रेलवे परिसर या ट्रेन में इन लोगों के खिलाफ उनके स्रोतों, सह-यात्रियों, विक्रेताओं, कुलियों और अन्य कर्मचारियों से प्राप्त विशिष्ट इनपुट के आधार पर कार्रवाई करते हैं.

संदिग्ध गतिविधियां
सुरक्षा कर्मचारियों ने देखा है कि, बैग और भारी सामान की जांच के दौरान कुछ लोग अक्सर जांच प्रक्रिया से बचने की कोशिश करते हैं या संदिग्ध व्यवहार करते हैं. अप्राकृतिक गतिविधियाँंसुरक्षा कर्मियों को उन्हें पकड़ने में मदद करती हैं.

लगेज स्कैनर और ऑपरेशन WILEP
कभी-कभी स्कैनिंग मशीनें बैग स्कैनिंग के दौरान आपत्तिजनक वस्तुओं या वन्यजीव भागों का पता लगाने में मदद करती हैं. आरपीएफ अक्सर वन्यजीव प्रजातियों या भागों की तस्करी का पता लगाने और रोकने के लिए ऑपरेशन WILEP के तहत विशेष जांच चलाती है.

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