पटना : पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में प्रशांत किशोर की ओर से चुनावी साल में 'बिहार बदलाव' रैली का आयोजन किया गया. दोपहर 3 बजे से ही रैली शुरू हो गई लेकिन प्रशांत किशोर शाम 6 के करीब गांधी मैदान पहुंचे. गांधी मैदान पहुंचते ही प्रशांत किशोर लोगों को संबोधित करना शुरू कर दिया.
''भाषण देने नहीं आए हैं. आप लोगों से माफी मांगने आये हैं.''- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
'नीतीश कुमार के कानों तक आवाज जानी चाहिए' : प्रशांत किशोर ने कहा कि हम लोग पांच लाख से ज्यादा लोगों के साथ रैली करने वाले थे, लेकिन लोग 4 घंटे से फंसे हुए हैं. महिलाएं पैदल आ रही हैं. प्रशांत किशोर ने जय बिहार का नारा लोगों से मुट्ठी बंद कर लगाने के लिए कहा और यह भी कहा कि आवाज नीतीश कुमार पलटू चाचा के कानों तक जाना चाहिए. उन्होंने प्रशासन के मदद से रोकने की कोशिश की.
''2015 में मदद नहीं किये होते तो नीतीश कुमार सन्यास लेकर कहीं बैठे होते. गांव में कहावत है जो शादी कराता है वही श्राद्ध भी कराता है, इनका (नीतीश कुमार) राजनीतिक श्राद्ध जन सुराज के लोग करेंगे.''- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
'प्रशासन को हम छोड़ेंगे नहीं' : पीके ने प्रशासन के लोगों को भी धमकी दी कि दूसरी बार इन्होंने धोखा किया है. पहली बार गांधी मैदान में इस प्रकार से प्रशासन के लोगों ने काम किया था. हमने केस करने की बात कही थी लेकिन उन लोगों ने कहा कि प्रशासन के लोगों से क्या आपकी दुश्मनी है लेकिन दूसरी बार इन्होंने फिर से धोखा दिया है इनको हम छोड़ेंगे नहीं.

"आज बिहार बदलाव रैली का आयोजन किया गया था. प्रशासन ने अपनी ओर से हर स्तर पर सहयोग का वादा किया था. आज लाखों लोग गांधी मैदान में आए हैं लेकिन यहां 10 पुलिसकर्मी भी नहीं हैं. जो लोग अनुमति देने के बाद भी गांधी मैदान में आने का रास्ता सुनिश्चित नहीं करा सकते, ट्रैफिक नहीं चला सकते, वे लोग बिहार क्या चलाएंगे."- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
प्रशांत किशोर ने कहा लालू के अपराध के राज को खत्म किया इसी तरह नीतीश कुमार के भी अफसर शाही का जंगल राज उखाड़ फेकेंगे. प्रशांत किशोर ने कहा यहीं से 10 दिन बाद यात्रा शुरू करेंगे. आपके घर तक पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता है.
''10 दिन में बिहार बदलाव यात्रा की शुरुआत करेंगे. छह माह इंतजार कीजिये. अपने बेटे पर भरोसा कीजिये नवंबर में नई सरकार देंगे.''- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
पीके का टार्गेट और एजेंडा क्या ? : जिस अंदाज में प्रशांत किशोर नजर आए उससे तो साफ हो गया कि वह बिहार में बड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. जिस तरह से वह हुंकार भर रहे हैं उससे स्पष्ट है कि उनका एजेंडा क्लियर है. ऐसे में हम आपको ग्राफिक्स के जरिए बताते हैं कि पीके का टार्गेट और उस टार्गेट को पाने के लिए एजेंडा क्या है?


प्रशांत किशोर ने आज की रैली से साफ कर दिया कि वह लालू, नीतीश, मोदी किसी को भी नहीं छोड़ेंगे. मतलब उनका हमला चौतरफा होगा. ऐसे में सवाल उठता है कि प्रशांत किशोर सबसे ज्यादा नुकासन किसे पहुंचाएंगे और किसको इसका लाभ मिलेगा?
पीके उपचुनाव में दिखा चुके हैं जलवा : अगर बीते कुछ महीने पहले की बात करें तो पीके की पार्टी ने महगठबंधन को जबरदस्त चोट पहुंचाया था. दरअसल बेलागंज, इमामगंज रामगढ़ और तरारी में 2020 विधानसभा चुनाव में चार सीटों में से तीन पर महागठबंधन ने जीत हासिल की थी. उस समय महागठबंधन का वोट शेयर 41 प्रतिशत था, जो उपचुनाव में 10 प्रतिशत घट गया. अन्य छोटी पार्टियों का वोट शेयर भी 9 प्रतिशत कम हुआ, जबकि एनडीए को 9 प्रतिशत और जन सुराज को 10 प्रतिशत वोट शेयर का फायदा हुआ.
बेलागंज सीट पर जन सुराज ने एक मुस्लिम उम्मीदवार उतारा, जिसने 11 प्रतिशत वोट हासिल किए. इस सीट पर महागठबंधन का वोट शेयर 16 प्रतिशत घटा, जिससे साफ है कि जन सुराज ने विपक्ष के वोट काटे. इमामगंज में जन सुराज ने एक पासवान उम्मीदवार को मैदान में उतारा, जबकि महागठबंधन और एनडीए ने मांझी समुदाय के उम्मीदवार को चुना. जन सुराज के उम्मीदवार ने 23 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया, जो महादलित और पासवान समुदायों के बीच की दरार को भुना कर लाभ लेने की रणनीति का हिस्सा था.
बेलागंज में जदयू को 34 साल बाद जीत मिली. सुरेंद्र यादव के सांसद बनने के बाद बेलागंज का सीट खाली हुई थी और उनके बेटे विश्वनाथ चुनाव लड़े थे. लेकिन प्रशांत किशोर के कारण हार गए. प्रशांत किशोर के मुस्लिम उम्मीदवार मोहम्मद आजाद को 17285 वोट मिला था. वहीं इमामगंज में प्रशांत किशोर की पार्टी तीसरे स्थान पर रही और उनके उम्मीदवार जितेंद्र पासवान को 37103 वोट मिला. रामगढ़ में प्रशांत किशोर की पार्टी चौथे नंबर पर रही और प्रत्याशी को 6513 वोट मिला. वहीं तरारी में प्रशांत किशोर की पार्टी के उम्मीदवार किरण सिंह को 5622 वोट मिला. इमामगंज और रामगढ़ में जीत के अंतर से ज्यादा वोट प्रशांत किशोर की पार्टी को मिला.
गांधी के विचारों पर जन सुराज : प्रशांत किशोर के साथ लंबे समय से काम कर रहे जन सुराज चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और रिटायर्ड डीजीपी आरके मिश्रा का कहना है हम लोगों की पार्टी गांधी जी के विचारों से प्रेरित है. गांधी जी ने कहा था जब अच्छा काम करना शुरू करेंगे शुरू में कम लोग आएंगे लोग हसेंगे, लेकिन जैसे अभियान बढ़ेगा लोग जुड़ते जाएंगे लोग हंसना बंद करेंगे तो शिकायत करना शुरू करेंगे लेकिन कारवां बढ़ता जाएगा और एक समय अच्छाई के रास्ते पर बड़ी संख्या में लोग आपसे जुड़ेंगे.
''प्रशांत किशोर भारतीय राजनीति का उभरता हुआ सितारा है समय का इंतजार कीजिए.''- आरके मिश्रा, जन सुराज चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष
'PK ने नई राजनीतिक शुरू की' : वहीं प्रशांत किशोर की राजनीति को नजदीक से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी का कहना है कि प्रशांत किशोर ने बिहार में नई राजनीतिक शुरू की है. 2 साल से अधिक बिहार के गांव-गांव घुमा है लोगों की समस्याओं को जाना है और उसके बाद संगठन को खड़ा किया है. कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं. सत्याग्रह शिविर में सिद्धांतों से कार्यकर्ताओं को लैश कर रहे हैं, तो बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर की एकदम नई पहल है.

''प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति को प्रभावित भी किया है. विधानसभा उपचुनाव में बेलागंज में राजद को हराने में उनकी बड़ी भूमिका रही. प्रशांत किशोर ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने से लेकर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने और कई राज्यों में चाहे वह ममता बनर्जी हो को मुख्यमंत्री बनाने में मदद की है. लेकिन अब खुद बिहार की सत्ता अपने हाथों में लेने के लिए काम कर रहे हैं. अब देखना होगा जातीय जकड़न से जकड़ा हुआ प्रदेश में प्रशांत किशोर कितना कामयाब हो पाते हैं.''- प्रवीण बागी, वरिष्ठ पत्रकार
'मुद्दों और नारे से माहौल बनाने में माहिर' : राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है कि चुनाव की रणनीति बनाने में प्रशांत किशोर माहिर माने जाते हैं. प्रशांत किशोर नारे भी खूब लिखते रहे हैं जो तहलका मचाते रहे हैं. हर हर मोदी घर-घर मोदी, फिर से नीतीशे कुमार जैसे नारे आज भी लोग नहीं भूले हैं. इसके अलावा प्रशांत किशोर लोगों की नस को पकड़ते हैं और उसके हिसाब से रणनीति तैयार करते हैं लोगों के मुद्दे उठाते हैं.
''प्रशांत किशोर लोगों के मुद्दे उठा रहे हैं और इसीलिए कई राजनीतिक दलों की नींद उड़ी हुई है. विधानसभा उपचुनाव के चार सीटों पर उन्हें जरूर सफलता नहीं मिली लेकिन जीत हार में उनकी बड़ी भूमिका रही है.''- प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ

विधानसभा चुनाव लिटमस टेस्ट : कुल मिलाकर कहें तो बिहार विधानसभा चुनाव में अभी करीब 6 महीने का समय है और प्रशांत किशोर ने पहली रैली कर लीड लेने की कोशिश की है. प्रशांत किशोर के चुनावी मैदान में उतरने से कई दलों को सोचने पर जरूर मजबूर कर दिया. वैसे यह विधानसभा चुनाव में उनका लिटमस टेस्ट होगा.
ये भी पढ़ें :-
'अमित शाह चला रहे हैं बिहार की सरकार', प्रशांत किशोर का दावा- नीतीश कुमार का कोई कंट्रोल नहीं
बिहार से 1 घंटे में शराबबंदी हटेगी, बोले PK- तेजस्वी क्या मोदी के खिलाफ भी लड़ूंगा चुनाव