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पहलगाम हमला: आतंकियों की क्रूरता अंतहीन कहानी, अतुल मोने की बेटी ने सुनाई आपबीती - PAHALGAM TERROR ATTACK

पहलगाम आतंकी हमले में ठाणे के रहने वाले तीन लोग मारे गए, जो अपने परिवार के साथ जम्मू-कश्मीर घूमने गए थे.

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पहलगाम हमला: आतंकियों की क्रूरता अंतहीन कहानी, अतुल मोने की बेटी ने सुनाई आपबीती (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 24, 2025 at 5:51 PM IST

2 Min Read

ठाणे: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में महाराष्ट्र के डोंबिवली के पर्यटक अतुल मोने की मौत हो गई. आतंकियों ने उनकी बेटी के सामने ही उन पर गोलियां चलाईं. अतुल की बेटी ऋचा मोने ने मीडिया से बात करते हुए आतंकी हमले की भयावह घटना को बयां किया और अपनी आपबीती सुनाई.

उन्होंने बताया कि 22 अप्रैल मंगलवार दोपहर जब पर्यटक पहाड़ियों पर घने जंगलों से घिरे बैसरन के घास के मैदान में मौज-मस्ती कर रहे थे, तभी अचानक पुलिस के वेश में आए आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. गोलीबारी में तीन लोग मारे गए, मेरे पिता, चाचा और मामा. मैंने फायरिंग कर रहे दो आतंकवादियों को देखा, उन्होंने मेरे सामने ही मेरे पिता को गोली मार दी. हमले के समय मेरे पिता 10 से 15 मिनट तक जमीन पर पड़े रहे, तभी स्थानीय निवासियों ने हमें नीचे भागने को कहा और कहा कि अपनी जान बचाओ.

परिवार यह सोचकर सदमे है कि वे चिल्लाने के अलावा अपने पिता, चाचा और चचेरे भाई को आतंकवादियों द्वारा उनकी आंखों के सामने मारे जाने को देखने के अलावा कुछ नहीं कर सकते थे.

अतुल मोने पश्चिम डोंबिवली के ठाकुरवाड़ी इलाके में रहते हैं. मोने की बेटी ऋचा मोने ने बताया कि यह दूसरी बार है जब वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ पर्यटन के लिए पहलगाम गए थे. उन्होंने कहा, "मैं पहली बार पहलगाम गई थी और यह घटना मेरे कश्मीर दौरे के पहले दिन घटी. अब हम सरकार से न्याय की उम्मीद करते हैं."

अतुल मोने मध्य रेलवे के परेल वर्कशॉप में डिवीजनल इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे. अतुल मोने के साथ डोंबिवली में रहने वाले हेमंत जोशी और संजय लेले भी घूमने के लिए पहलगाम गए थे. वह भी इस आतंकवादी हमले में मारे गए.

ऋचा ने बताया कि संजय लेले को आतंकवादी उनके परिवार से घसीटकर ले जा रहे थे, जबकि उनके परिवार के सदस्य मदद के लिए चिल्ला रहे थे. जब परिवार अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहा था, तो आतंकवादियों ने उनके पिता संजय लेले के सिर में गोली मार दी. संजय लेले के 20 वर्षीय बेटे हर्षल लेले ने दुख जताते हुए कहा है कि अपने पिता और चाचा के शव वापस लाने का मांग की.

यह भी पढ़ें- Explained: सिंधु जल संधि क्या है... कब हुआ था समझौता, पाकिस्तान के लिए क्यों जरूरी, जानें सबकुछ

ठाणे: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में महाराष्ट्र के डोंबिवली के पर्यटक अतुल मोने की मौत हो गई. आतंकियों ने उनकी बेटी के सामने ही उन पर गोलियां चलाईं. अतुल की बेटी ऋचा मोने ने मीडिया से बात करते हुए आतंकी हमले की भयावह घटना को बयां किया और अपनी आपबीती सुनाई.

उन्होंने बताया कि 22 अप्रैल मंगलवार दोपहर जब पर्यटक पहाड़ियों पर घने जंगलों से घिरे बैसरन के घास के मैदान में मौज-मस्ती कर रहे थे, तभी अचानक पुलिस के वेश में आए आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. गोलीबारी में तीन लोग मारे गए, मेरे पिता, चाचा और मामा. मैंने फायरिंग कर रहे दो आतंकवादियों को देखा, उन्होंने मेरे सामने ही मेरे पिता को गोली मार दी. हमले के समय मेरे पिता 10 से 15 मिनट तक जमीन पर पड़े रहे, तभी स्थानीय निवासियों ने हमें नीचे भागने को कहा और कहा कि अपनी जान बचाओ.

परिवार यह सोचकर सदमे है कि वे चिल्लाने के अलावा अपने पिता, चाचा और चचेरे भाई को आतंकवादियों द्वारा उनकी आंखों के सामने मारे जाने को देखने के अलावा कुछ नहीं कर सकते थे.

अतुल मोने पश्चिम डोंबिवली के ठाकुरवाड़ी इलाके में रहते हैं. मोने की बेटी ऋचा मोने ने बताया कि यह दूसरी बार है जब वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ पर्यटन के लिए पहलगाम गए थे. उन्होंने कहा, "मैं पहली बार पहलगाम गई थी और यह घटना मेरे कश्मीर दौरे के पहले दिन घटी. अब हम सरकार से न्याय की उम्मीद करते हैं."

अतुल मोने मध्य रेलवे के परेल वर्कशॉप में डिवीजनल इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे. अतुल मोने के साथ डोंबिवली में रहने वाले हेमंत जोशी और संजय लेले भी घूमने के लिए पहलगाम गए थे. वह भी इस आतंकवादी हमले में मारे गए.

ऋचा ने बताया कि संजय लेले को आतंकवादी उनके परिवार से घसीटकर ले जा रहे थे, जबकि उनके परिवार के सदस्य मदद के लिए चिल्ला रहे थे. जब परिवार अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहा था, तो आतंकवादियों ने उनके पिता संजय लेले के सिर में गोली मार दी. संजय लेले के 20 वर्षीय बेटे हर्षल लेले ने दुख जताते हुए कहा है कि अपने पिता और चाचा के शव वापस लाने का मांग की.

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