चरला/वेंकटपुरम: तेलंगाना-छत्तीसगढ़ सीमा पर स्थित बीजापुर जिले के कर्रेगुट्टाला जंगलों में 'ऑपरेशन कगार' माओवादी विरोधी अभियान जारी है. मंगलवार को लगातार 8 वें दिन अभियान चला. हेलिकॉप्टर द्वारा गलगाम से अतिरिक्त बल भेजा जा रहा है, जबकि थके हुए कर्मियों को हटाकर उनकी जगह नई बैकअप इकाइयों को लगाया जा रहा है.
क्यों चलाया जा रहा अभियानः स्थानीय सूत्रों ने बताया कि सुबह से दोपहर तक नांबी, गलगाम, पूजारीकंकर, नाडिल्ली और आस-पास के गांवों में कई विस्फोटों की आवाजें सुनी गईं. सुरक्षा बल इन इलाके में लगाए गए आईईडी को निष्क्रिय करने के प्रयास में लगे थे. इस अभियान का उद्देश्य क्षेत्र में डेरा डाले हुए प्रमुख माओवादी नेतृत्व को बेअसर करना है.
छत्तीसगढ़ में बैठकः इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) प्रमुख तपन डेका अभियान की समीक्षा करने के लिए रायपुर पहुंचे. उन्होंने राज्य पुलिस मुख्यालय में डीजीपी अरुणदेव गौतम, नक्सल ऑपरेशन एडीजी विवेकानंद सिन्हा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा की. हाल ही में हुई आतंकवादी घटना के बाद देश भर में जारी अलर्ट के मद्देनजर डेका का दौरा महत्वपूर्ण है. बस्तर के आईजी सुंदरराज ने इस अभियान को छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई बताया.
जंगलों में अंदर तक घुसी सेनाः मुलुगु जिले (तेलंगाना) के वेंकटपुरम और वाजेदु मंडलों और उसुर (बीजापुर, छत्तीसगढ़) में भारी तैनाती देखी गई. मंगलवार को, लगभग 2 हजार जवान विशेष काफिलों के माध्यम से पहुंचे. रिपोर्ट बताती है कि जंगल युद्ध में अनुभवी झारखंड से विशेष फोर्स को मिशन को मजबूत करने के लिए बुलाया गया है.
हेलिकॉप्टर से पहुंचाया जा रहा सामानः वेंकटपुरम में हेलीकॉप्टर गश्त फिर से शुरू हो गई. मंगलवार को दो हेलिकॉप्टरों से छह उड़ानें भरी गईं. भोजन, पीने का पानी, हथियार और गोला-बारूद जैसी आपूर्तियां उच्च भूभाग पर काम करने वाली टीमों को पहुंचाया गया. अभयारण्य के अंदर पामुनूर से 8 किमी दूर स्थित एक नव स्थापित फ़ॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (FOB) भी शामिल है.
नक्सलियों के ठिकानों की तलाशः खुफिया सूत्रों ने बताया कि माओवादियों ने ऑपरेशन से पहले वेंकटपुरम, उसुर और चर्ला से खाद्य सामग्री और उपकरण जमा कर लिए थे. सेना अब संदिग्ध स्थानों की तलाशी ले रही है. जिससे यह पता लगाया जा सकेगा कि ये आपूर्ति कहां ले जाई गई और चरमपंथी कहां फिर से इकट्ठा हो सकते हैं.
क्या है ऑपरेशन कगार: ऑपरेशन कगार का उद्देश्य नक्सलियों का उन्मूलन करना है. इस अभियान में उन माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है जिन्होंने सरकार के सामने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया है. साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार, 2025 के पहले तीन महीनों में छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों द्वारा 140 से अधिक माओवादियों को मार गिराया गया. यह आंकड़ा छत्तीसगढ़ में वर्ष 2024 में होने वाली कुल मृत्यु संख्या के आधे से भी अधिक है, जोकि 235 है.
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