रांची: नक्सल के लाल गलियारे में खौफ का साया पसरा हुआ है. यह पहली बार हुआ है जब बंदूक के बल पर सत्ता हथियाने का ख्वाब देखने वाले नक्सली, अब सरकार से सीजफायर करने की भीख मांग रहे हैं. एक महीने के अंदर यह दूसरा अवसर है जब छत्तीसगढ़ के नक्सलियों द्वारा सरकार से युद्ध विराम करने के लिए पत्र जारी किया गया है.
भाकपा माओवादियों ने दोबारा लिखा पत्र
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ चल रहे निर्णायक लड़ाई ने भाकपा माओवादियों के बीच दहशत का माहौल है. भाकपा माओवादियों के उत्तर पश्चिम ब्यूरो के प्रभारी रुपेश ने एक बार फिर पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की है. 8 अप्रैल 2025 को लिखे गए पत्र में लाल अक्षरों से स्पष्ट लिखा गया है कि वह शांति वार्ता के लिए तैयार हैं.

नक्सलियों द्वारा लिखे गए पत्र में यह लिखा गया है कि शांति वार्ता हमारे सीसी के दायरे का विषय है. इन कमेटी को मीडिया में आने वाले समाचार को देखना और तुरंत अपनी प्रतिक्रिया देने में अब कई तकनीकी अड़चने आ रही हैं. सुरक्षा कारणों से हमारे शीर्ष कमेटी की तरफ से तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दे पाने की स्थिति बन गई है. पत्र में यह भी लिखा गया है कि हमारे केंद्रीय कमेटी की तरफ से हाल में ही शांति वार्ता को लेकर एक बयान जारी हुआ था. उस बयान में भी यही अनुरोध किया गया था कि वार्ता के लिए अनुकूल माहौल चाहिए.

छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने इस पर प्रतिक्रिया भी दी थी. जिसमें उन्होंने केंद्रीय कमेटी के बयान को स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया था, कि वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने की बात कही गई थी. नक्सलियों के द्वारा पत्र में लिखा गया है कि शांति वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ने से संबंधित निर्णय लेने के लिए उन्हें कुछ बड़े साथियों से मिलना है. इसके साथ ही स्थानीय नेतृत्व की भी राय लेना जरूरी है. लेकिन चल रहे अभियानों के बीच यह सब नहीं हो पाया है. नक्सलियों ने मांग करते हुए कहा है कि बस्तर में चल रहे अभियान पर फौरन ब्रेक लगना चाहिए. ताकि शांति वार्ता की पहल शुरू हो सके. सरकार की तरफ से इस मामले में सकारात्मक संकेत मिलते हैं, तो संगठन इस पर काम शुरू कर देगा.
बस्तर से नहीं भागे बड़े नक्सली
छत्तीसगढ़ के बस्तर में लगातार नक्सलियों के मारे जाने के बाद यह सूचना सामने आई थी कि जंगलों में मौजूद बड़े नक्सली नेता राज्य छोड़कर झारखंड जैसे राज्यों में शरण ले रहे हैं. पत्र में इस बात का खंडन किया गया है. पत्र में लिखा गया है कि बस्तर से उनका नेतृत्व दूसरे राज्यों में भाग जाने की बात सही नहीं है. संगठन के नेताओं को अपनी जिम्मेदारियों के तहत और आंदोलन की दिशा को आगे बढ़ाने के लिए भ्रमण करना पड़ता है.
हर हाल में चाहते हैं युद्ध विराम
एक समय ऐसा भी था जब छत्तीसगढ़ में नक्सली एक साथ 70 से ज्यादा सुरक्षा कर्मियों को मौत के घाट उतार देते थे. आज वही नक्सली पुलिस के खौफ में है. छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खात्मे के लिए चल रहे अभियान की वजह से पूरा संगठन ही बैकफुट पर है. पत्र में नक्सलियों के द्वारा पुलिस वालों से भी रहम करने की भीख मांगी गई है.
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