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उत्तराखंड में पहली बार सामाजिक न्याय और अधिकारिता का राष्ट्रीय चिंतन शिविर आयोजित, कई दिग्गज कर रहे शिरकत - SOCIAL JUSTICE AND EMPOWERMENT

सामाजिक न्याय और अधिकारिता के राष्ट्रीय चिंतन शिविर में कई विषयों पर की जा रही चर्चा, केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कही खास बातें

National Chintan Shivir on Social Justice and Empowerment
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से आयोजित चिंतन शिविर (फोटो सोर्स- X@pushkardhami)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 7, 2025 at 6:02 PM IST

3 Min Read

देहरादून: उत्तराखंड में पहली बार सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से दो दिवसीय राष्ट्रीय 'चिंतन शिविर' का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार समेत तमाम दिग्गजों ने शिरकत की और अपने विचार साझा किए. वहीं, सीएम धामी ने कहा कि चिंतन शिविर से जो भी निष्कर्ष सामने आएंगे, वे समावेशी विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे.

इन विषयों पर हो रही चर्चा: तीन दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर में तमाम छात्रवृत्ति योजनाओं, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना, अनुदान योजनाओं, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों, दिव्यांगजनों, वरिष्ठ नागरिकों, सफाई कर्मचारियों, ट्रांसजेंडर्स के कल्याण के लिए संचालित योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू करने पर चर्चा किया जा रहा है.

'केंद्र सरकार की नीतियों से बीते एक दशक में देशभर में करीब 30 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल चुके हैं. उत्तराखंड के लिए गौरव का विषय है कि यहां सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण विषय पर राष्ट्रीय स्तर का चिंतन शिविर आयोजित किया जा रहा है. ये चिंतन शिविर बाबा साहब अंबेडकर और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे मनीषियों के चिंतन का विस्तार भी है. इस शिविर में आयोजित होने वाले संवाद से भविष्य में अपनाई जाने वाली सामाजिक सशक्तिकरण की नीतियों का रोडमैप तैयार होगा.' - पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड

सीएम पुष्कर धामी ने कहा कि पहले कई दशकों तक देश में समाज कल्याण विभाग कुछ गिने-चुने कार्यों तक ही सीमित माना जाता था, लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रधान सेवक बनने के बाद अपनाई गई नीतियों और योजनाओं से बीते एक दशक में देश के करीब 30 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आने में सफल रहे हैं. राज्य सरकार सामाजिक न्याय की अवधारणा को धरातल पर उतारने की दिशा में काम कर रही है.

इसके अलावा उन्होंने कहा कि देश में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से बुजुर्गों, विधवाओं एवं दिव्यांगजनों को विशेष पेंशन देकर उनका जीवन स्तर सुधारा जा रहा है. वहीं, छात्रों को छात्रवृत्ति दी जा रही है. तमाम योजनाओं और नीतियों के जरिए स्वरोजगार एवं उद्यमिता को प्रोत्साहित कर अति पिछड़े वर्ग को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है.

'सरकारी योजनाओं का लाभ वंचित समुदाय तक पहुंचाने में राज्यों की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है. चिंतन शिविर का उद्देश्य योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर तालमेल बनाना ही है. जब आगरा से चिंतन शिविर का सफर शुरू किया गया था, तब उस कार्यक्रम में सिर्फ 8 राज्यों का प्रतिनिधित्व रहा था और 12 राज्यों के अधिकारी उस कार्यक्रम में पहुंचे थे, लेकिन देहरादून के चिंतन शिविर में 25 राज्यों का प्रतिनिधित्व हो रहा है.'- वीरेंद्र कुमार, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री

इसके अलावा नशामुक्त भारत अभियान का खास तौर पर जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि 'ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि छात्र, युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं. केंद्र और राज्यों को इस चुनौती से मिलकर निबटना है.' वहीं, इस राष्ट्रीय चिंतन शिविर में कैबिनेट मंत्री एवं राज्य मंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड समेत 25 राज्य सरकारों के कैबिनेट और राज्यमंत्री, तमाम राज्यों के समाज कल्याण विभाग के अधिकारी शामिल हुए.

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देहरादून: उत्तराखंड में पहली बार सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से दो दिवसीय राष्ट्रीय 'चिंतन शिविर' का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार समेत तमाम दिग्गजों ने शिरकत की और अपने विचार साझा किए. वहीं, सीएम धामी ने कहा कि चिंतन शिविर से जो भी निष्कर्ष सामने आएंगे, वे समावेशी विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे.

इन विषयों पर हो रही चर्चा: तीन दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर में तमाम छात्रवृत्ति योजनाओं, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना, अनुदान योजनाओं, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों, दिव्यांगजनों, वरिष्ठ नागरिकों, सफाई कर्मचारियों, ट्रांसजेंडर्स के कल्याण के लिए संचालित योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू करने पर चर्चा किया जा रहा है.

'केंद्र सरकार की नीतियों से बीते एक दशक में देशभर में करीब 30 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल चुके हैं. उत्तराखंड के लिए गौरव का विषय है कि यहां सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण विषय पर राष्ट्रीय स्तर का चिंतन शिविर आयोजित किया जा रहा है. ये चिंतन शिविर बाबा साहब अंबेडकर और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे मनीषियों के चिंतन का विस्तार भी है. इस शिविर में आयोजित होने वाले संवाद से भविष्य में अपनाई जाने वाली सामाजिक सशक्तिकरण की नीतियों का रोडमैप तैयार होगा.' - पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड

सीएम पुष्कर धामी ने कहा कि पहले कई दशकों तक देश में समाज कल्याण विभाग कुछ गिने-चुने कार्यों तक ही सीमित माना जाता था, लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रधान सेवक बनने के बाद अपनाई गई नीतियों और योजनाओं से बीते एक दशक में देश के करीब 30 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आने में सफल रहे हैं. राज्य सरकार सामाजिक न्याय की अवधारणा को धरातल पर उतारने की दिशा में काम कर रही है.

इसके अलावा उन्होंने कहा कि देश में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से बुजुर्गों, विधवाओं एवं दिव्यांगजनों को विशेष पेंशन देकर उनका जीवन स्तर सुधारा जा रहा है. वहीं, छात्रों को छात्रवृत्ति दी जा रही है. तमाम योजनाओं और नीतियों के जरिए स्वरोजगार एवं उद्यमिता को प्रोत्साहित कर अति पिछड़े वर्ग को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है.

'सरकारी योजनाओं का लाभ वंचित समुदाय तक पहुंचाने में राज्यों की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है. चिंतन शिविर का उद्देश्य योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर तालमेल बनाना ही है. जब आगरा से चिंतन शिविर का सफर शुरू किया गया था, तब उस कार्यक्रम में सिर्फ 8 राज्यों का प्रतिनिधित्व रहा था और 12 राज्यों के अधिकारी उस कार्यक्रम में पहुंचे थे, लेकिन देहरादून के चिंतन शिविर में 25 राज्यों का प्रतिनिधित्व हो रहा है.'- वीरेंद्र कुमार, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री

इसके अलावा नशामुक्त भारत अभियान का खास तौर पर जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि 'ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि छात्र, युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं. केंद्र और राज्यों को इस चुनौती से मिलकर निबटना है.' वहीं, इस राष्ट्रीय चिंतन शिविर में कैबिनेट मंत्री एवं राज्य मंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड समेत 25 राज्य सरकारों के कैबिनेट और राज्यमंत्री, तमाम राज्यों के समाज कल्याण विभाग के अधिकारी शामिल हुए.

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