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डेटा लॉगर को कंट्रोल ऑफिस एप्लीकेशन से लिंक कर रहा रेलवे, मैनुअल गलतियां होंगी कम - DATA LOGGER

अपग्रेड सिस्टम को CRIS से जोड़ने से यात्री नेशनल ट्रेन इंक्वायरी सिस्टम के माध्यम से ट्रेन का स्टेट्स और उसकी स्पीड पर नजर रख सकेंगे.

Railway
डेटा लॉगर को कंट्रोल ऑफिस एप्लीकेशन से लिंक कर रहा रेलवे (सांकेतिक तस्वीर Getty Images)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 14, 2025 at 3:51 PM IST

4 Min Read

नई दिल्ली: ट्रेनों की सुचारू और सटीक आवाजाही बनाए रखने के लिए रेलवे ट्रेन ऑटोमेटिक सिस्टम डेटा लॉगर को सेंट्रल फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम (CRIS) के कंट्रोल ऑफिस एप्लीकेशन (COA) से जोड़कर सिस्टम को डिजिटल कर रहा है. इससे मैनुअल गलतियां कम होंगी और सिस्टम की स्पीड बढ़ाने में मदद मिलेगी.

इस सिस्टम को CRIS के COA से जोड़ने के प्रभावों के बारे में बताते हुए पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज सिंह ने ईटीवी भारत को बताया, "विभिन्न सेक्शनों पर डेटा लॉगर को CRIS के COA से जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है. इस सिस्टम से रेलवे के साथ-साथ यात्रियों को भी अपने रियल-टाइम को ट्रैक करने और मैनुअल गलतियों को कम करने में काफी मदद मिलेगी."

'स्टेशनों को डिजिटल बनाया जा रहा'
सिस्टम के फायदे के बारे में विस्तार से बताते हुए सिंह ने कहा, "स्टेशनों को डिजिटल बनाया जा रहा है. पूरा सिस्टम बहुत तेज है और तेजी से काम करता है, जिससे यार्ड में ट्रेनों की आवाजाही तेज होती है, इससे मैनुअल गलतियां कम होती हैं. पहले पैनल बड़े आकार के होते थे, लेकिन अब दो एलईडी स्क्रीन हैं, एक काम के लिए और दूसरी स्टैंडबाय के लिए. इससे बड़े पैनल लगाने के लिए जगह बचेगी और जोड़-घटाव आसानी से किया जा सकेगा."

'रेलवे के लिए फायदेमंद'
पूर्वी रेलवे के CPRO दीप्तिमय दत्ता ने ईटीवी भारत को बताया, "डेटा लॉगर सिस्टम रेलवे के लिए फायदेमंद है, क्योंकि यह सिस्टम को और बेहतर बनाने और घटनाओं का विश्लेषण करने के लिए आगे के विश्लेषण के लिए सभी रिकॉर्ड किए गए डेटा को रखता है. कई डिवीजनों में इस सिस्टम को अपग्रेड किया जा रहा है. "

दत्ता ने कहा, "यह डेटा लॉगर सिस्टम एक ब्लैक बॉक्स की तरह काम करता है, जिसमें आगे के विश्लेषण के लिए सभी जानकारी सेव हो जाती है. किसी भी अप्रिय घटना के बाद रेलवे डेटा लॉगर से रिकॉर्ड प्राप्त कर सकता है और उनका विश्लेषण करके यह जांच सकता है कि उस समय क्या हो रहा था."

सिस्टम के अपग्रेडेशन पर बात करते हुए एनएफ रेलवे के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने कहा, "एनएफआर ने रेलवे स्टेशनों पर स्थापित डेटा लॉगर्स को क्रिस के सीओए के साथ सफलतापूर्वक जोड़ा है. यह इंटिग्रेशन ट्रेन के अराइवल और डिपार्चर डेटा को कैप्चर और ट्रांसमिशन को स्वचालित करता है, जो ट्रेन संचालन में वास्तविक समय की निगरानी और एफिशिएंसी के एक नए युग को चिह्नित करता है."

शर्मा ने कहा, "इस क्षेत्र में सभी ओर्गिनेटिंग, डेस्टिनेशन, डिवीजनल इंटरचेंज और जोनल इंटरचेंज स्टेशनों पर कार्यान्वयन किया गया है. प्रमुख परिचालन स्टेशनों का पूरा नेटवर्क अब इस एडवांस सिस्टम से लैस है."

डेटा लॉगर क्या है?
विभिन्न सोर्स से डेटा एकत्र करना और उसे सेव करना डेटा लॉगिंग कहलाता है. इसमें इस्तेमाल होने वाले डिवाइस को डेटा लॉगर कहते हैं. डेटा लॉगर एक कंप्यूटर बेस्ड सिस्टम है, जो रिले के बारे में जानकारी लॉग करती है, जो डेटा लॉगर से जुड़ी होती है. यह रेलवे स्टेशनों की सिग्नलिंग सिस्टम में सभी मूवमेंट और एक्टिविटीज की निगरानी और रिकॉर्ड रखने में मदद करता है.

सिग्नलिंग डेटा
यह सिस्टम स्टेशनों पर ट्रेन की मूवमेंट का ऑटोमैटिकली पता लगाने के लिए सिग्नलिंग डेटा का लाभ उठाता है और रियल टाइम में COA को अपडेट करता है. मैन्युअल डेटा एंट्री को स्वचालित डेटा कैप्चर से बदलकर, रेलवे न केवल ट्रेन चलने की जानकारी की सटीकता को बढ़ाता है बल्कि मानवीय हस्तक्षेप पर निर्भरता को भी कम करता है, जिससे डेटा रिपोर्टिंग में त्रुटियां और देरी कम होती है.

ट्रेन मूवमेंट रिकॉर्ड की सटीकता
यह तकनीकी अपग्रेड ट्रेन मूवमेंट रिकॉर्ड की बेहतर सटीकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे रेलवे नियंत्रकों के लिए तेज और अधिक एकरूप निर्णय लेना संभव हो सकेगा.

पैसेंजर इंफोर्मेशन सिस्टम
रेलवे की पहल पैसेंजर इंफोर्मेशन सिस्टम में सुधार करने और रेलवे संचालन की समग्र दक्षता में योगदान देने के लिए तैयार है. यह प्रणाली यात्रियों को राष्ट्रीय ट्रेन पूछताछ प्रणाली (NTES) द्वारा ट्रेनों के बारे में वास्तविक समय की जानकारी प्राप्त करने में मदद करती है.

यह भी पढ़ें- मेहुल चोकसी का प्रत्यर्पण होगा? जानें क्या कहती है भारत-बेल्जियम संधि?

नई दिल्ली: ट्रेनों की सुचारू और सटीक आवाजाही बनाए रखने के लिए रेलवे ट्रेन ऑटोमेटिक सिस्टम डेटा लॉगर को सेंट्रल फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम (CRIS) के कंट्रोल ऑफिस एप्लीकेशन (COA) से जोड़कर सिस्टम को डिजिटल कर रहा है. इससे मैनुअल गलतियां कम होंगी और सिस्टम की स्पीड बढ़ाने में मदद मिलेगी.

इस सिस्टम को CRIS के COA से जोड़ने के प्रभावों के बारे में बताते हुए पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज सिंह ने ईटीवी भारत को बताया, "विभिन्न सेक्शनों पर डेटा लॉगर को CRIS के COA से जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है. इस सिस्टम से रेलवे के साथ-साथ यात्रियों को भी अपने रियल-टाइम को ट्रैक करने और मैनुअल गलतियों को कम करने में काफी मदद मिलेगी."

'स्टेशनों को डिजिटल बनाया जा रहा'
सिस्टम के फायदे के बारे में विस्तार से बताते हुए सिंह ने कहा, "स्टेशनों को डिजिटल बनाया जा रहा है. पूरा सिस्टम बहुत तेज है और तेजी से काम करता है, जिससे यार्ड में ट्रेनों की आवाजाही तेज होती है, इससे मैनुअल गलतियां कम होती हैं. पहले पैनल बड़े आकार के होते थे, लेकिन अब दो एलईडी स्क्रीन हैं, एक काम के लिए और दूसरी स्टैंडबाय के लिए. इससे बड़े पैनल लगाने के लिए जगह बचेगी और जोड़-घटाव आसानी से किया जा सकेगा."

'रेलवे के लिए फायदेमंद'
पूर्वी रेलवे के CPRO दीप्तिमय दत्ता ने ईटीवी भारत को बताया, "डेटा लॉगर सिस्टम रेलवे के लिए फायदेमंद है, क्योंकि यह सिस्टम को और बेहतर बनाने और घटनाओं का विश्लेषण करने के लिए आगे के विश्लेषण के लिए सभी रिकॉर्ड किए गए डेटा को रखता है. कई डिवीजनों में इस सिस्टम को अपग्रेड किया जा रहा है. "

दत्ता ने कहा, "यह डेटा लॉगर सिस्टम एक ब्लैक बॉक्स की तरह काम करता है, जिसमें आगे के विश्लेषण के लिए सभी जानकारी सेव हो जाती है. किसी भी अप्रिय घटना के बाद रेलवे डेटा लॉगर से रिकॉर्ड प्राप्त कर सकता है और उनका विश्लेषण करके यह जांच सकता है कि उस समय क्या हो रहा था."

सिस्टम के अपग्रेडेशन पर बात करते हुए एनएफ रेलवे के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने कहा, "एनएफआर ने रेलवे स्टेशनों पर स्थापित डेटा लॉगर्स को क्रिस के सीओए के साथ सफलतापूर्वक जोड़ा है. यह इंटिग्रेशन ट्रेन के अराइवल और डिपार्चर डेटा को कैप्चर और ट्रांसमिशन को स्वचालित करता है, जो ट्रेन संचालन में वास्तविक समय की निगरानी और एफिशिएंसी के एक नए युग को चिह्नित करता है."

शर्मा ने कहा, "इस क्षेत्र में सभी ओर्गिनेटिंग, डेस्टिनेशन, डिवीजनल इंटरचेंज और जोनल इंटरचेंज स्टेशनों पर कार्यान्वयन किया गया है. प्रमुख परिचालन स्टेशनों का पूरा नेटवर्क अब इस एडवांस सिस्टम से लैस है."

डेटा लॉगर क्या है?
विभिन्न सोर्स से डेटा एकत्र करना और उसे सेव करना डेटा लॉगिंग कहलाता है. इसमें इस्तेमाल होने वाले डिवाइस को डेटा लॉगर कहते हैं. डेटा लॉगर एक कंप्यूटर बेस्ड सिस्टम है, जो रिले के बारे में जानकारी लॉग करती है, जो डेटा लॉगर से जुड़ी होती है. यह रेलवे स्टेशनों की सिग्नलिंग सिस्टम में सभी मूवमेंट और एक्टिविटीज की निगरानी और रिकॉर्ड रखने में मदद करता है.

सिग्नलिंग डेटा
यह सिस्टम स्टेशनों पर ट्रेन की मूवमेंट का ऑटोमैटिकली पता लगाने के लिए सिग्नलिंग डेटा का लाभ उठाता है और रियल टाइम में COA को अपडेट करता है. मैन्युअल डेटा एंट्री को स्वचालित डेटा कैप्चर से बदलकर, रेलवे न केवल ट्रेन चलने की जानकारी की सटीकता को बढ़ाता है बल्कि मानवीय हस्तक्षेप पर निर्भरता को भी कम करता है, जिससे डेटा रिपोर्टिंग में त्रुटियां और देरी कम होती है.

ट्रेन मूवमेंट रिकॉर्ड की सटीकता
यह तकनीकी अपग्रेड ट्रेन मूवमेंट रिकॉर्ड की बेहतर सटीकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे रेलवे नियंत्रकों के लिए तेज और अधिक एकरूप निर्णय लेना संभव हो सकेगा.

पैसेंजर इंफोर्मेशन सिस्टम
रेलवे की पहल पैसेंजर इंफोर्मेशन सिस्टम में सुधार करने और रेलवे संचालन की समग्र दक्षता में योगदान देने के लिए तैयार है. यह प्रणाली यात्रियों को राष्ट्रीय ट्रेन पूछताछ प्रणाली (NTES) द्वारा ट्रेनों के बारे में वास्तविक समय की जानकारी प्राप्त करने में मदद करती है.

यह भी पढ़ें- मेहुल चोकसी का प्रत्यर्पण होगा? जानें क्या कहती है भारत-बेल्जियम संधि?

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