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डेमोग्राफी चेंज पर बीजेपी से पूछे जा रहे सवाल, सत्ता में रहते हुए क्यों नहीं की कार्रवाई? लोगों ने माना खतरे में आदिवासी पहचान - Demographic change in Jharkhand

Demographic change in Jharkhand. झारखंड में डेमोग्राफी चेंज और बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर भाजपा को आदिवासी समुदाय का समर्थन मिलना शुरू हो गया है. आदिवासी संगठनों के लोग भी इस बात पर सहमति जता रहे हैं. घुसपैठ के कारण आदिवासी संस्कृति खतरे में है. वहीं सरयू राय का कहना है कि भाजपा सिर्फ चुनावी फायदे के लिए इस मुद्दे को उठा रही है.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 17, 2024, 1:20 PM IST

Demographic change in Jharkhand
ईटीवी भारत ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)

पाकुड़: झारखंड में इन दिनों डेमोग्राफी चेंज और बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा जोर पकड़ रहा है. बीजेपी न सिर्फ संथाल परगना प्रमंडल बल्कि पूरे झारखंड में लगातार हो रहे बांग्लादेशी घुसपैठ, लव और लैंड जिहाद और डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा उठा रही है. इस मुद्दे पर आदिवासी समाज के लोग भी बीजेपी के साथ नजर आ रहे हैं. आदिवासी संगठनों से जुड़े लोगों का भी कहना है कि घुसपैठियों की वजह से आज आदिवासी समाज की संस्कृति और विरासत खत्म होती जा रही है.

जानकारी देते संवाददाता टिंकू दत्ता (ईटीवी भारत)

वहीं एक तबका ऐसा भी है जो इस घुसपैठ के लिए पिछली बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनका सवाल है कि झारखंड राज्य बनने के बाद ज्यादातर समय बीजेपी सरकार ही सत्ता में रही. बावजूद इसके इस मामले की तह में जाकर घुसपैठियों को बसाने में मदद करने वाले अधिकारियों और लोगों की पहचान कर कार्रवाई क्यों नहीं की गई. इस पूरे मामले पर कई नेताओं और लोगों ने भी अपनी राय दी है.

2024 लोकसभा चुनाव के बाद मामला आया सामने - बाबूलाल मरांडी

इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से बात की. साहिबगंज और पाकुड़ जिले में अचानक बांग्लादेशी घुसपैठ और मुसलमानों की बढ़ती आबादी का मुद्दा उठाने पर उनसे सवाल किया गया. उनसे पूछा गया कि झारखंड में अधिकांश समय भाजपा की सरकार रहने पर कार्रवाई और सख्त कदम क्यों नहीं उठाए गए? इस पर उन्होंने बताया कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद यह बात सामने आई कि राजमहल विधानसभा के कई मतदान केंद्रों में अप्रत्याशित रूप से मतदाताओं की संख्या बढ़ी है.

पुलिस के हवाले करने के बावजूद नहीं हुई कोई कार्रवाई

इस मामले में पाकुड़ के अधिवक्ता धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि तीन दशक पहले 10-12 बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़कर पुलिस के हवाले किया गया था, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. बांग्लादेशी घुसपैठियों को छोड़ दिया गया. उन्होंने बताया कि बांग्लादेशी घुसपैठिए लगातार घुसकर यहां के आदिवासियों को बहला-फुसलाकर दान में जमीन ले रहे हैं और अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं. इस कारण जिले के कई आदिवासी गांवों में आदिवासी समुदाय के लोग नजर नहीं आते.

आदिवासी समाज के लोग भी ऐसा ही मानते हैं. आदिवासी समाज के मार्क बास्की कहते हैं कि घुसपैठियों के कारण आदिवासी समाज की संस्कृति और विरासत खत्म हो रही है और उनकी जमीन भी हड़पी जा रही है. इसका मुख्य कारण यह है कि इस राज्य के आदिवासी नेताओं ने एसपीटी सीएनटी एक्ट को सही तरीके से लागू नहीं किया है. वे घुसपैठियों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.

चुनावी फायदे के लिए इस मुद्दे को उठाती है भाजपा- सरयू राय

इसी मामले पर विधायक सरयू राय का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ चुनावी फायदे के लिए इस मुद्दे को उठाती है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार है, उसे पता लगाना चाहिए कि केंद्र से भेजा गया पैसा बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाने और बसाने वालों के पास कैसे पहुंच रहा है.

बांग्लादेशी घुसपैठ और मुसलमानों की बढ़ती आबादी को लेकर धर्मगुरु मौलाना अंजर काश्मी का कहना है कि चुनाव आते ही कुछ खास पार्टी के नेता बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाने लगते हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड में सबसे ज्यादा समय तक भाजपा सत्ता में रही है, उस समय इसकी जांच क्यों नहीं कराई गई. बढ़ती जनसंख्या को लेकर मौलाना ने कहा कि केंद्र सरकार जनसंख्या कानून ला रही थी, उसका क्या हुआ?

यह भी पढ़ें:

झारखंड के संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ और बदलते डेमोग्राफी का जिम्मेदार कौन? केंद्र या राज्य सरकार - Demographic change in Jharkhand

संथाल में आदिवासियों की घटती संख्या से चिंतित भाजपाः अगर डेमोग्राफी बदल गयी तो वो लोग डेमोक्रेसी हाईजैक कर लेंगे- बाबूलाल मरांडी - Vijay Sankalp Sabha

विधानसभा में उठा डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा, अमर बाउरी ने पूछा - अगर आदिवासी ही नहीं बचेंगे तो किसकी अस्मिता की करेंगे बात? - Demographic change in Jharkhand

पाकुड़: झारखंड में इन दिनों डेमोग्राफी चेंज और बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा जोर पकड़ रहा है. बीजेपी न सिर्फ संथाल परगना प्रमंडल बल्कि पूरे झारखंड में लगातार हो रहे बांग्लादेशी घुसपैठ, लव और लैंड जिहाद और डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा उठा रही है. इस मुद्दे पर आदिवासी समाज के लोग भी बीजेपी के साथ नजर आ रहे हैं. आदिवासी संगठनों से जुड़े लोगों का भी कहना है कि घुसपैठियों की वजह से आज आदिवासी समाज की संस्कृति और विरासत खत्म होती जा रही है.

जानकारी देते संवाददाता टिंकू दत्ता (ईटीवी भारत)

वहीं एक तबका ऐसा भी है जो इस घुसपैठ के लिए पिछली बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनका सवाल है कि झारखंड राज्य बनने के बाद ज्यादातर समय बीजेपी सरकार ही सत्ता में रही. बावजूद इसके इस मामले की तह में जाकर घुसपैठियों को बसाने में मदद करने वाले अधिकारियों और लोगों की पहचान कर कार्रवाई क्यों नहीं की गई. इस पूरे मामले पर कई नेताओं और लोगों ने भी अपनी राय दी है.

2024 लोकसभा चुनाव के बाद मामला आया सामने - बाबूलाल मरांडी

इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से बात की. साहिबगंज और पाकुड़ जिले में अचानक बांग्लादेशी घुसपैठ और मुसलमानों की बढ़ती आबादी का मुद्दा उठाने पर उनसे सवाल किया गया. उनसे पूछा गया कि झारखंड में अधिकांश समय भाजपा की सरकार रहने पर कार्रवाई और सख्त कदम क्यों नहीं उठाए गए? इस पर उन्होंने बताया कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद यह बात सामने आई कि राजमहल विधानसभा के कई मतदान केंद्रों में अप्रत्याशित रूप से मतदाताओं की संख्या बढ़ी है.

पुलिस के हवाले करने के बावजूद नहीं हुई कोई कार्रवाई

इस मामले में पाकुड़ के अधिवक्ता धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि तीन दशक पहले 10-12 बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़कर पुलिस के हवाले किया गया था, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. बांग्लादेशी घुसपैठियों को छोड़ दिया गया. उन्होंने बताया कि बांग्लादेशी घुसपैठिए लगातार घुसकर यहां के आदिवासियों को बहला-फुसलाकर दान में जमीन ले रहे हैं और अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं. इस कारण जिले के कई आदिवासी गांवों में आदिवासी समुदाय के लोग नजर नहीं आते.

आदिवासी समाज के लोग भी ऐसा ही मानते हैं. आदिवासी समाज के मार्क बास्की कहते हैं कि घुसपैठियों के कारण आदिवासी समाज की संस्कृति और विरासत खत्म हो रही है और उनकी जमीन भी हड़पी जा रही है. इसका मुख्य कारण यह है कि इस राज्य के आदिवासी नेताओं ने एसपीटी सीएनटी एक्ट को सही तरीके से लागू नहीं किया है. वे घुसपैठियों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.

चुनावी फायदे के लिए इस मुद्दे को उठाती है भाजपा- सरयू राय

इसी मामले पर विधायक सरयू राय का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ चुनावी फायदे के लिए इस मुद्दे को उठाती है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार है, उसे पता लगाना चाहिए कि केंद्र से भेजा गया पैसा बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाने और बसाने वालों के पास कैसे पहुंच रहा है.

बांग्लादेशी घुसपैठ और मुसलमानों की बढ़ती आबादी को लेकर धर्मगुरु मौलाना अंजर काश्मी का कहना है कि चुनाव आते ही कुछ खास पार्टी के नेता बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाने लगते हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड में सबसे ज्यादा समय तक भाजपा सत्ता में रही है, उस समय इसकी जांच क्यों नहीं कराई गई. बढ़ती जनसंख्या को लेकर मौलाना ने कहा कि केंद्र सरकार जनसंख्या कानून ला रही थी, उसका क्या हुआ?

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