श्रीनगर: दक्षिण कश्मीर के पहलगाम के बैसरन मैदान में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद लोगों में आक्रोश का माहौल है. इस बीच पंजाब और अन्य उत्तरी राज्यों में पढ़ाई करने वाले कई कश्मीरी छात्र-छात्राएं वापस लौट आए. दर्जनों छात्र सड़क और हवाई मार्ग से घर लौट आए हैं. उनका कहना था कि, वे असुरक्षित महसूस कर रहे थे. हालांकि, अभी भी बड़ी संख्या में छात्र दूसरे राज्य में हैं.
चंडीगढ़ में रहने वाली असराह, ने ईटीवी भारत को बताया कि शुरुआत में छात्राओं में डर था. उसने कहा, "मुझे स्थानीय लोगों, मकान मालिकों या दुकानदारों से किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. हम सुरक्षित रूप से कॉलेज भी जाते हैं, जहां स्थानीय लोग हमें सुरक्षा का आश्वासन देते हैं." पंजाब विश्वविद्यालय में अध्ययनरत स्कॉलर मोहसिन अंद्राबी ने बताया कि पंजाब के स्थानीय लोगों और छात्रों के समर्थन के कारण यहां रह रहे हैं.
चंडीगढ़ में काम करने वाले कश्मीरी मुदस्सिर हसन ने ईटीवी भारत को बताया कि घाटी से करीब 20,000 छात्र, व्यापारी और कर्मचारी पंजाब में रह रहे हैं. हमले के बाद शुरुआती दिनों की तुलना में अब अधिक सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "हमले के शुरुआती कुछ दिनों में उत्पीड़न की कुछ घटनाएं हुईं. प्रशासन, पुलिस और सामाजिक कार्यकर्ताओं के हस्तक्षेप से कश्मीरियों के बीच तनावपूर्ण और डरावनी स्थिति को शांत करने में मदद मिली."
जम्मू-कश्मीर सरकार के पांचो कैबिनेट मंत्री पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र गये थे. जहां उन्होंने मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों से मुलाकात की थी. उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों से अपील की गई कि वे कश्मीरी छात्रों और नागरिकों की सुरक्षा के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ आगे आएं, जो इस कठिन समय में अपने घरों से दूर हैं.
पहलगाम में हुए नरसंहार के एक सप्ताह बाद, पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि भारत भर में कश्मीरी छात्र "चल रही अशांति" के कारण डर में जी रहे हैं. "कुछ संस्थानों ने परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं और छात्रों को सामान्य स्थिति बहाल होने तक घर लौटने की सलाह दी है, जबकि अन्य ने इसके विपरीत निर्णय लिया है."
उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया थी कि वे सभी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करें. उन्होंने कहा, "इसके अलावा, सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक नफरत फैलाने वालों को एक कड़ा संदेश दिया जाना चाहिए. शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए ऐसी विभाजनकारी ताकतों की पहचान की जानी चाहिए और उनसे सख्ती से निपटा जाना चाहिए."
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