नई दिल्ली: बिहार विधानसभा के इस साल के अंत में होने वाले चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को राज्य में संगठनात्मक स्तर पर एक अहम फेरबदल करते हुए दलित नेता राजेश कुमार को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया. ऐसा करके लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सामाजिक न्याय पर ध्यान केंद्रित किया.
बता दें कि, औरंगाबाद जिले के कुटुंबा से दूसरी बार विधायक बने राजेश कुमार, राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह लेंगे. पार्टी के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राजेश कुमार को तत्काल प्रभाव से बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है. नेता सिंह की जगह पर राजेश कुमार को नियुक्त करना कांग्रेस की ओर से रणनीतिक बदलाव को दिखाता है.
कांग्रेस राहुल गांधी के "संविधान बचाओ' और अन्य सामाजिक न्याय के मुद्दों के जरिए वंचित जातियों के बीच आक्रामक तरीके से पैठ बनाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी बिहार चुनाव को ध्यान में रखते हुए एक दलित नेता को राज्य इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त करके राज्य में 20 प्रतिशत दलित समुदाय के वोट को टारगेट करने की कोशिश की है.
बिहार में दलित लंबे समय से सत्तारूढ़ जेडी-यू का समर्थन करते आ रहे हैं. हालांकि, इस साल के अंत में होने वाले अगले विधानसभा चुनावों में इस समुदाय से ज्यादा से ज्याद वोट प्रतिशत के ग्राफ को बढ़ाने की उम्मीद कर रही है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि, राहुल गांधी पिछले कुछ महीनों से हाशिए पर पड़े समुदाय को लुभाने के लिए अपने सामाजिक न्याय के मुद्दे के साथ-साथ संविधान को बचाने की जरूरत पर जोर देते आ रहे हैं.
सामाजिक न्याय के मुद्दे के अलावा, एआईसीसी प्रभारी कृष्ण अल्लावरु की नियुक्ति और पैदल मार्च की शुरुआत के कुछ दिनों बाद राजेश कुमार की नियुक्ति ने सहयोगी राजद को यह संदेश दिया है कि कांग्रेस पूरे राज्य में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने की इच्छुक है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह राजेश कुमार की नियुक्ति उन नेताओं के लिए भी एक संदेश है, जो पिछले कुछ सालों से राजद के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
पार्टी सूत्र के मुताबिक, अल्लावरु और सिंह के बीच कार्यशैली को लेकर मतभेद थे. इस विषय पर बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डॉक्टर अशोक कुमार ने ईटीवी भारत से कहा कि, राजेश कुमार की नियुक्ति निश्चित रूप से राहुल गांधी के सामाजिक न्याय के संदेश को राज्य में पहुंचाएगी. उन्होंने आगे कहा कि, दलित पिछले कुछ सालों से जेडीयू का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन अब वे कांग्रेस की ओर आकर्षित हो रहे हैं. वह इसलिए क्योंकि कांग्रेस पार्टी उनके अधिकारों की रक्षा की बात कर रही है. उनका मानना है कि, जेडीयू कमजोर हो गई है.
डॉक्टर अशोक कुमार ने कहा कि, समुदाय अब आश्वस्त महसूस करेगा कि कांग्रेस जो कहती है, वही करती है. वरिष्ठ नेता के अनुसार, कांग्रेस आने वाले चुनावों में नए कलेवर के साथ उतर रही है और अपने दृष्टिकोण में अधिक आक्रामक होगी. डॉक्टर कुमार ने कहा कि, हाल ही में कांग्रेस के पास एक नया प्रभारी और अब एक नया राज्य इकाई प्रमुख है. बेरोजगारी और दूसरे राज्यों में पलायन पर युवाओं की चिंताओं को उजागर करने के लिए एक यात्रा पहले से ही जारी है.
उन्होंने कहा कि, अच्छी बात यह है कि छोटे-छोटे समूहों में युवा यात्रा में शामिल हो रहे हैं. यह पार्टी के लिए एक अच्छा संकेत है. लेकिन यात्रा केवल पार्टी के इर्द-गिर्द ही चर्चा पैदा करेगी. वरिष्ठ नेता ने कहा, "हमें अपने संगठन पर ध्यान देना चाहिए और जल्द से जल्द ब्लॉकों में खाली पड़े पदों को भरना चाहिए. उन्होंने कहा कि, एक मजबूत संगठन चुनावों में प्रमुख भूमिका निभाएगा. हालांकि, वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि, कांग्रेस भले ही पूरे राज्य में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रही है, लेकिन वह राजद के साथ गठबंधन को भी बरकरार रखेगी.
डॉक्टर कुमार ने कहा, "हम जो भी करेंगे, गठबंधन बना रहेगा. अगर हम मजबूत होंगे, तो गठबंधन और मजबूत होगा. फर्क सिर्फ इतना होगा कि कांग्रेस सीट बंटवारे पर विचार-विमर्श के दौरान बेहतर तरीके से बातचीत कर पाएगी. इसके बाद हम सभी को जेडी-यू-बीजेपी को हराने के लिए गठबंधन के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करनी होगी."
वहीं, पूर्व राज्य इकाई प्रमुख कौकब कादरी ने कहा, कांग्रेस के इस कदम से पार्टी को अल्पसंख्यक वर्गों के साथ-साथ उच्च जाति के वोटों को भी आकर्षित करने में मदद मिलेगी. कादरी ने ईटीवी भारत से कहा, "हमें करीब 23 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करने का लक्ष्य रखना चाहिए. इसमें दलित, अल्पसंख्यक समूह और उच्च जाति के वर्ग शामिल होंगे. पदयात्रा के जरिए संदेश देना अच्छा है. लेकिन हमें संगठन पर काम तेज करने की जरूरत है क्योंकि हमारे पास सीमित समय है.
उन्होंने आगे कहा, "आने वाले महीनों में हम बूथ पर अपने कार्यकर्ताओं को कैसे जुटाते हैं और मतदाताओं से कैसे जुड़ते हैं, इससे वास्तव में फर्क पड़ेगा. राज्य सरकार को कांग्रेस द्वारा उठाए जा रहे रोजगार सृजन से जुड़े सवालों का जवाब देना होगा."
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