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क्या है द रेजिस्टेंस फ्रंट, जिसका पहलगाम आतंकी हमले में आया नाम? पहले भी कई घटनाओं को दे चुका है अंजाम - PAHALGAM TERROR ATTACK

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद TRF का गठन किया गया था. यह शुरू में एक ऑनलाइन यूनिट के रूप में काम करता था.

THE RESISTANCE FRONT
क्या है द रेजिस्टेंस फ्रंट? (सांकेतिक तस्वीर)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 22, 2025 at 9:02 PM IST

5 Min Read

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) की भूमिका होने का संदेह है. इस बीच सेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचेंद्र कुमार उधमपुर से जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर पहुंच रहे हैं.

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) का गठन किया गया था, जो शुरू में एक ऑनलाइन यूनिट के रूप में काम करता था. छह महीने के भीतर यह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) सहित विभिन्न गुटों के आतंकवादियों को इंटिग्रेट करके एक फिजिकल ग्रुप में विकसित हो गया.

TRF की स्थापना को पाकिस्तान द्वारा एक रणनीतिक पैंतरेबाजी के रूप में देखा गया था, जो उस समय अपने आतंकी फंडिंग संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के दबाव का जवाब दे रहा था.

पाकिस्तान की ISI ने किया निर्माण
माना जाता है कि टीआरएफ का निर्माण पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई द्वारा किया गया था, जिसका उद्देश्य लश्कर-ए-तैयबा से अंतरराष्ट्रीय ध्यान हटाना था. खासकर 2018 में पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की ग्रे लिस्ट में शामिल किए जाने के बाद.

भारत ने आधिकारिक तौर पर 2023 में टीआरएफ को आतंकवादी संगठन घोषित किया था. 2019 में अपनी स्थापना के बाद से समूह ने कई हमलों को अंजाम दिया और खुद को इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खतरे के रूप में स्थापित किया.

शेख सज्जाद गुल TRF का संस्थापक
शेख सज्जाद गुल, जिसे शेख सज्जाद के नाम से भी जाना जाता है, एक कश्मीरी आतंकवादी और प्रतिरोध मोर्चा का संस्थापक है. 14 जून 2018 को श्रीनगर में प्रमुख पत्रकार शुजात बुखारी और उनके दो निजी सुरक्षा अधिकारियों की हत्या के मामले में उसका नाम आया था.

आतंकवाद में उसकी संलिप्तता के कारण भारतीय गृह मंत्रालय ने 2022 में गुल को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी घोषित किया. टीआरएफ से जुड़े अन्य उल्लेखनीय आतंकवादियों में साजिद जट्ट और सलीम रहमानी शामिल हैं - सभी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हैं.

आतंकी संगठन की कार्यप्रणाली
पुलिस अधिकारी ने कहा कि टीआरएफ की रणनीति 2016 के बाद के उग्रवाद से अलग है. इसमें कोई फिदायीन हमलावर नहीं होता. कैडरों की बहुत कम तस्वीरें उपलब्ध हैं और वे जमीनी कार्यकर्ताओं के व्यापक आधार नेटवर्क के माध्यम से आसान टारगेट चुनते हैं. कार्यकर्ताओं की एक नई नस्ल तैयार की गई है जो सुरक्षा बलों के रडार पर नहीं हैं, जिससे उनका पता लगाना मुश्किल हो जाता है और हमला करना आसान हो जाता है.

तकनीक प्रेमी आतंकवादी
रेजिस्टेंस फ्रंट जम्मू-कश्मीर के लोगों को सरकार के खिलाफ आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए उकसाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन में शामिल है. इस फेसलेस और तकनीक प्रेमी संगठन ने अपने मैसेज को प्रचारित करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया.

अधिकारियों का कहना है कि टीआरएफ ने कश्मीर में सीआरपीएफ और सेना पर हमलों को शूट करने के लिए गोप्रो जैसे बॉडी कैमरों का इस्तेमाल किया. टीआरएफ ने कश्मीरी पंडितों, सिखों, हिंदुओं और मुसलमानों सहित विभिन्न धार्मिक आधार पर लोगों को निशाना बनाया है.

ग्रुप द्वारा किए गए प्रमुख हमले
अप्रैल 2020: कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास 1 अप्रैल 2020 से शुरू हुई चार दिवसीय गोलीबारी की सूचना मिलने के बाद टीआरएफ का नाम पहली बार सामने आया. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से पांच घुसपैठियों ने केरन के दुर्गम इलाके में जमी बर्फ में पांच दिनों से अधिक समय तक कब्जा करके सुरक्षाकर्मियों को चौंका दिया.

सेना द्वारा कई दिनों तक चली गोलीबारी के बाद अच्छी तरह प्रशिक्षित और प्रेरित आतंकवादी मारे गए. इस दौरान एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) सहित पांच सैनिकों की जान चली गई.

30 अक्टूबर 2020: दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकवादियों ने भाजपा के तीन कार्यकर्ताओं की गोली मारकर हत्या कर दी. घटना के कुछ ही मिनटों बाद द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली.

26 नंवबर 2020: TRF के आतंकवादियों ने श्रीनगर के लवेपोरा इलाके के पास सेना की 2 राष्ट्रीय राइफल्स पर हुए हमले को फिल्माया. इसमें श्रीनगर-बारामुल्ला राजमार्ग पर दो सैनिकों को नजदीक से गोली मारते और हथियार छीनते हुए दिखाया गया. TRF ने हमलों का दावा करने और टारगेट लोगों के खिलाफ चार्जशीट जारी करने के लिए ट्विटर हैंडल का भी इस्तेमाल किया.

20 अक्टूब 2024: जम्मू-कश्मीर के गंदेरबल जिले के सोनमर्ग इलाके में रविवार शाम को एक निर्माण स्थल पर आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में एक डॉक्टर और छह प्रवासी श्रमिकों की मौत हो गई. अधिकारियों ने बताया कि यह हमला एक निर्माणाधीन सुरंग के पास हुआ था.

26 फरवरी 2023: कश्मीरी पंडित संजय शर्मा अपनी पत्नी के साथ कश्मीर के पुलवामा में स्थानीय बाजार की ओर जा रहे थे, तभी आतंकवादियों ने उन पर गोली चला दी. शर्मा, जो एक सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करते थे, को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन गोली लगने के कारण उनकी मौत हो गई. शर्मा की हत्या के पीछे आतंकवादी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) थी.

यह भी पढ़ें-पहलगाम आतंकी हमला: पीएम मोदी के निर्देश पर श्रीनगर रवाना हुए अमित शाह

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) की भूमिका होने का संदेह है. इस बीच सेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचेंद्र कुमार उधमपुर से जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर पहुंच रहे हैं.

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) का गठन किया गया था, जो शुरू में एक ऑनलाइन यूनिट के रूप में काम करता था. छह महीने के भीतर यह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) सहित विभिन्न गुटों के आतंकवादियों को इंटिग्रेट करके एक फिजिकल ग्रुप में विकसित हो गया.

TRF की स्थापना को पाकिस्तान द्वारा एक रणनीतिक पैंतरेबाजी के रूप में देखा गया था, जो उस समय अपने आतंकी फंडिंग संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के दबाव का जवाब दे रहा था.

पाकिस्तान की ISI ने किया निर्माण
माना जाता है कि टीआरएफ का निर्माण पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई द्वारा किया गया था, जिसका उद्देश्य लश्कर-ए-तैयबा से अंतरराष्ट्रीय ध्यान हटाना था. खासकर 2018 में पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की ग्रे लिस्ट में शामिल किए जाने के बाद.

भारत ने आधिकारिक तौर पर 2023 में टीआरएफ को आतंकवादी संगठन घोषित किया था. 2019 में अपनी स्थापना के बाद से समूह ने कई हमलों को अंजाम दिया और खुद को इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खतरे के रूप में स्थापित किया.

शेख सज्जाद गुल TRF का संस्थापक
शेख सज्जाद गुल, जिसे शेख सज्जाद के नाम से भी जाना जाता है, एक कश्मीरी आतंकवादी और प्रतिरोध मोर्चा का संस्थापक है. 14 जून 2018 को श्रीनगर में प्रमुख पत्रकार शुजात बुखारी और उनके दो निजी सुरक्षा अधिकारियों की हत्या के मामले में उसका नाम आया था.

आतंकवाद में उसकी संलिप्तता के कारण भारतीय गृह मंत्रालय ने 2022 में गुल को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी घोषित किया. टीआरएफ से जुड़े अन्य उल्लेखनीय आतंकवादियों में साजिद जट्ट और सलीम रहमानी शामिल हैं - सभी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हैं.

आतंकी संगठन की कार्यप्रणाली
पुलिस अधिकारी ने कहा कि टीआरएफ की रणनीति 2016 के बाद के उग्रवाद से अलग है. इसमें कोई फिदायीन हमलावर नहीं होता. कैडरों की बहुत कम तस्वीरें उपलब्ध हैं और वे जमीनी कार्यकर्ताओं के व्यापक आधार नेटवर्क के माध्यम से आसान टारगेट चुनते हैं. कार्यकर्ताओं की एक नई नस्ल तैयार की गई है जो सुरक्षा बलों के रडार पर नहीं हैं, जिससे उनका पता लगाना मुश्किल हो जाता है और हमला करना आसान हो जाता है.

तकनीक प्रेमी आतंकवादी
रेजिस्टेंस फ्रंट जम्मू-कश्मीर के लोगों को सरकार के खिलाफ आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए उकसाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन में शामिल है. इस फेसलेस और तकनीक प्रेमी संगठन ने अपने मैसेज को प्रचारित करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया.

अधिकारियों का कहना है कि टीआरएफ ने कश्मीर में सीआरपीएफ और सेना पर हमलों को शूट करने के लिए गोप्रो जैसे बॉडी कैमरों का इस्तेमाल किया. टीआरएफ ने कश्मीरी पंडितों, सिखों, हिंदुओं और मुसलमानों सहित विभिन्न धार्मिक आधार पर लोगों को निशाना बनाया है.

ग्रुप द्वारा किए गए प्रमुख हमले
अप्रैल 2020: कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास 1 अप्रैल 2020 से शुरू हुई चार दिवसीय गोलीबारी की सूचना मिलने के बाद टीआरएफ का नाम पहली बार सामने आया. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से पांच घुसपैठियों ने केरन के दुर्गम इलाके में जमी बर्फ में पांच दिनों से अधिक समय तक कब्जा करके सुरक्षाकर्मियों को चौंका दिया.

सेना द्वारा कई दिनों तक चली गोलीबारी के बाद अच्छी तरह प्रशिक्षित और प्रेरित आतंकवादी मारे गए. इस दौरान एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) सहित पांच सैनिकों की जान चली गई.

30 अक्टूबर 2020: दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकवादियों ने भाजपा के तीन कार्यकर्ताओं की गोली मारकर हत्या कर दी. घटना के कुछ ही मिनटों बाद द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली.

26 नंवबर 2020: TRF के आतंकवादियों ने श्रीनगर के लवेपोरा इलाके के पास सेना की 2 राष्ट्रीय राइफल्स पर हुए हमले को फिल्माया. इसमें श्रीनगर-बारामुल्ला राजमार्ग पर दो सैनिकों को नजदीक से गोली मारते और हथियार छीनते हुए दिखाया गया. TRF ने हमलों का दावा करने और टारगेट लोगों के खिलाफ चार्जशीट जारी करने के लिए ट्विटर हैंडल का भी इस्तेमाल किया.

20 अक्टूब 2024: जम्मू-कश्मीर के गंदेरबल जिले के सोनमर्ग इलाके में रविवार शाम को एक निर्माण स्थल पर आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में एक डॉक्टर और छह प्रवासी श्रमिकों की मौत हो गई. अधिकारियों ने बताया कि यह हमला एक निर्माणाधीन सुरंग के पास हुआ था.

26 फरवरी 2023: कश्मीरी पंडित संजय शर्मा अपनी पत्नी के साथ कश्मीर के पुलवामा में स्थानीय बाजार की ओर जा रहे थे, तभी आतंकवादियों ने उन पर गोली चला दी. शर्मा, जो एक सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करते थे, को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन गोली लगने के कारण उनकी मौत हो गई. शर्मा की हत्या के पीछे आतंकवादी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) थी.

यह भी पढ़ें-पहलगाम आतंकी हमला: पीएम मोदी के निर्देश पर श्रीनगर रवाना हुए अमित शाह

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