गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को कहा कि राज्य में वक्फ अधिनियम, 2025 के खिलाफ कोई विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि आंदोलनकारी सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखें. इस महीने की शुरुआत में इसके वक्फ अधिनियमित बनने के बाद कई व्यक्तियों और समूहों ने विवादास्पद कानून को चुनौती दी है.
हालांकि, सत्ता पक्ष का कहना है कि इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के कामकाज में सुधार करना, जटिलताओं को दूर करना, पारदर्शिता सुनिश्चित करना और प्रौद्योगिकी-संचालित प्रबंधन शुरू करना है.
सरमा ने संवाददाताओं से कहा, "मामला सुप्रीम कोर्ट में है. अगर किसी को कुछ कहना है तो कृपया इसे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखें, क्योंकि वहां इस पर उचित चर्चा हो सकती है. अगर कोई वक्फ अधिनियम के खिलाफ असम में सड़कों पर उतरता है, तो लोग भी कानून के समर्थन में सड़कों पर उतरेंगे. इससे टकराव होगा, जो हम नहीं चाहते हैं."
'हमें किसी संघर्ष की जरूरत नहीं है'
उन्होंने ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन को याद दिलाया कि अगर संगठन कानून का विरोध करता है, तो ऐसे लोग भी हैं जो इसका समर्थन करते हैं. उन्होंने कहा, "हमें किसी संघर्ष की जरूरत नहीं है. असम की तरक्की के लिए भाईचारा कायम रहना चाहिए. इसलिए हमें अच्छे और बुरे में फर्क करना आना चाहिए. अगर कोई वक्फ एक्ट का विरोध करता है, तो मुझे उससे कुछ नहीं कहना और मैं उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाने का सुझाव देता हूं."
सरमा ने कहा, "जो लोग इस कानून का समर्थन कर रहे हैं, उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए. हम कल इस कानून के समर्थन में अदालत गए थे, लेकिन हम सड़कों पर कुछ भी होने नहीं देंगे."
प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प
बता दें कि रविवार को असम के कछार जिले में वक्फ कानून के खिलाफ रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया, जबकि कानून लागू करने वालों ने उन्हें लाठियों से खदेड़ दिया. झड़प के बाद कछार जिला प्रशासन ने पूरे जिले में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी.
क्या है विवाद?
बता दें कि इस अधिनियम में प्रस्ताव है कि कलेक्टर से ऊपर के रैंक का कोई अधिकारी वक्फ के रूप में दावा की गई सरकारी संपत्तियों की जांच करेगा. विवाद की स्थिति में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का अंतिम निर्णय होगा कि संपत्ति वक्फ की है या सरकार की.
यह पहले की व्यवस्था की जगह लेगा, जहां ऐसे निर्णय वक्फ न्यायाधिकरण द्वारा लिए जाते थे. इस अधिनियम में समावेशिता के लिए केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने की भी अनुमति दी गई है.
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