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'देश के हर कोने में 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी ट्रेनें', रेलवे ने दिया अपडेट - INCREASE TRAIN SPEED

देश के कितने हिस्सों में 160 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चल सकती है ट्रेनें. क्या है स्टेटस, रेलवे ने दी जानकारी.

High speed train, Concept Photo
हाई स्पीड ट्रेन, कॉन्सेप्ट फोटो (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 11, 2025 at 6:20 PM IST

Updated : April 11, 2025 at 6:31 PM IST

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नई दिल्ली : क्या रेलवे पूरे देश में 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ा सकती है ? क्या पूरे देश में रेलवे ट्रैक इस स्पीड को सपोर्ट कर सकता है. रेलवे ने इसका जवाब दिया है. उनका कहना है कि वे इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि इस समय कुछ ट्रैक ऐसे हैं, जो 160-180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली ट्रेनों को सपोर्ट कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर ट्रैक इस स्पीड को सह नहीं सकते हैं, इसलिए उनकी मरम्मत करवाई जा रही है, ताकि देशभर में सभी ट्रैकों पर ट्रेनों की स्पीड बढ़ाई जा सके.

नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया, "इस समय कुछ रेल ट्रैक ऐसे हैं, जहां पर स्पीड को घटाया जाता है और उसके बाद ट्रेन की स्पीड बढ़ाई जाती है. इस क्रम में कम-के-कम छह मिनट का अतिरिक्त समय खर्च होता है."

उन्होंने कहा कि जिन सेक्शंस पर ट्रेन की स्पीड बढ़ाई जानी है, वहां पर कई काम होने हैं, जैसे- क्रॉसिंग गेट का हटाया जाना, बेहतर ट्रैक का बिछाया जाना वगैरह-वगैरह.

रेलवे द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, ट्रैक इन्फ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण के लिए बहुत सारे काम किए जाने हैं. हाई स्पीड ऑपरेशंस के लिए पटरियों को मजबूत करना जरूरी है ताकि उसकी ड्यूरेबिलिटी बनी रहे. सटीक संचार और सुरक्षित ट्रेन परिचालन के लिए उन्नत सिग्नलिंग प्रणालियों का कार्यान्वयन तथा सुरक्षा उपायों की पहल करना शामिल है.

रेलवे के अनुसार जब भी हाई स्पीड ट्रेन गुजरती है, तो ट्रैक पर पशु और मानव, दोनों का हस्तक्षेप न हो, सुरक्षा के हिसाब से इसे भी सुनिश्चित किया जाना है. कुछ जगहों पर चारदीवारी का भी निर्माण करना शामिल है, कुछ जगहों पर बाड़ लगाई जा सकती है, पटरियों की संख्या भी बढ़ाई जानी है.

नॉर्थ सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने ईटीवी भारत को बताया, "इस समय आगरा और दिल्ली के बीच 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलती है. जिस सेक्शन में ट्रेन की स्पीड 130 से 160 किमी प्रति घंटा बढ़ाई जाती है, वहां पर ट्रैक, सिग्नलिंग और कवच पर काम जारी है. एक बार जब इस पर काम पूरा जाएगा, ट्रेन की स्पीड बढ़ा दी जाएगी."

रेल मंत्रालय के अनुसार 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अधिक गति को सपोर्ट करने के लिए रेल नेटवर्क में 23,000 किमी से अधिक ट्रैक को अपग्रेड किया गया है. इससे देश भर में लाखों यात्रियों के लिए यात्रा का समय कम करने में मदद मिलेगी. रेलवे नेटवर्क का लगभग पांचवां हिस्सा हाई स्पीड के लिए तैयार है. ऐसा आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम और स्ट्रैटेजिक फेंसिंग की वजह से हुआ है. रेलवे ने हाई स्पीड वाले ट्रैक सेक्शन पर प्राथमिकता के साथ काम किया है. इससे दुर्घटनाओं का जोखिम कम रहेगा. पिछले साल की तुलना में पीक डिमांड की अवधि के दौरान विशेष ट्रेन सेवाओं में 54 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इसकी संख्या 57,169 तक पहुंच गई.

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में संसद में बताया था कि देश में कुल 136 वंदे भारत ट्रेनें उपलब्ध हैं, जिनमें चेयर कार्स की सुविधा है. वंदे भारत, गतिमान और शताब्दी एक्सप्रेस की स्पीड बहुत सारे फैक्टर्स पर निर्भर करती है, जैसे- उस सेक्शन में अधिकतम कितने स्पीड की इजाजत है, रोलिंग स्टॉक/लोको की गति क्षमता, रूट की उपलब्धता, रखरखाव कार्यों के कारण स्पीड रेस्ट्रिक्शन, सिग्नलिंग प्रणाली और स्टॉपेज की संख्या वगैरह. वंदे भारत ट्रेनों को उन रूटों पर चलाया गया है, जिनमें ये सभी शर्तें पूरी होती हैं.

दिल्ली से चंडीगढ़ जा रहे एक यात्री सौरभ कुमार ने ईटीवी भारत को बताया, "एक यात्री के तौर पर मैं हमेशा रेलवे से गति और समय की पाबंदी की उम्मीद करता हूं. जब मुझे भारत में सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों के बारे में पता चला, तो मैं बहुत खुश हुआ, लेकिन ज्यादातर ट्रेनें 130 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की स्पीड से नहीं चलती हैं, फिर हाई स्पीड रोलिंग स्टॉक बनाने का क्या फायदा है. अधिकारियों को पहले बुनियादी ढांचा विकसित करना चाहिए, फिर ऐसी हाई स्पीड ट्रेनें शुरू करनी चाहिए."

उत्तर प्रदेश निवासी कविता शर्मा ने ईटीवी भारत से कहा, "हाई स्पीड ट्रेनों से पहले हमें बुनियादी सुविधाओं के बिना इन ट्रेनों के लिए उचित बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है. हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि ये ट्रेनें 180 किमी प्रति घंटे की गति से चलेंगी? स्टेशनों को कम करना, इन ट्रेनों को प्राथमिकता के आधार पर पार करना और कम प्रतीक्षा समय से लंबी अवधि में हाई स्पीड के सपने को हासिल करने में मदद नहीं मिलेगी. अधिकारियों को अपने हाई स्पीड लक्ष्य को हासिल करने के लिए तेज गति से विकास कार्य पूरा करना चाहिए."

स्पीड बढ़ाने के लिए सर्वेक्षण:

दिल्ली-मुंबई सेक्शन (1386 किमी) - सेक्शनल स्पीड को 160 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाने के लिए कार्य स्वीकृत किया गया है और यह अग्रिम चरण में है, 1386 किमी मार्ग की लंबाई में से, 196 किमी में 4 रेल लाइनें हैं और दहानू रोड-विरार (64 किमी) के बीच तीसरी और चौथी लाइन का निर्माण शुरू किया गया है. शेष 1126 किमी के लिए शेष खंड में तीसरी और चौथी लाइन के लिए सर्वेक्षण स्वीकृत किया गया है. 1404 किमी पश्चिमी डीएफसी (डबल लाइन) चालू किया गया है और शेष 102 किमी के लिए शेष खंड में काम शुरू किया गया है.

दिल्ली-हावड़ा सेक्शन (1450 किमी) - सेक्शनल गति को 160 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाने का कार्य स्वीकृत किया गया है और यह अंतिम चरण में है. वर्तमान में, 1450 किमी मार्ग की लंबाई में से, 194 किमी 4 लाइन खंड है, 312 किमी 3 लाइन खंड है और शेष 944 किमी दोहरी लाइन रेल खंड है, 480 किमी की तीसरी लाइन, 96 किमी की चौथी लाइन और 151 किमी की 5वीं लाइन के निर्माण के लिए सर्वेक्षण स्वीकृत किए गए हैं, और पूर्वी डीएफसी (1337 किमी) चालू हो गया है.

गति बढ़ाने के लिए उपाय: रेलवे ने पटरियों की सुरक्षा और गति में सुधार के लिए कई उपाय किए हैं, जिनमें 60 किलोग्राम, 90 अल्टीमेट टेन्साइल स्ट्रेंथ (यूटीएस) रेल, प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट स्लीपर (पीएससी) नॉर्मल/वाइड बेस स्लीपर के साथ आधुनिक इलास्टिक फास्टनिंग, पीएससी स्लीपर पर मोटी वेब स्विच और वेल्डेबल सीएमएस क्रॉसिंग के साथ पंखे के आकार का टर्नआउट बिछाना, प्राथमिक ट्रैक नवीनीकरण करते समय गर्डर पुलों पर स्टील चैनल/एच-बीम स्लीपर प्रदान करना और वेल्ड-जॉइंट को कम करने के लिए रेल नवीनीकरण के लिए 130 मीटर/260 मीटर लंबे रेल पैनल का उपयोग करना शामिल है.

ये भी पढ़ें : रेल यात्रा में हो रही कोई परेशानी? यहां दर्ज कराएं शिकायत... 30 मिनट में मिलेगा समाधान!

नई दिल्ली : क्या रेलवे पूरे देश में 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ा सकती है ? क्या पूरे देश में रेलवे ट्रैक इस स्पीड को सपोर्ट कर सकता है. रेलवे ने इसका जवाब दिया है. उनका कहना है कि वे इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि इस समय कुछ ट्रैक ऐसे हैं, जो 160-180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली ट्रेनों को सपोर्ट कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर ट्रैक इस स्पीड को सह नहीं सकते हैं, इसलिए उनकी मरम्मत करवाई जा रही है, ताकि देशभर में सभी ट्रैकों पर ट्रेनों की स्पीड बढ़ाई जा सके.

नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया, "इस समय कुछ रेल ट्रैक ऐसे हैं, जहां पर स्पीड को घटाया जाता है और उसके बाद ट्रेन की स्पीड बढ़ाई जाती है. इस क्रम में कम-के-कम छह मिनट का अतिरिक्त समय खर्च होता है."

उन्होंने कहा कि जिन सेक्शंस पर ट्रेन की स्पीड बढ़ाई जानी है, वहां पर कई काम होने हैं, जैसे- क्रॉसिंग गेट का हटाया जाना, बेहतर ट्रैक का बिछाया जाना वगैरह-वगैरह.

रेलवे द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, ट्रैक इन्फ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण के लिए बहुत सारे काम किए जाने हैं. हाई स्पीड ऑपरेशंस के लिए पटरियों को मजबूत करना जरूरी है ताकि उसकी ड्यूरेबिलिटी बनी रहे. सटीक संचार और सुरक्षित ट्रेन परिचालन के लिए उन्नत सिग्नलिंग प्रणालियों का कार्यान्वयन तथा सुरक्षा उपायों की पहल करना शामिल है.

रेलवे के अनुसार जब भी हाई स्पीड ट्रेन गुजरती है, तो ट्रैक पर पशु और मानव, दोनों का हस्तक्षेप न हो, सुरक्षा के हिसाब से इसे भी सुनिश्चित किया जाना है. कुछ जगहों पर चारदीवारी का भी निर्माण करना शामिल है, कुछ जगहों पर बाड़ लगाई जा सकती है, पटरियों की संख्या भी बढ़ाई जानी है.

नॉर्थ सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने ईटीवी भारत को बताया, "इस समय आगरा और दिल्ली के बीच 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलती है. जिस सेक्शन में ट्रेन की स्पीड 130 से 160 किमी प्रति घंटा बढ़ाई जाती है, वहां पर ट्रैक, सिग्नलिंग और कवच पर काम जारी है. एक बार जब इस पर काम पूरा जाएगा, ट्रेन की स्पीड बढ़ा दी जाएगी."

रेल मंत्रालय के अनुसार 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अधिक गति को सपोर्ट करने के लिए रेल नेटवर्क में 23,000 किमी से अधिक ट्रैक को अपग्रेड किया गया है. इससे देश भर में लाखों यात्रियों के लिए यात्रा का समय कम करने में मदद मिलेगी. रेलवे नेटवर्क का लगभग पांचवां हिस्सा हाई स्पीड के लिए तैयार है. ऐसा आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम और स्ट्रैटेजिक फेंसिंग की वजह से हुआ है. रेलवे ने हाई स्पीड वाले ट्रैक सेक्शन पर प्राथमिकता के साथ काम किया है. इससे दुर्घटनाओं का जोखिम कम रहेगा. पिछले साल की तुलना में पीक डिमांड की अवधि के दौरान विशेष ट्रेन सेवाओं में 54 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इसकी संख्या 57,169 तक पहुंच गई.

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में संसद में बताया था कि देश में कुल 136 वंदे भारत ट्रेनें उपलब्ध हैं, जिनमें चेयर कार्स की सुविधा है. वंदे भारत, गतिमान और शताब्दी एक्सप्रेस की स्पीड बहुत सारे फैक्टर्स पर निर्भर करती है, जैसे- उस सेक्शन में अधिकतम कितने स्पीड की इजाजत है, रोलिंग स्टॉक/लोको की गति क्षमता, रूट की उपलब्धता, रखरखाव कार्यों के कारण स्पीड रेस्ट्रिक्शन, सिग्नलिंग प्रणाली और स्टॉपेज की संख्या वगैरह. वंदे भारत ट्रेनों को उन रूटों पर चलाया गया है, जिनमें ये सभी शर्तें पूरी होती हैं.

दिल्ली से चंडीगढ़ जा रहे एक यात्री सौरभ कुमार ने ईटीवी भारत को बताया, "एक यात्री के तौर पर मैं हमेशा रेलवे से गति और समय की पाबंदी की उम्मीद करता हूं. जब मुझे भारत में सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों के बारे में पता चला, तो मैं बहुत खुश हुआ, लेकिन ज्यादातर ट्रेनें 130 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की स्पीड से नहीं चलती हैं, फिर हाई स्पीड रोलिंग स्टॉक बनाने का क्या फायदा है. अधिकारियों को पहले बुनियादी ढांचा विकसित करना चाहिए, फिर ऐसी हाई स्पीड ट्रेनें शुरू करनी चाहिए."

उत्तर प्रदेश निवासी कविता शर्मा ने ईटीवी भारत से कहा, "हाई स्पीड ट्रेनों से पहले हमें बुनियादी सुविधाओं के बिना इन ट्रेनों के लिए उचित बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है. हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि ये ट्रेनें 180 किमी प्रति घंटे की गति से चलेंगी? स्टेशनों को कम करना, इन ट्रेनों को प्राथमिकता के आधार पर पार करना और कम प्रतीक्षा समय से लंबी अवधि में हाई स्पीड के सपने को हासिल करने में मदद नहीं मिलेगी. अधिकारियों को अपने हाई स्पीड लक्ष्य को हासिल करने के लिए तेज गति से विकास कार्य पूरा करना चाहिए."

स्पीड बढ़ाने के लिए सर्वेक्षण:

दिल्ली-मुंबई सेक्शन (1386 किमी) - सेक्शनल स्पीड को 160 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाने के लिए कार्य स्वीकृत किया गया है और यह अग्रिम चरण में है, 1386 किमी मार्ग की लंबाई में से, 196 किमी में 4 रेल लाइनें हैं और दहानू रोड-विरार (64 किमी) के बीच तीसरी और चौथी लाइन का निर्माण शुरू किया गया है. शेष 1126 किमी के लिए शेष खंड में तीसरी और चौथी लाइन के लिए सर्वेक्षण स्वीकृत किया गया है. 1404 किमी पश्चिमी डीएफसी (डबल लाइन) चालू किया गया है और शेष 102 किमी के लिए शेष खंड में काम शुरू किया गया है.

दिल्ली-हावड़ा सेक्शन (1450 किमी) - सेक्शनल गति को 160 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाने का कार्य स्वीकृत किया गया है और यह अंतिम चरण में है. वर्तमान में, 1450 किमी मार्ग की लंबाई में से, 194 किमी 4 लाइन खंड है, 312 किमी 3 लाइन खंड है और शेष 944 किमी दोहरी लाइन रेल खंड है, 480 किमी की तीसरी लाइन, 96 किमी की चौथी लाइन और 151 किमी की 5वीं लाइन के निर्माण के लिए सर्वेक्षण स्वीकृत किए गए हैं, और पूर्वी डीएफसी (1337 किमी) चालू हो गया है.

गति बढ़ाने के लिए उपाय: रेलवे ने पटरियों की सुरक्षा और गति में सुधार के लिए कई उपाय किए हैं, जिनमें 60 किलोग्राम, 90 अल्टीमेट टेन्साइल स्ट्रेंथ (यूटीएस) रेल, प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट स्लीपर (पीएससी) नॉर्मल/वाइड बेस स्लीपर के साथ आधुनिक इलास्टिक फास्टनिंग, पीएससी स्लीपर पर मोटी वेब स्विच और वेल्डेबल सीएमएस क्रॉसिंग के साथ पंखे के आकार का टर्नआउट बिछाना, प्राथमिक ट्रैक नवीनीकरण करते समय गर्डर पुलों पर स्टील चैनल/एच-बीम स्लीपर प्रदान करना और वेल्ड-जॉइंट को कम करने के लिए रेल नवीनीकरण के लिए 130 मीटर/260 मीटर लंबे रेल पैनल का उपयोग करना शामिल है.

ये भी पढ़ें : रेल यात्रा में हो रही कोई परेशानी? यहां दर्ज कराएं शिकायत... 30 मिनट में मिलेगा समाधान!

Last Updated : April 11, 2025 at 6:31 PM IST
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