पलामूः हमारी ऐतिहासिक धरोहर हमारी पहचान है. जो हमें अपने मूल से जोड़ती है और जड़ों को पकड़े रखने में मददगार साबित होती है. ऐसी विरासत को संजोने की दरकार है, जिससे नई पौध हमारी जड़ों से जुड़ी रहें और अपने पूर्वजों की भव्यता को जान सके. पलामू किला भी एक ऐसी ही ऐतिहासिक धरोहर है. जिसका कायाकल्प झारखंड सरकार द्वारा किया जाएगा.
400 वर्ष पुराना पलामू किला का जीर्णोद्धार किया जाएगा. पलामू किला महान चेरो राजवंश के भव्यता को बताता है. झारखंड सरकार ने हाल में ही घोषणा की थी कि ऐतिहासिक पलामू किला का जीर्णोद्धार किया जाएगा. पलामू किला के जीर्णोद्धार कार्य के लिए हेरिटेज कंजर्वेशन के श्रीदेव सिंह के नेतृत्व में एक टीम सर्वे कर रही है.
टीम कर रही सर्वे
हेरिटेज कंजर्वेशन के श्रीदेव सिंह के नेतृत्व में ही विश्व भर में चर्चित मलूटी का सर्वे हुआ था और उसका जीर्णोद्धार किया गया था. पलामू किला के कायाकल्प के लिए हेरिटेज कंजर्वेशन सर्वे कर रही है और किला निर्माण में इस्तेमाल होने वाले एक एक सामग्री का आकलन किया जा रहा है.

झारखंड सरकार के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने गणतंत्र दिवस के मौके पर पलामू किला के जीर्णोद्धार की घोषणा की थी. पलामू टाइगर रिजर्व के नेतृत्व में पलामू किला का सर्वे का कार्य शुरू हुआ है. पलामू किला 680 एकड़ में फैला हुआ है.
-पलामू किला के जीर्णोद्धार के लिए कई दिनों से प्रयास किया जा रहा है. वित्त मंत्री और स्थानीय विधायक लगातार प्रयास कर रहे हैं जिसके बाद सरकार से अनुमति मिली है. एक टेक्निकल टीम रिसर्च कर रही है कि पलामू किला को कैसे रिस्टोर किया जा सके. पुराना किला और नया किला का सर्वे हो रहा है. पलामू टाइगर रिजर्व की एक टीम सर्वे करने वाली टीम की मदद कर रही है. -प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक, पीटीआर.

कब बना था नया और पुराना पलामू किला
पलामू किला लातेहार जिला के बेतला में मौजूद है. बेतला नेशनल पार्क की दूरी करीब पांच किलोमीटर है. दस्तावेजों के अनुसार पुराने पलामू किला का निर्माण चेरो वंश के राजा प्रताप राय ने 1628 से 1658 के बीच करवाया था. नए पलामू किला का निर्माण प्रतापी राजा मेदिनी राय ने 1658 से 1674 के बीच करवाया था. इन किलों का निर्माण कार्य ईंट और पत्थरों से किया गया है.

पलामू किला की सुंदर नक्काशी के कारण इसे नागपुरी द्वार भी कहा जाता है. किले के दरवाजे की ऊंचाई 40 फीट जब की चौड़ाई 15 फीट है. पलामू किला के प्रचार-प्रसार और इसकी जानकारी के लिए पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन की तरफ से एक कॉमिक्स भी तैयार की गयी है.
महान चेरो राजवंश की भव्यता को बताता है पलामू किला
चेरो राजवंश के प्रतापी राजा मेदिनीराय के कार्यकाल में एक कहावत प्रचलित हुई थी जो आज भी कायम है. धनी धनी राजा मेदनिया घर घर बाजे मथनिया, यह कहावत का अर्थ है कि राजा के शासनकाल में किसी भी घर में दूध और दही की कमी नहीं थी. पलामू किला महान चेरो राजवंश का एक बड़ा स्मारक है.

चेरो राजवंश की शुरुआत सन 1613 में हुई थी. अंग्रेजों के द्वारा लिखित इतिहास में 1613 से चेरो राजवंश के बारे में उल्लेख है जबकि मुगलों के द्वारा लिखित इतिहास में 1585 से चेरो राजवंश की कहानी बताई गई है. इतिहासकार राजेश्वर सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि चेरो कुमाउं से होते हुए शाहाबाद और उसके बाद पलामू के इलाके में पहुंचे थे. भगवंत राय ने चेरो राजवंश की शुरूआत की थी.
254 वर्ष पहले हुआ था पलामू किला पर आक्रमण
254 वर्ष पहले सन 1771 में पलामू किला पर अंग्रेजों का आक्रमण हुआ था. इसी आक्रमण के बाद पलामू किला पर अंग्रेजों का कब्जा हुआ था. अंग्रेजों ने कब्जे के बाद चेरो राजवंश के गोपाल राय को गद्दी पर बिठाया था और कर लेते थे. गोपाल राय ने ही पलामू के शाहपुर किला का निर्माण किया और वहीं से शासन किया था.
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