पहलगाम: जम्मू-कश्मीर में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत के एक दिन बाद पहलगाम में सन्नाटा पसरा है. दहशतगर्दों के भय से पर्यटक पर्यटन स्थल छोड़कर चले जा रहे हैं. यहां के बाजार भी बंद हैं.
बता दें कि आतंकवादियों का यह हमला श्रीनगर से 100 किलोमीटर दूर पहलगाम के घने जंगली इलाके में हुआ था. पहलगाम से 6 किलोमीटर दूर बसीरन नामक घास के मैदान में ये आतंकी हमला हुआ था.
दहशतगर्दों के इस कायराना हरकत के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ हमला स्थल बैसरन का दौरा किया. वारदात स्थल का दौरा करके शाह ने हमले के साजिशकर्ताओं को कड़ा संदेश दिया. अधिकारियों के मुताबिक यह हमला उस समय हुआ, जब सेना की वर्दी पहने आतंकवादी बैसरन के घास के मैदान में घुसे और अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी.
आतंकी हमले को लेकर एक आला अधिकारी ने कहा, 'साइट स्थल बैसरन तक पहुंचने के लिए घोड़े और टट्टू भी नहीं मिलते हैं. वहां मोबाइल कनेक्टिविटी भी ठीक नहीं है. इन हालात में पर्यटकों को वहां से निकालने में कुछ समय लगा.'
एक अन्य अधिकारी ने बचाए गए टूरिस्टों के हवाले से बताया कि हमलावरों ने उनसे पहले उनकी पहचान पूछी और गोलियां चलानी शुरू कर दी. उन्होंने बताया कि ये गोलीबारी लगभग 20 मिनट तक जारी रही.
वीरान लग रहे मुख्य पहलगाम बाजार में सुरक्षा बलों की सेवा में लगे एक स्वयंसेवक ने कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि पर्यटक घबराये हुए हैं, लेकिन हम इस दुख की घड़ी में उनके साथ खड़े होना चाहते हैं.'
आतंकी हमले के बाद पहलगाम की सभी दुकानें बंद हैं और वाहन सड़कों पर नहीं दिख रहे हैं. ऐसा देखा जा रहा है कि पर्यटक वाहन ही श्रीनगर की ओर लौट रहे हैं.
पहलगाम में जुबैर अहमद गेस्ट हाउस चलाते हैं. वे कहते हैं कि उनके यहां पर्यटकों के रहने के लिए 12 कमरे हैं. अब वो खाली हैं. उन्होंने बताया कि, 'कोलकाता से आए पर्यटकों का एक समूह हमारे यहां आया हुआ था, लेकिन वे सुबह ही यहां से चले गए.' उन्होंने बताया कि हमले के बाद लगभग 95 प्रतिशत पर्यटक यहां से चले गए हैं. इसी तरह से जुबेर के अलावा कई होटल व्यवसायियों ने भी बताया कि उनके पास से महीनों के लिए एडवॉंस बुकिंग है.
हालात का जायजा लेने पहुंचे ईटीवी भारत से महाराष्ट्र और कर्नाटक से आए कई पर्यटकों ने कहा कि हमले के कारण पैदा हुई दहशत की वजह से ही वो जल्द से जल्द इस जगह को छोड़ना चाहते हैं. इस दौरान इन पर्यटकों ने बताया कि उनके घरों से लगातार फोन आ रहे हैं. उन्हें हवाई अड्डे के लिए टैक्सी पकड़नी है.
150 सदस्यों वाले एक एसोसिएशन के अध्यक्ष मुश्ताक पहलगामी ने बताया कि पहलगाम में लगभग 400 होटल और गेस्ट हाउस हैं. इस समय वहां से पर्यटक लगातार जा रहे हैं.
इस बीच, रामबन में अचानक आई बाढ़ के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग 44 के बंद होने से पर्यटकों की चिंता और बढ़ गई है. कश्मीर की सैर करने आए कई लोगों ने बताया कि वे श्रीनगर हवाई अड्डे जा रहे हैं कि और वहां से अपने घरों को प्रस्थान करेंगे.
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू से आए नंद किशोर नामक कहते हैं कि 'हम यहां आराम करना चाहते थे, लेकिन यह हमारे जीवन का सबसे बुरा सपना बन गया. हम पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहते.'
वहीं एयरलाइन्स कंपनियों को जारी परामर्श में नागरिक उड्डयन महानिदेशक फैज अहमद किदवई ने कहा कि श्रीनगर से अपने गृह स्थानों को लौटने वाले पर्यटकों की मांग बढ़ गई है.
फैज अहमद किदवई ने श्रीनगर में फंसे पर्यटकों को निकालने के लिए अतिरिक्त उड़ानों की मांग की. साथ ही यात्रियों को रियायत देने के लिए एयरलाइंस कंपनियों को कहा है.
पहलगाम से पर्यटकों को निकालने को लेकर पूछे गए सवाल पर टूरिस्ट टैक्सी स्टैंड पहलगाम के अध्यक्ष नजीर अहमद शेख कहते हैं कि वे किसी शुल्क के टूरिस्टों को निकालने के लिए बिना ट्रांसपोर्ट उपलब्ध करा रहे हैं.
नजीर अहमद शेख ने ईटीवी भारत से कहा, 'यह पहलगाम पर नहीं, बल्कि पूरे कश्मीर पर हमला है. यह हमारे परिवारों पर हमला है, क्योंकि इसका हमारे जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है.'
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