ओवैसी का NCERT की पाठ्यपुस्तक संशोधन पर RSS-BJP पर हमला, इतिहास से छेड़छाड़ का लगाया आरोप
एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल में भारत के विभाजन के लिए जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन को जिम्मेदार ठहराया गया है.

Published : August 17, 2025 at 8:33 AM IST
नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला करते हुए उन पर स्कूल एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में चुनिंदा बदलावों के माध्यम से इतिहास को व्यवस्थित रूप से विकृत करने का आरोप लगाया है.
एक टेलीविजन बहस में शनिवार को ओवैसी ने स्कूल के पाठ्यक्रम से महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्यों को हटाये जाने पर सवाल उठाया. इसमें बंगाल मंत्रिमंडल में भारतीय जनसंघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी की भूमिका के साथ-साथ फजलुल हक की भूमिका भी शामिल थी, जिन्होंने मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में पाकिस्तान प्रस्ताव पेश किया था.
एआईएमआईएम प्रमुख ने पूछा, 'आप यह क्यों नहीं पढ़ाते कि मुखर्जी कैबिनेट सदस्य थे? यह इतिहास है. इसे क्यों छिपाया जा रहा है?' उन्होंने आगे आरोप लगाया कि सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन और एंटी-सेटलमेंट सत्याग्रह (संभवतः रॉलेट सत्याग्रह, जो 1919 में रॉलेट एक्ट के खिलाफ महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन था) जैसे प्रमुख स्वतंत्रता आंदोलनों में आरएसएस की भागीदारी को जानबूझकर स्कूल की पाठ्यपुस्तकों से बाहर रखा गया है.
उन्होंने कहा, 'आप चुनिंदा चीजें सिखाते हैं और अपने वैचारिक नेताओं को बेदाग बताते हैं.' उन्होंने कहा कि सच्चाई को वैचारिक फिल्टर के बिना पढ़ाया जाना चाहिए. ओवैसी ने शैक्षिक सामग्री में प्रधानमंत्री के चित्रण को भी चुनौती दी और आरएसएस की प्रार्थना, शपथ और मूलभूत सिद्धांतों के बारे में पारदर्शिता का आग्रह किया.
उन्होंने कहा, 'आप अपनी विचारधारा को महान दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि दूसरों को बुरा बता रहे हैं. सब कुछ सिखाइए आप चीजें क्यों छिपा रहे हैं?' एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में पिछले कुछ वर्षों में व्यवस्थित तरीके से बदलाव किए जाने के सवाल पर ओवैसी ने कहा, 'आरएसएस और भाजपा की इतिहास बदलने की आदत हमेशा से रही है.
जब भी वे सत्ता में रहे हैं यह उनका प्राथमिक एजेंडा रहा है. ओवैसी ने यह भी कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार को एनसीईआरटी द्वारा पेश किए सिलेबस में शम्सुल इस्लाम की पुस्तक 'मुस्लिम्स अगेंस्ट पार्टिशन' को शामिल करना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'विभाजन के बारे में यह झूठ बार-बार दोहराया जाता है. उस समय दो से तीन प्रतिशत मुसलमानों को भी वोट देने का अधिकार नहीं था. केवल जमींदार और जागीरदार जैसे कुलीन वर्ग को ही मताधिकार दिया गया था. आज भी वे (आरएसएस और भाजपा) देश के बंटवारे के लिए हमें (मुसलमानों को) दोषी ठहराते हैं. हम इसके लिए कैसे जिम्मेदार हुए? जो भाग गए, भाग गए. एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा, 'जो लोग वफादार थे वे रुके रहे.' उनकी यह टिप्पणी सिलेबस डिजाइन में वैचारिक प्रभाव और शिक्षा के राजनीतिकरण को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच आई.

