हैदराबादः महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पास हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है. इससे जुड़ी बहस दशकों से चली आ रही है. लंबे संघर्ष के बाद जब महिलाओं को राजनीतिक भागीदारी का कानूनी अधिकार मिला, तब उम्मीद थी कि यह निर्णय लोकतंत्र को और मजबूत करेगा और जमीनी स्तर पर बदलाव लाएगा. लेकिन, ADR की रिपोर्ट एक और पहलू को उजागर करती है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और नेशनल इलेक्शन वॉच द्वारा जारी ताज़ा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश की 512 महिला सांसदों और विधायकों में से 143 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
एडीआर ने विश्लेषण कियाः देश में इस वक्त 513 लोकसभा-राज्यसभा सांसद और विधायक हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और नेशनल इलेक्शन वॉच ने देश की 513 में से 512 वर्तमान महिला सांसदों और विधायकों के शपथपत्रों का विश्लेषण किया है. इस रिपोर्ट में भारत के सभी 28 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के लोक सभा और राज्यसभा की वर्तमान महिला सांसदों के सभी 112 शपथपत्रों और 401 में से 400 वर्तमान महिला विधायकों का विश्लेषण किया गया है.

रिपोर्ट में किन-किन को शामिल किया गयाः इस रिपोर्ट में 5 साल की अवधि के दौरान इस्तीफे के कारण, मृत्यु और किसी अन्य कारण से रिक्त हुई सीटों पर हुए उप-चुनावों का विश्लेषण भी शामिल हैं. निर्वाचन क्षेत्र पुट्टपर्थी (आन्ध्र प्रदेश) से चुनाव लड़ने वाली TDP की एक विधायक पल्ले सिंधुरा रेड्डी का शपथपत्र उपलब्ध ना होने के कारण उनका विश्लेषण नहीं किया जा सका. यह डेटा चुनाव आयोग (ECI)के पास जमा किए गए शपथपत्रों (फॉर्म 26) से निकाला गया है. वर्तमान रिपोर्ट में वर्ष 2020 से 2025 तक हुए चुनावों के दौरान उम्मीदवारों यानी महिला सांसदों और विधायकों द्वारा दायर किए गए हैं. इसलिए इस रिपोर्ट के आंकड़े 512 महिला सांसदों और विधायकों का है.
कितने विधायक और सांसदों पर है मुकदमाः रिपोर्ट के अनुसार 512 महिला सांसदों और विधायकों में से 143 के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं. विश्लेषण में शामिल 75 में से 24 लोक सभा महिला सांसदों, 37 में से 10 राज्यसभा महिला सांसद और 400 में से 109 महिला विधायकों (सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों) ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं. 512 में से 78 महिला सांसदों और विधायकों के ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. विश्लेषण में शामिल 75 में से 14 लोक सभा महिला सांसदों, 37 में से 7 राज्यसभा महिला सांसदों और 400 में से 57 महिला विधायकों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं.

राज्यवार आंकड़ों को समझेंः आपराधिक मामलों वाले वर्तमान महिला सांसदों और विधायकों के अधिकतम प्रतिशत वाले राज्य की बात करें तो गोवा के 3 में से 2, तेलंगाना के 12 में से 8, आन्ध्र प्रदेश के 24 में से 14, पंजाब के 14 में से 7, केरल के 14 में से 7 और बिहार के 35 में से 15 महिला सांसदों और विधायकों ने अपने शपथपत्र में अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं. गंभीर आपराधिक मामलों वाले तेलंगाना के 12 में से 5, आन्ध्र प्रदेश के 24 में से 9, गोवा के 3 में से 1, बिहार के 35 में से 9, मेघालय के 4 में से 1, पंजाब के 14 में से 3 और केरल के 14 में से 3 महिला सांसदों और विधायकों ने अपने शपथपत्र में अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले की जानकारी दी है.
पार्टीवाइज आपराधिक मामलेः BJP के 217 में से 49, INC के 83 में से 28, TDP के 20 में से 13, AITC के 54 में से 12, AAP के 13 में से 9 और SP के 21 में से 6 महिला सांसदों और विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. गंभीर आपराधिक मामले की बात करें तो BJP के 217 में से 24, INC के 83 में से 17, TDP के 20 में से 9, AITC के 54 में से 6, AAP के 13 में से 4 और SP के 21 में से 3 महिला सांसदों और विधायक हैं. 512 में से 12 महिला सांसदों/ विधायकों के ऊपर हत्या का प्रयास से सम्बन्धित मामले दर्ज हैं. इनमें 2 लोक सभा महिला सांसद, 1 राज्य सभा महिला सांसद और राज्य विधानसभाओं/केंद्र शासित प्रदेशों की 9 महिला विधायक शामिल हैं.

अरबपति महिला सांसद और विधायक: देश में 512 में से 17 यानी कि करीब 3 प्रतिशत अरबपति महिला सांसद और विधायक हैं. इसमें लोक सभा की 6 सांसद, राज्य सभा की 3 सांसद और 8 विधायक शामिल हैं. महिला सांसदों और विधायकों की अधिकतम औसतन संपत्ति वाला राज्य आन्ध्र प्रदेश है. जहां 24 महिला सांसदों/ विधायकों की औसतन संपत्ति 74.22 करोड़ रुपये है. हरियाणा के 15 महिला सांसदों/विधायकों की औसतन संपत्ति 63.72 करोड़ रुपये है.
सबसे कम औसत संपत्ति वाला राज्य: सांसदों और विधायकों की सबसे कम औसत संपत्ति वाला राज्य असम है. जहां 8 महिला सांसदों और विधायकों की औसतन संपत्ति 2.18 करोड़ रुपये है. इसके बाद मिजोरम की 3 महिला सांसदों व विधायकों की औसतन संपत्ति 2.20 करोड़ रुपये है. मणिपुर की 5 महिला सांसदों और विधायकों की औसतन संपत्ति 2.84 करोड़ रुपये हैं.

कितनी शिक्षित हैं महिला सांसद और विधायकः 125 महिला सांसदों और विधायकों ने अपनी शैक्षिक योग्यता 5वीं और 12वीं के बीच घोषित की हैं. जबकि 363 महिला सांसद और विधायक स्नातक या इससे ज्यादा पढ़ी लिखी हैं. 12 महिला सांसद-विधायक डिप्लोमा धारक हैं. 12 महिला सांसदों और विधायकों ने अपनी शैक्षिक योग्यता केवल साक्षर घोषित की हैं. उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत में साक्षरता दर में उल्लेखनीय लैंगिक अंतर दिखाई देता है. भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, कुल साक्षरता दर 74.04 प्रतिशत थी, जिसमें पुरुष साक्षरता 82.14 प्रतिशत और महिला साक्षरता 65.46 प्रतिशत थी.
महिला सांसदों व विधायकों की आयु: 113 महिला सांसदों-विधायकों ने अपनी आयु 25 से 40 वर्ष के बीच घोषित की हैं. जबकि 329 महिला सांसदों/विधायकों ने अपनी आयु 41 से 60 वर्ष के बीच घोषित की हैं. 70 महिला सांसदों व विधायकों ने अपनी आयु 61 से 80 वर्ष के बीच घोषित की हैं. 25-40 आयु वर्ग की 113 युवा महिला सांसद और विधायक हैं.

लोक सभा चुनाव 2024 में महिलाएंः
- लक्षद्वीप में सबसे अधिक 85.46 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने मतदान किया
- उसके बाद असम में 81.71 प्रतिशत और त्रिपुरा में 80.57 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया
- मिजोरम में सबसे कम 55.66 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने मतदान किया
- उसके बाद जम्मू और कश्मीर में 56.36 प्रतिशत और गुजरात में 58.55 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने मतदान किया.
- 18वीं लोक सभा में 74 महिला सांसद हैं, जो 17वीं लोक सभा में 78 महिला सांसद से कम है.
- BJP में सबसे अधिक 31 महिला सांसद हैं, उसके बाद INC में 13 और TMC में 11 महिला सांसद हैं.
- 18वीं लोक सभा में 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से महिला सांसद हैं.
- केरल एकमात्र ऐसा बड़ा राज्य है जहां कोई महिला सांसद नहीं है.
- पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक 11 महिला सांसद हैं, इसके बाद उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में 7-7 हैं
- भारत 66.29 करोड़ मतदाता महिलाएं हैं.
महिला आरक्षण विधेयक: 2008 में 'महिला आरक्षण विधेयक' पेश किया गया. इसके तहत लोक सभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है. तीन दशकों से अधिक समय और इस उपाय को पारित करने के छह प्रयासों के बाद, अंततः सितंबर 2023 में 128 वां संविधान संशोधन विधेयक, जिसे 'नारी शक्ति बंदन अधिनियम' कहा जाता है, पारित हो गया. उच्च सदन में मौजूद सभी 214 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया. इसका कार्यान्वयन अगली जनगणना और परिसीमन प्रक्रिया के बाद होने की उम्मीद है.
इसे भी पढ़ेंः