नई दिल्ली: ट्रेनों की सुरक्षित आवाजाही का समर्थन करने के लिए लूप लाइनों को मेनलाइन स्टैंडर्ड के बराबर लाने के उद्देश्य से, रेलवे ने यात्री रनिंग लाइनों को अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए हैं. रेलवे का यह कदम पुरानी पटरियों के कारण संभावित सुरक्षा खतरों से बचाएगी. साथ ही रेल नेटवर्क में परिचालन वातावरण को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी.
अलग-अलग रेलवे जोन पटरियों, सिग्नलिंग और ओवरहेड उपकरणों के रखरखाव का काम कर रहे हैं. पश्चिमी रेलवे के मुताबिक, हाल ही में ट्रैक और सिग्नलिंग अपग्रेडेशन का काम किया गया है, जिससे ट्रेनों की आवाजाही को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी.
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि, सुरक्षा बढ़ाने और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए, दक्षिण पूर्व रेलवे ने राउरकेला और बंडामुंडा के बीच महत्वपूर्ण सुरक्षा-संबंधी आधुनिकीकरण कार्य शुरू किया है.
आवश्यक कार्य में अलग-अलग खंडों पर मल्टी-ट्रैकिंग लाइनों के चालू होने के हिस्से के रूप में ट्रैक लिंकिंग और नॉन-इंटरलॉकिंग ऑपरेशन शामिल हैं. ईस्ट कोस्ट रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि इन अपग्रेड का उद्देश्य ट्रेन संचालन में सुधार लाना, लंबी अवधि में सुरक्षित और अधिक कुशल रेलवे सेवाएं सुनिश्चित करना है.
इस मुद्दे पर बात करते हुए, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा ने कहा कि, रेलवे सुरक्षा और परिचालन दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, रेलवे ने सभी पांच डिवीजनों- कटिहार, अलीपुरद्वार, रंगिया, लुमडिंग और तिनसुकिया में यात्री रनिंग लाइनों को अपग्रेड करने के लिए एक व्यापक पहल की है.
इस मिशन-मोड पहल का उद्देश्य ट्रेनों की सुरक्षित और विश्वसनीय आवाजाही का समर्थन करने के लिए लूप लाइनों को मेनलाइन मानकों के बराबर लाना है.
लूप लाइनों पर बढ़ते ट्रैफिक और पुराने ट्रैक इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े संभावित सुरक्षा खतरों के कारण यह कदम उठाया गया. महत्वपूर्ण स्थानों को प्राथमिकता देकर और आधुनिक ट्रैक रखरखाव प्रथाओं को अपनाकर, रेलवे अप्रत्याशित जोखिमों को कम करने और समग्र परिचालन वातावरण में सुधार करने के लिए काम कर रहा है.
शर्मा ने आगे बताया कि, अपग्रेडेशन के दायरे में गिट्टी को मजबूत करना, ट्रैक ज्यामिति में सुधार करना, ड्रेनेज सिस्टम को बढ़ाना और नियमित अंतराल पर ट्रैक मापदंडों का आकलन करने के लिए एडवांस प्रोफाइलिंग तकनीकों को तैनात करना शामिल है.
रेलवे के मुताबिक, स्थायी गति प्रतिबंध को हटाने से कुल यात्रा में 26.10 मिनट की बचत हुई है.
इसके अलावा, बेहतर ट्रैक एसेट की कुशलतापूर्वक निगरानी और प्रबंधन के लिए अपडेट किए गए डिजिटल रजिस्टर और एक यूनिफाइड एसेट मैनेजमेंट सिस्टम को लागू किया जा रहा है.
इस पहल से पहले से ही महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त हुए हैं, जिसमें समय की पाबंदी में सुधार, रखरखाव के लिए डाउनटाइम में कमी और यात्रियों की सुरक्षा में वृद्धि शामिल है.
मॉडर्न ट्रैक
रेलवे के मुताबिक, आधुनिक ट्रैक कॉम्पोनेंट्स में 60 किग्रा, 90 अल्टीमेट टेन्साइल स्ट्रेंथ रेल, प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट स्लीपर नॉर्मल/वाइड बेस स्लीपर शामिल हैं, जिनमें आधुनिक इलास्टिक फास्टनिंग है.
फील्ड-वेल्डिंग
रेलवे के मुताबिक, वेल्ड-जॉइंट को कम करने के लिए रेल नवीनीकरण के लिए 130 मीटर/260 मीटर लंबे रेल पैनल का उपयोग किया जाता है.
मैकेनाइजेशन इन ट्रैक रिन्यूअल
रेलवे के अनुसार ट्रैक रिलेइंग ट्रेन, पॉइंट्स और क्रॉसिंग चेंजिंग मशीन और ट्रैक बिछाने वाले उपकरण का उपयोग करके रिप्लेसमेंट किया जाएगा.
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