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'ऑपरेशन सिंदूर ने तीनों सेनाओं का तालमेल दिखाया', रक्षा मंत्रालय ने दी डिटेल - OPERATION SINDOOR

ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम हमले के जवाब में भारत की एक सफल, सुनियोजित और खुफिया-आधारित जवाबी कार्रवाई थी, जिसने पाकिस्तान के हमलों को विफल कर दिय.

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बाएं से दाएं; एयर मार्शल ए.के. भारती, सैन्य संचालन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई, वाइस एडमिरल ए.एन. प्रमोद और मेजर जनरल एस.एस. शारदा नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए (ap)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 19, 2025 at 12:52 AM IST

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नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने रविवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली ने तालमेल की शक्ति और रणनीतिक दूरदर्शिता का प्रदर्शन किया. इस ऑपरेशन में तीनों सेनाओं की संतुलित प्रतिक्रिया प्रदर्शित हुई, जिसमें सटीकता, पेशेवर अंदाज और उद्देश्य की झलक मिली.

ऑपरेशन सिंदूर पर प्रकाश डालते हुए रक्षा मंत्रालय ने कहा कि पहलगाम हमले के जवाब में भारत की कार्रवाई सावधानीपूर्वक तैयार योजना और खुफिया जानकारी पर आधारित दृष्टिकोण पर केंद्रित थी, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि ऑपरेशन न्यूनतम क्षति के साथ संचालित किया गया.

प्रभावी ढंग से निष्प्रभावी हुए हमले
इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान ने प्रमुख भारतीय वायु सैनिक अड्डों और साजो-सामान संबंधी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर हमले शुरू किए. मंत्रालय ने कहा कि हालांकि इन कोशिशों को भारत की व्यापक और बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली द्वारा प्रभावी ढंग से निष्प्रभावी कर दिया गया.

इस सफलता का मुख्य कारण एकीकृत कमान और नियंत्रण रणनीति (आईसीसीएस) थी, जिसने विभिन्न क्षेत्रों में वास्तविक समय में खतरे की पहचान, आकलन और रोकथाम को संभव बनाया. मंत्रालय ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के प्रत्येक क्षेत्र में सेनाओं के बीच प्रभावशाली तालमेल था और सरकार, एजेंसियों और विभागों द्वारा पूर्ण सहयोग दिया गया. यह आपरेशन भूमि, वायु और समुद्र में किया गया.

यह भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना के बीच तालमेल का एक निर्बाध प्रदर्शन था. वायु सेना ने पाकिस्तान में आतंकवादी बुनियादी ढांचे के खिलाफ सटीक हमले करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वायु सेना ने नूर खान एयर बेस और रहीमयार खान एयर बेस जैसे लक्ष्यों पर उच्च प्रभाव वाले हवाई अभियान चलाए. वायु सेना का मजबूत वायु रक्षा तंत्र सीमा पार से ड्रोन और यूएवी हमलों के जवाब में भारतीय हवाई क्षेत्र की रक्षा करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ.

सफलता के कारक: आठ प्रमुख सरकारी पहल
सरकार ने सशस्त्र बलों के बीच आठ प्रमुख सरकारी नेतृत्व वाली समन्वय पहलों को इस ऑपरेशन की सफलता का श्रेय दिया है. इनमें शामिल हैं:

  1. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का निर्माण
  2. एकीकृत थिएटर कमांड (आईटीसी) की स्थापना
  3. सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) का गठन
  4. अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम, 2023 को लागू करना
  5. संयुक्त रसद नोड्स (जेएलएन) की स्थापना
  6. संयुक्त प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, सेमिनार और अभ्यास का आयोजन
  7. प्रौद्योगिकी एकीकरण और नेटवर्क-केंद्रित युद्ध पर जोर
  8. 'रक्षा सुधार का वर्ष' - 2025 को मनाना

खुफिया जानकारी और नैतिकता
मल्टी-एजेंसी इंटेलिजेंस ने नौ प्रमुख शिविरों की पुष्टि की, जिन्हें अंततः ऑपरेशन में निशाना बनाया गया था. भारत की जवाबी कार्रवाई सावधानीपूर्वक योजना और खुफिया जानकारी पर आधारित थी, जिसने सुनिश्चित किया कि ऑपरेशन न्यूनतम क्षति के साथ संचालित किए गए थे. ऑपरेशनल नैतिकता मिशन के लिए केंद्रीय थी, और नागरिक नुकसान से बचने के लिए संयम बरता गया था.

पाकिस्तान का जवाब और भारत की रक्षा प्रणाली
सरकार ने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद, पाकिस्तान ने भारतीय हवाई ठिकानों और रसद बुनियादी ढांचे को लक्षित करते हुए जवाबी ड्रोन और यूएवी हमलों की एक श्रृंखला शुरू की. हालांकि, इन प्रयासों को भारत की व्यापक और बहुस्तरीय वायु रक्षा वास्तुकला द्वारा प्रभावी रूप से बेअसर कर दिया गया. एकीकृत कमान और नियंत्रण रणनीति (ICCS) ने कई डोमेन में वास्तविक समय में खतरे की पहचान, आकलन और अवरोधन में भी मदद की.

सरकार ने कहा, "'ऑपरेशन सिंदूर' के हर एक डोमेन में, बलों के बीच परिचालन तालमेल था और सरकार, एजेंसियों और विभागों द्वारा इसका पूरा समर्थन किया गया था।" भूमि, वायु और समुद्र में अभियान यह अभियान भूमि, वायु और समुद्र में चलाया गया, जो भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना के बीच तालमेल का एक सहज प्रदर्शन था.

बयान में कहा गया है, "भारतीय वायु सेना (IAF) ने पाकिस्तान में आतंकी ढाँचे के खिलाफ सटीक हमले करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसने नूर खान एयर बेस और रहीमयार खान एयर बेस जैसे लक्ष्यों पर उच्च प्रभाव वाले हवाई अभियान चलाए."

सीमा पार से जवाबी ड्रोन और यूएवी हमलों के दौरान भारतीय हवाई क्षेत्र की सुरक्षा में वायु सेना का मजबूत वायु रक्षा वातावरण महत्वपूर्ण साबित हुआ. स्वदेशी रूप से विकसित आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली और पिकोरा और OSA-AK जैसे विरासत प्लेटफार्मों को एक स्तरित रक्षा ग्रिड में प्रभावी ढंग से तैनात किया गया था. IAF की एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली ने हवाई संपत्तियों के वास्तविक समय के समन्वय को सक्षम किया, जिससे भारतीय सेना हवाई खतरों को कुशलतापूर्वक बेअसर कर सकी और पूरे संघर्ष के दौरान नेट-केंद्रित संचालन बनाए रख सकी.

भारतीय सेना की तैयारी और प्रभावशीलता
भारतीय सेना ने रक्षात्मक और आक्रामक दोनों भूमिकाओं में अपनी तैयारी और प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया. सेना की वायु रक्षा इकाइयों ने वायु सेना के साथ मिलकर काम किया, जिसमें कंधे से दागे जाने वाले MANPADS और LLAD गन से लेकर लंबी दूरी की SAM तक की कई तरह की प्रणालियाँ तैनात की गईं. ये इकाइयाँ पाकिस्तान द्वारा लॉन्च किए गए ड्रोन और घूमते हुए हथियारों की लहरों का मुकाबला करने में सहायक थीं. पाकिस्तान द्वारा नुकसान पहुँचाने के अथक प्रयासों के बावजूद, भारतीय सेना सैन्य और नागरिक दोनों बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सफल रही.

भरतीय नौसेना द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय नौसेना ने समुद्री प्रभुत्व स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. एक समग्र नेटवर्क बल के रूप में काम करते हुए, नौसेना ने मिग-29K लड़ाकू जेट और हवाई प्रारंभिक चेतावनी हेलीकॉप्टरों से लैस अपने कैरियर बैटल ग्रुप (CBG) को तैनात किया. इसने निरंतर निगरानी और वास्तविक समय की पहचान सुनिश्चित की

यह भी पढ़ें- NSA अजीत डोभाल और ईरान के सिक्योरिटी चीफ के बीच हुई बातचीत, चाबहार पोर्ट और क्षेत्रीय शांति पर चर्चा

नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने रविवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली ने तालमेल की शक्ति और रणनीतिक दूरदर्शिता का प्रदर्शन किया. इस ऑपरेशन में तीनों सेनाओं की संतुलित प्रतिक्रिया प्रदर्शित हुई, जिसमें सटीकता, पेशेवर अंदाज और उद्देश्य की झलक मिली.

ऑपरेशन सिंदूर पर प्रकाश डालते हुए रक्षा मंत्रालय ने कहा कि पहलगाम हमले के जवाब में भारत की कार्रवाई सावधानीपूर्वक तैयार योजना और खुफिया जानकारी पर आधारित दृष्टिकोण पर केंद्रित थी, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि ऑपरेशन न्यूनतम क्षति के साथ संचालित किया गया.

प्रभावी ढंग से निष्प्रभावी हुए हमले
इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान ने प्रमुख भारतीय वायु सैनिक अड्डों और साजो-सामान संबंधी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर हमले शुरू किए. मंत्रालय ने कहा कि हालांकि इन कोशिशों को भारत की व्यापक और बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली द्वारा प्रभावी ढंग से निष्प्रभावी कर दिया गया.

इस सफलता का मुख्य कारण एकीकृत कमान और नियंत्रण रणनीति (आईसीसीएस) थी, जिसने विभिन्न क्षेत्रों में वास्तविक समय में खतरे की पहचान, आकलन और रोकथाम को संभव बनाया. मंत्रालय ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के प्रत्येक क्षेत्र में सेनाओं के बीच प्रभावशाली तालमेल था और सरकार, एजेंसियों और विभागों द्वारा पूर्ण सहयोग दिया गया. यह आपरेशन भूमि, वायु और समुद्र में किया गया.

यह भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना के बीच तालमेल का एक निर्बाध प्रदर्शन था. वायु सेना ने पाकिस्तान में आतंकवादी बुनियादी ढांचे के खिलाफ सटीक हमले करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वायु सेना ने नूर खान एयर बेस और रहीमयार खान एयर बेस जैसे लक्ष्यों पर उच्च प्रभाव वाले हवाई अभियान चलाए. वायु सेना का मजबूत वायु रक्षा तंत्र सीमा पार से ड्रोन और यूएवी हमलों के जवाब में भारतीय हवाई क्षेत्र की रक्षा करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ.

सफलता के कारक: आठ प्रमुख सरकारी पहल
सरकार ने सशस्त्र बलों के बीच आठ प्रमुख सरकारी नेतृत्व वाली समन्वय पहलों को इस ऑपरेशन की सफलता का श्रेय दिया है. इनमें शामिल हैं:

  1. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का निर्माण
  2. एकीकृत थिएटर कमांड (आईटीसी) की स्थापना
  3. सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) का गठन
  4. अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम, 2023 को लागू करना
  5. संयुक्त रसद नोड्स (जेएलएन) की स्थापना
  6. संयुक्त प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, सेमिनार और अभ्यास का आयोजन
  7. प्रौद्योगिकी एकीकरण और नेटवर्क-केंद्रित युद्ध पर जोर
  8. 'रक्षा सुधार का वर्ष' - 2025 को मनाना

खुफिया जानकारी और नैतिकता
मल्टी-एजेंसी इंटेलिजेंस ने नौ प्रमुख शिविरों की पुष्टि की, जिन्हें अंततः ऑपरेशन में निशाना बनाया गया था. भारत की जवाबी कार्रवाई सावधानीपूर्वक योजना और खुफिया जानकारी पर आधारित थी, जिसने सुनिश्चित किया कि ऑपरेशन न्यूनतम क्षति के साथ संचालित किए गए थे. ऑपरेशनल नैतिकता मिशन के लिए केंद्रीय थी, और नागरिक नुकसान से बचने के लिए संयम बरता गया था.

पाकिस्तान का जवाब और भारत की रक्षा प्रणाली
सरकार ने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद, पाकिस्तान ने भारतीय हवाई ठिकानों और रसद बुनियादी ढांचे को लक्षित करते हुए जवाबी ड्रोन और यूएवी हमलों की एक श्रृंखला शुरू की. हालांकि, इन प्रयासों को भारत की व्यापक और बहुस्तरीय वायु रक्षा वास्तुकला द्वारा प्रभावी रूप से बेअसर कर दिया गया. एकीकृत कमान और नियंत्रण रणनीति (ICCS) ने कई डोमेन में वास्तविक समय में खतरे की पहचान, आकलन और अवरोधन में भी मदद की.

सरकार ने कहा, "'ऑपरेशन सिंदूर' के हर एक डोमेन में, बलों के बीच परिचालन तालमेल था और सरकार, एजेंसियों और विभागों द्वारा इसका पूरा समर्थन किया गया था।" भूमि, वायु और समुद्र में अभियान यह अभियान भूमि, वायु और समुद्र में चलाया गया, जो भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना के बीच तालमेल का एक सहज प्रदर्शन था.

बयान में कहा गया है, "भारतीय वायु सेना (IAF) ने पाकिस्तान में आतंकी ढाँचे के खिलाफ सटीक हमले करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसने नूर खान एयर बेस और रहीमयार खान एयर बेस जैसे लक्ष्यों पर उच्च प्रभाव वाले हवाई अभियान चलाए."

सीमा पार से जवाबी ड्रोन और यूएवी हमलों के दौरान भारतीय हवाई क्षेत्र की सुरक्षा में वायु सेना का मजबूत वायु रक्षा वातावरण महत्वपूर्ण साबित हुआ. स्वदेशी रूप से विकसित आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली और पिकोरा और OSA-AK जैसे विरासत प्लेटफार्मों को एक स्तरित रक्षा ग्रिड में प्रभावी ढंग से तैनात किया गया था. IAF की एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली ने हवाई संपत्तियों के वास्तविक समय के समन्वय को सक्षम किया, जिससे भारतीय सेना हवाई खतरों को कुशलतापूर्वक बेअसर कर सकी और पूरे संघर्ष के दौरान नेट-केंद्रित संचालन बनाए रख सकी.

भारतीय सेना की तैयारी और प्रभावशीलता
भारतीय सेना ने रक्षात्मक और आक्रामक दोनों भूमिकाओं में अपनी तैयारी और प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया. सेना की वायु रक्षा इकाइयों ने वायु सेना के साथ मिलकर काम किया, जिसमें कंधे से दागे जाने वाले MANPADS और LLAD गन से लेकर लंबी दूरी की SAM तक की कई तरह की प्रणालियाँ तैनात की गईं. ये इकाइयाँ पाकिस्तान द्वारा लॉन्च किए गए ड्रोन और घूमते हुए हथियारों की लहरों का मुकाबला करने में सहायक थीं. पाकिस्तान द्वारा नुकसान पहुँचाने के अथक प्रयासों के बावजूद, भारतीय सेना सैन्य और नागरिक दोनों बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सफल रही.

भरतीय नौसेना द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय नौसेना ने समुद्री प्रभुत्व स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. एक समग्र नेटवर्क बल के रूप में काम करते हुए, नौसेना ने मिग-29K लड़ाकू जेट और हवाई प्रारंभिक चेतावनी हेलीकॉप्टरों से लैस अपने कैरियर बैटल ग्रुप (CBG) को तैनात किया. इसने निरंतर निगरानी और वास्तविक समय की पहचान सुनिश्चित की

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