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राष्ट्रपति मुर्मू, पीएम मोदी समेत बड़े नेताओं ने जलियांवाला बाग के शहीदों को दी श्रद्धांजलि - JALLIANWALA BAGH

पंजाब के जालियांवाला बाग में आज के ही दिन साल 1919 में ब्रिटिश सैनिकों ने निहत्थे भारतीयों की भीड़ पर गोलियां चलाई थी.

PM MODI
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो) (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 13, 2025 at 12:55 PM IST

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नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम बड़े नेताओं ने रविवार को जलियांवाला बाग के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने इसे भारत के इतिहास का एक 'काला अध्याय' और देश के स्वतंत्रता संग्राम में एक 'बड़ा मोड़' बताया.

राष्ट्रपति मुर्मू ने एक्स पर लिखा, 'जलियांवाला बाग में भारत माता के लिए मर मिटने वाले सभी स्वाधीनता सेनानियों को मैं सादर श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं. उनके बलिदान से हमारे स्वाधीनता संग्राम की धारा और प्रबल हो गई थी. कृतज्ञ भारत सदैव उनका ऋणी रहेगा. मुझे विश्वास है कि उन अमर बलिदानियों से प्रेरणा लेकर सभी देशवासी भारत की प्रगति में पूरे तन-मन-धन से अपना योगदान देते रहेंगे.'

एक्स पर एक पोस्ट में पीएम मोदी ने लिखा, 'हम जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं. आने वाली पीढ़ियां उनकी अदम्य भावना को हमेशा याद रखेंगी. यह वास्तव में हमारे देश के इतिहास का एक काला अध्याय था. उनका बलिदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक बड़ा मोड़ बन गया.'

कई अन्य नेताओं ने भी ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान 13 अप्रैल, 1919 को हुए क्रूर नरसंहार के पीड़ितों और उसके प्रभावों को याद किया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लिखा, 'जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक काला अध्याय है जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. अमानवीयता की पराकाष्ठा पर पहुंच चुकी ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता से देशवासियों में जो आक्रोश पैदा हुआ, उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को जन-जन के संघर्ष में बदल दिया.'

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, 'जलियांवाला बाग हत्याकांड के निर्दोष शहीदों को श्रद्धांजलि. भारत हमेशा उनका ऋणी रहेगा. 1919 में उस दिन औपनिवेशिक बर्बरता ने राष्ट्रीय चेतना की एक नई लहर को जन्म दिया, जो अधिक उग्र, निडर और स्वतंत्रता के लिए दृढ़ थी. उन्होंने कहा, 'बहादुर पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का बलिदान हमें अपनी संप्रभुता, समावेशिता और स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए प्रेरित करेगा.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी एक्स पर अपनी श्रद्धांजलि पोस्ट की. इसमें लिखा, 'जलियांवाला बाग हत्याकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि. हमारी स्वतंत्रता के लिए उनका दृढ़ संकल्प, साहस और बलिदान कभी नहीं भुलाया जाएगा.'

बता दें कि 13 अप्रैल 1919 को हुआ जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत के औपनिवेशिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है. संस्कृति मंत्रालय के अनुसार यह हत्याकांड भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था और इसे साहस और प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है.

यह नरसंहार पंजाब के अमृतसर में हुआ था, जहां बैसाखी के त्यौहार के दौरान हजारों लोग जलियांवाला बाग में एकत्रित हुए थे. यह सभा रौलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने और नेताओं डॉ. सत्यपाल और डॉ. सैफ़ुद्दीन किचलू की रिहाई की मांग करने के लिए भी एकत्रित हुई थी.

ब्रिटिश अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड डायर ने बिना कोई चेतावनी दिए अपने सैनिकों को निहत्थे लोगों पर गोली चलाने का आदेश दिया. संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, '1650 राउंड गोलियां चलाई गई. अंग्रेजों के रिकॉर्ड में मृतकों की संख्या 291 बताई गई. मदन मोहन मालवीय जैसे भारतीय नेताओं ने 500 से अधिक लोगों के मारे जाने का अनुमान लगाया था.

संस्कृति मंत्रालय के अनुसार ब्रिगेडियर जनरल डायर ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के दौरान अपने किए पर कोई पश्चाताप नहीं दिखाया. हंटर आयोग के समक्ष अपनी गवाही में जब उससे गोलीबारी के बाद की स्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बिना किसी खेद के अपना रवैया प्रदर्शित किया.

ये भी पढ़ें- पीएम मोदी ने किया 'नवकार महामंत्र' का जाप, शांति, भाईचारे के लिए लोगों से भी किया जाप का आह्वान

नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम बड़े नेताओं ने रविवार को जलियांवाला बाग के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने इसे भारत के इतिहास का एक 'काला अध्याय' और देश के स्वतंत्रता संग्राम में एक 'बड़ा मोड़' बताया.

राष्ट्रपति मुर्मू ने एक्स पर लिखा, 'जलियांवाला बाग में भारत माता के लिए मर मिटने वाले सभी स्वाधीनता सेनानियों को मैं सादर श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं. उनके बलिदान से हमारे स्वाधीनता संग्राम की धारा और प्रबल हो गई थी. कृतज्ञ भारत सदैव उनका ऋणी रहेगा. मुझे विश्वास है कि उन अमर बलिदानियों से प्रेरणा लेकर सभी देशवासी भारत की प्रगति में पूरे तन-मन-धन से अपना योगदान देते रहेंगे.'

एक्स पर एक पोस्ट में पीएम मोदी ने लिखा, 'हम जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं. आने वाली पीढ़ियां उनकी अदम्य भावना को हमेशा याद रखेंगी. यह वास्तव में हमारे देश के इतिहास का एक काला अध्याय था. उनका बलिदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक बड़ा मोड़ बन गया.'

कई अन्य नेताओं ने भी ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान 13 अप्रैल, 1919 को हुए क्रूर नरसंहार के पीड़ितों और उसके प्रभावों को याद किया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लिखा, 'जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक काला अध्याय है जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. अमानवीयता की पराकाष्ठा पर पहुंच चुकी ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता से देशवासियों में जो आक्रोश पैदा हुआ, उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को जन-जन के संघर्ष में बदल दिया.'

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, 'जलियांवाला बाग हत्याकांड के निर्दोष शहीदों को श्रद्धांजलि. भारत हमेशा उनका ऋणी रहेगा. 1919 में उस दिन औपनिवेशिक बर्बरता ने राष्ट्रीय चेतना की एक नई लहर को जन्म दिया, जो अधिक उग्र, निडर और स्वतंत्रता के लिए दृढ़ थी. उन्होंने कहा, 'बहादुर पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का बलिदान हमें अपनी संप्रभुता, समावेशिता और स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए प्रेरित करेगा.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी एक्स पर अपनी श्रद्धांजलि पोस्ट की. इसमें लिखा, 'जलियांवाला बाग हत्याकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि. हमारी स्वतंत्रता के लिए उनका दृढ़ संकल्प, साहस और बलिदान कभी नहीं भुलाया जाएगा.'

बता दें कि 13 अप्रैल 1919 को हुआ जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत के औपनिवेशिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है. संस्कृति मंत्रालय के अनुसार यह हत्याकांड भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था और इसे साहस और प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है.

यह नरसंहार पंजाब के अमृतसर में हुआ था, जहां बैसाखी के त्यौहार के दौरान हजारों लोग जलियांवाला बाग में एकत्रित हुए थे. यह सभा रौलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने और नेताओं डॉ. सत्यपाल और डॉ. सैफ़ुद्दीन किचलू की रिहाई की मांग करने के लिए भी एकत्रित हुई थी.

ब्रिटिश अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड डायर ने बिना कोई चेतावनी दिए अपने सैनिकों को निहत्थे लोगों पर गोली चलाने का आदेश दिया. संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, '1650 राउंड गोलियां चलाई गई. अंग्रेजों के रिकॉर्ड में मृतकों की संख्या 291 बताई गई. मदन मोहन मालवीय जैसे भारतीय नेताओं ने 500 से अधिक लोगों के मारे जाने का अनुमान लगाया था.

संस्कृति मंत्रालय के अनुसार ब्रिगेडियर जनरल डायर ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के दौरान अपने किए पर कोई पश्चाताप नहीं दिखाया. हंटर आयोग के समक्ष अपनी गवाही में जब उससे गोलीबारी के बाद की स्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बिना किसी खेद के अपना रवैया प्रदर्शित किया.

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