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पिथौरागढ़ के सेलीपाख में मिली रहस्यमयी गुफा, अंदर मिले नर कंकाल, बढ़ी लोगों की उत्सुकता - PITHORAGARH CAVE FOUND

पिथौरागढ़ जिले के सेलीपाख में तरूण मेहरा ने की रहस्यमयी गुफा की पड़ताल, अंदर मिले मानव कंकाल और विशालकाय खोपड़ी

PITHORAGARH CAVE FOUND
भूमका वाप गुफा (फोटो सोर्स- Tarun Mehara)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 18, 2025 at 6:05 PM IST

5 Min Read

प्रदीप महरा, बेरीनाग: पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 110 किलोमीटर और बेरीनाग तहसील मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत सेलीपाख के भूमका नामक स्थान पर रहस्यमयी गुफा मिली है. जिसके अंदर एक विशालकाय मानव खोपड़ी और करीब दो फीट लंबी एक जांघ की हड्डी मिली है. इसके अलावा अन्य संरचनाएं भी बनी हैं. वहीं, इस भूमका वाप की खोज चौकोड़ी निवासी तरूण मेहरा ने की है. उन्होंने इस रहस्यमयी गुफा के अंदर जाकर अहम जानकारियां निकाली हैं.

गुफा खोजकर्ता तरूण मेहरा की मानें तो वहां एक विशाल, रहस्यमयी और खौफनाक प्राकृतिक सिंकहोल मौजूद है. यह जगह केवल एक भूगर्भीय संरचना नहीं है. बल्कि, एक जीती-जागती लोककथा, रोमांच, भय, इतिहास और संभावनाओं को समेटे हुए हैं. तरूण ने बताया कि यह पूरा क्षेत्र चूना पत्थर की भौगोलिक बनावट वाला है. चूना पत्थर के पहाड़, पत्थरीली ढलान और स्वाभाविक रूप से बनी गुफाएं इसकी पहचान हैं.

पिथौरागढ़ के सेलीपाख में मिली रहस्यमयी गुफा (वीडियो सोर्स Tarun Mehara)

चूना पत्थर की खासियत है कि इसमें पानी के कारण धीरे-धीरे कटाव होता है, जिससे गुफाएं, सुरंगें और सिंकहोल जैसे संरचनाएं बनती हैं. भूमका वाप भी ऐसा ही एक सिंकहोल है, जो पहले छोटा था, लेकिन समय के साथ इतना विशाल हो गया कि अब यह करीब 60 फीट की गहराई तक सीधा उतरता है, फिर एक ढलान के रूप में 200 फीट तक भीतर जाता है.

Mysterious cave Selipakh
काफी रहस्यों से भरा है गुफा (फोटो सोर्स- Tarun Mehra)

जुड़ी हैं कई किवदंतियां: तरूण मेहरा ने बताया कि इसका रहस्य और स्थानीय लोककथाएं के बारे में स्थानीय लोग दशकों से इस गड्ढे को एक भूतिया जगह मानते आए हैं. बुजुर्गों की मानें तो कभी यहां भ्रमराक्षस रहता था, जो लोगों को गड्ढे में खींच कर खा जाता था. कईयों ने इसमें लोहे की विशाल चेनें देखी थीं, जिनसे लोगों को बांधकर रखा जाता था.

Mysterious cave Selipakh
गुफा तक पहुंचने की कोशिश (फोटो सोर्स- Tarun Mehra)

प्राचीन सिल्क रूट के पास है यह गुफा: एक महिला ने बचपन में इन चेन को देखने का दावा भी किया है. यहां तक कि एक बार एक बकरी गिर गई थी, जिसे गांववालों ने कई घंटे की मेहनत के बाद रस्सी और फंदे से खींच कर बाहर निकाला था. इस गुफा के इतिहास और प्राचीन मार्ग यह क्षेत्र प्राचीन सिल्क रूट (रेशम मार्ग) के पास है.

Mysterious cave Selipakh
गुफा में मिली विशालकाय खोपड़ी (फोटो सोर्स- Tarun Mehra)

माना जाता है कि इस इलाके का उपयोग व्यापारी, सैनिक या साधु-संतों की ओर से आवागमन के लिए किया जाता रहा होगा. संभावना है कि भूमका जैसी संरचनाएं आपातकालीन छिपने की जगह या दंड स्थल रही हों. इसके अलावा समीपवर्ती अन्य कई गुफाएं अभी भी अनछुई हैं. यह स्थान पुरातत्व और भूविज्ञान की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है.

वैज्ञानिक जांच से उठ सकता है रहस्यों से पर्दा: यहां पाई गई विशाल मानव खोपड़ी, लोहे की चेन और अस्थियों की वैज्ञानिक जांच से अतीत के अनेक रहस्यों से पर्दा उठ सकता है. यह जगह हिमालयी भूविज्ञान, सिंकहोल संरचनाओं और मानव सभ्यता के विकास में सहायक हो सकती है. सेलीपाख गांव का भूमका वाप न केवल एक रहस्य है, बल्कि यह एक अवसर भी है.

Mysterious cave Selipakh
गुफा में मिली हड्डी (फोटो सोर्स- Tarun Mehara)

यह अवसर है इतिहास को समझने का, रोमांच को महसूस करने और गांव की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का. यदि इसे सही दिशा में विकसित किया जाए तो यह जगह भविष्य में राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध हो सकती है. बता दें कि तरूण पिथौरागढ़ जिले के विभिन्न क्षेत्रों दो दर्जन से ज्यादा गुफाओं की खोज कर चुका है.

मानव कंकाल और विशालकाय खोपड़ी का रहस्य: सिंकहोल के भीतर उतरने पर टूटी-फूटी हड्डियां, बिखरे मानव अवशेष पाए गए हैं. सबसे चौंकाने वाली खोज है, एक विशालकाय मानव खोपड़ी और करीब दो फीट लंबी एक जांघ की हड्डी. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह किसी असाधारण कद-काठी वाले मानव का अवशेष हो सकता है, जैसे रूपकुंड झील में मिले 15-20 फीट लंबे मानव कंकाल.

साहसिक पर्यटन की संभावनाएं: इस गुफा में उतरना आसान नहीं है. रस्सियों और क्लाइम्बिंग उपकरणों की मदद से ही उतरा जा सकता है. चट्टानों पर चढ़ना भी असंभव है. इसलिए एक तरफ यह स्थान रोमांच और एडवेंचर के शौकीनों के लिए एक आदर्श गंतव्य बन सकता है तो वहीं दूसरी ओर इसे सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने की आवश्यकता है.

स्थानीय युवाओं को ट्रेंड कर 'कैविंग गाइड्स' के रूप में तैयार किया जा सकता है. इस गुफा से करीब 5 किलोमीटर दूरी पर विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर भी स्थित है. इस स्थान की सफाई, सुरक्षा और वैज्ञानिक ढांचे में रूपांतरण जरूरी है. इसमें रोशनी की व्यवस्था, सुरक्षा बैरियर, जानकारी बोर्ड और इमरजेंसी सेवाएं स्थापित की जानी चाहिए. साथ ही इसे यूनेस्को या अन्य संरक्षण संस्थानों से मान्यता दिलाने की दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए.

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प्रदीप महरा, बेरीनाग: पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 110 किलोमीटर और बेरीनाग तहसील मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत सेलीपाख के भूमका नामक स्थान पर रहस्यमयी गुफा मिली है. जिसके अंदर एक विशालकाय मानव खोपड़ी और करीब दो फीट लंबी एक जांघ की हड्डी मिली है. इसके अलावा अन्य संरचनाएं भी बनी हैं. वहीं, इस भूमका वाप की खोज चौकोड़ी निवासी तरूण मेहरा ने की है. उन्होंने इस रहस्यमयी गुफा के अंदर जाकर अहम जानकारियां निकाली हैं.

गुफा खोजकर्ता तरूण मेहरा की मानें तो वहां एक विशाल, रहस्यमयी और खौफनाक प्राकृतिक सिंकहोल मौजूद है. यह जगह केवल एक भूगर्भीय संरचना नहीं है. बल्कि, एक जीती-जागती लोककथा, रोमांच, भय, इतिहास और संभावनाओं को समेटे हुए हैं. तरूण ने बताया कि यह पूरा क्षेत्र चूना पत्थर की भौगोलिक बनावट वाला है. चूना पत्थर के पहाड़, पत्थरीली ढलान और स्वाभाविक रूप से बनी गुफाएं इसकी पहचान हैं.

पिथौरागढ़ के सेलीपाख में मिली रहस्यमयी गुफा (वीडियो सोर्स Tarun Mehara)

चूना पत्थर की खासियत है कि इसमें पानी के कारण धीरे-धीरे कटाव होता है, जिससे गुफाएं, सुरंगें और सिंकहोल जैसे संरचनाएं बनती हैं. भूमका वाप भी ऐसा ही एक सिंकहोल है, जो पहले छोटा था, लेकिन समय के साथ इतना विशाल हो गया कि अब यह करीब 60 फीट की गहराई तक सीधा उतरता है, फिर एक ढलान के रूप में 200 फीट तक भीतर जाता है.

Mysterious cave Selipakh
काफी रहस्यों से भरा है गुफा (फोटो सोर्स- Tarun Mehra)

जुड़ी हैं कई किवदंतियां: तरूण मेहरा ने बताया कि इसका रहस्य और स्थानीय लोककथाएं के बारे में स्थानीय लोग दशकों से इस गड्ढे को एक भूतिया जगह मानते आए हैं. बुजुर्गों की मानें तो कभी यहां भ्रमराक्षस रहता था, जो लोगों को गड्ढे में खींच कर खा जाता था. कईयों ने इसमें लोहे की विशाल चेनें देखी थीं, जिनसे लोगों को बांधकर रखा जाता था.

Mysterious cave Selipakh
गुफा तक पहुंचने की कोशिश (फोटो सोर्स- Tarun Mehra)

प्राचीन सिल्क रूट के पास है यह गुफा: एक महिला ने बचपन में इन चेन को देखने का दावा भी किया है. यहां तक कि एक बार एक बकरी गिर गई थी, जिसे गांववालों ने कई घंटे की मेहनत के बाद रस्सी और फंदे से खींच कर बाहर निकाला था. इस गुफा के इतिहास और प्राचीन मार्ग यह क्षेत्र प्राचीन सिल्क रूट (रेशम मार्ग) के पास है.

Mysterious cave Selipakh
गुफा में मिली विशालकाय खोपड़ी (फोटो सोर्स- Tarun Mehra)

माना जाता है कि इस इलाके का उपयोग व्यापारी, सैनिक या साधु-संतों की ओर से आवागमन के लिए किया जाता रहा होगा. संभावना है कि भूमका जैसी संरचनाएं आपातकालीन छिपने की जगह या दंड स्थल रही हों. इसके अलावा समीपवर्ती अन्य कई गुफाएं अभी भी अनछुई हैं. यह स्थान पुरातत्व और भूविज्ञान की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है.

वैज्ञानिक जांच से उठ सकता है रहस्यों से पर्दा: यहां पाई गई विशाल मानव खोपड़ी, लोहे की चेन और अस्थियों की वैज्ञानिक जांच से अतीत के अनेक रहस्यों से पर्दा उठ सकता है. यह जगह हिमालयी भूविज्ञान, सिंकहोल संरचनाओं और मानव सभ्यता के विकास में सहायक हो सकती है. सेलीपाख गांव का भूमका वाप न केवल एक रहस्य है, बल्कि यह एक अवसर भी है.

Mysterious cave Selipakh
गुफा में मिली हड्डी (फोटो सोर्स- Tarun Mehara)

यह अवसर है इतिहास को समझने का, रोमांच को महसूस करने और गांव की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का. यदि इसे सही दिशा में विकसित किया जाए तो यह जगह भविष्य में राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध हो सकती है. बता दें कि तरूण पिथौरागढ़ जिले के विभिन्न क्षेत्रों दो दर्जन से ज्यादा गुफाओं की खोज कर चुका है.

मानव कंकाल और विशालकाय खोपड़ी का रहस्य: सिंकहोल के भीतर उतरने पर टूटी-फूटी हड्डियां, बिखरे मानव अवशेष पाए गए हैं. सबसे चौंकाने वाली खोज है, एक विशालकाय मानव खोपड़ी और करीब दो फीट लंबी एक जांघ की हड्डी. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह किसी असाधारण कद-काठी वाले मानव का अवशेष हो सकता है, जैसे रूपकुंड झील में मिले 15-20 फीट लंबे मानव कंकाल.

साहसिक पर्यटन की संभावनाएं: इस गुफा में उतरना आसान नहीं है. रस्सियों और क्लाइम्बिंग उपकरणों की मदद से ही उतरा जा सकता है. चट्टानों पर चढ़ना भी असंभव है. इसलिए एक तरफ यह स्थान रोमांच और एडवेंचर के शौकीनों के लिए एक आदर्श गंतव्य बन सकता है तो वहीं दूसरी ओर इसे सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने की आवश्यकता है.

स्थानीय युवाओं को ट्रेंड कर 'कैविंग गाइड्स' के रूप में तैयार किया जा सकता है. इस गुफा से करीब 5 किलोमीटर दूरी पर विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर भी स्थित है. इस स्थान की सफाई, सुरक्षा और वैज्ञानिक ढांचे में रूपांतरण जरूरी है. इसमें रोशनी की व्यवस्था, सुरक्षा बैरियर, जानकारी बोर्ड और इमरजेंसी सेवाएं स्थापित की जानी चाहिए. साथ ही इसे यूनेस्को या अन्य संरक्षण संस्थानों से मान्यता दिलाने की दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए.

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