मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले युवा वैज्ञानिक डॉ. आदित्य शेखर ने एक ऐसी दवा का इजाद किया है, जो जानलेवा निमोनिया के इलाज में बेहद कारगर साबित हो सकती है. इस दवा की विशेषता यह है कि यह स्टैफिलोकॉकस ऑरियस बैक्टीरिया को मारती नहीं है, बल्कि बैक्टीरिया द्वारा उत्पादित एक प्रमुख हानिकारक टॉक्सिन को बेअसर कर देती है.
वैज्ञानिक ने खोज की निमोनिया की नई दवा: जर्मनी की एक अंतरराष्ट्रीय रिसर्च टीम हेल्महोल्ट्ज सेंटर फॉर इंफेक्शन रिसर्च (एचजेडआई) ने स्टैफिलोकॉकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया से होने वाले जानलेवा फेफड़ों के निमोनिया के खिलाफ एक नई दवा की खोज की है. इस रिसर्च टीम में बिहार के युवा साइंटिस्ट डॉ. आदित्य शेखर भी शामिल हैं. उनकी ये रिसर्च सेल प्रेस द्वारा एक इंटरनेशनल लेवल की फेमस वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित हुई है. उनकी टीम की यह उपलब्धि निमोनिया के इलाज के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है.

चूहों पर ट्रायल सफल: मुजफ्फरपुर के युवा वैज्ञानिक डॉ. आदित्य शेखर और उनकी टीम ने अपनी इस नई दवा का चूहों पर ट्रायल किया है, जोकि सफल रहा है. प्रयोग में इन दवाओं से संक्रमित चूहों को मरने से बचा लिया गया. अब यह रिसर्च टीम क्लिनिकल ट्रायल की तैयारियों में लगी हुई है. उनको उम्मीद है कि जल्द ही यह दवा इंसानों के इलाज के लिए प्रयोग में आने लगेगी.
कैसे काम करेगी ये दवा?: इस दवा की विशेषता यह है कि यह स्टैफिलोकॉकस ऑरियस की बैक्टीरिया को नहीं मारती, बल्कि बैक्टीरिया द्वारा उत्पादित एक प्रमुख हानिकारक टॉक्सिन को बेअसर कर देती है. इस टॉक्सिन के माध्यम से बैक्टीरिया फेफड़ों की विभिन्न कोशिकाओं को नष्ट कर देता है. इसलिए टॉक्सिन को बेअसर करने से बैक्टीरिया अपनी रोगज़नक क्षमता खो देते हैं. यह नई दवा बैक्टीरिया के हानिकारक प्रभावों को रोकती है और उनके प्रति 'रेसिस्टेंस' विकसित नहीं करने देती है.
जानलेवा होता है फेफड़ों का निमोनिया: असल में स्टैफिलोकॉकस ऑरियस का बैक्टीरिया जब फेफड़ों में पहुंच जाता है, तब निमोनिया और अन्य सांस संबंधी समस्याएं होने लगती है. फोड़े बनने से समस्या बढ़ जाता है. अगर समय रहते समुचित इलाज नहीं होता है तो मौत भी हो सकती है. वहीं, स्टैफ बैक्टीरिया हमारे हर्ट के वाल्व को भी नुकसान पहुंचा सकता है, इस वजह से दिल का दौरा भी आ सकता है.

क्या होता है स्टैफिलोकॉकस ऑरियस?: स्टैफिलोकॉकस ऑरियस एक ग्राम-पॉजिटिव गोलाकार जीवाणु है, जो बैसिलोटा का सदस्य है और शरीर के माइक्रोबायोटा का एक सामान्य सदस्य है. यह अक्सर ऊपरी श्वसन पथ और त्वचा पर पाया जाता है. यह ऑक्सीजन के बिना बढ़ सकता है.
किस अंग को करता है प्रभावित?: स्टैफिलोकॉकल या स्टैफ संक्रमण के कारण फेफड़े और हृदय के अलावे त्वचा, स्तन/छाती, पाचन तंत्र, हड्डियां और रक्तप्रवाह भी प्रभावित होते हैं. गंभीर मामलों में स्वास्थ्य जटिलताओं के कारण मरीज की मौत भी हो सकती है. इसके लक्षण हैं कि त्वचा पर फोड़े और फुंसी के साथ-साथ लाल निशान भी दिखने लगते हैं.

मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं आदित्य शेखर: जर्मन टीम की इस रिसर्च टीम के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. आदित्य शेखर मूल रूप से मुजफ्फरपुर के चक्कर चौक के रहने वाले हैं. इनके पिता डॉ. ज्ञानेंदु शेखर सदर अस्पताल में एमओ हैं. वह पिछले आठ वर्षों से जर्मनी के बड़े रिसर्च सेंटर हेल्महोल्ट्ज सेंटर फॉर इंफेक्शन रिसर्च (एचजेडआई) में कार्यरत हैं. बेटे की इस उपलब्धि से पिता काफी खुश हैं. वे कहते हैं कि निमोनिया मरीजों के लिए यह दवा प्राणरक्षक साबित होने वाली है.

निमोनिया की दवा होगी गेमचेंजर: आदित्य शेखर के पिता डॉ. ज्ञानंदु शेखर ने कहा कि आदित्य और उनकी टीम के द्वारा निमोनिया की दवा की खोज मेरे लिए अति प्रसन्नता और गर्व का विषय है. उन्होंने कहा कि किसी पिता के लिए जब उसका पुत्र आगे बढ़ता और बड़ी उपलब्धि हासिल करता है तो उससे ज्यादा खुशी का विषय और कुछ नहीं है. उसने रिसर्च कर जो मॉलिक्यूल को निकाला है, वह घातक बीमारी निमोनिया में गेम चेंजर साबित होगा.

8 साल से रिसर्च में जुटी थी टीम: डॉ. ज्ञानंदु शेखर कहते हैं कि निमोनिया से हर साल बड़ी संख्या में बच्चों और बुजुर्गों की मौत हो जाती है. ऐसे में आदित्य पिछले 8 सालों से लगातार निमोनिया की दवा की खोज कर रहा था. इस दौरान उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. फोन पर बातचीत के दौरान वह रिसर्च के दौरान होने वाली परेशानी को लेकर बातचीत करता था लेकिन वह काफी धैर्य के साथ जुटा रहा. आखिरकार उसका रिजल्ट भी सामने आ गया है. आदित्य ने बताया कि इस रिसर्च से मानव कल्याण में मदद मिलेगी.

बचपन से काफी मेधावी रहे हैं आदित्य: आदित्य शेखर के पिता डॉ. ज्ञानंदु शेखर बताते हैं कि आदित्य बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज था और कुछ नई खोज की जिज्ञासा रहती थी. उसने मसूरी से हॉस्टल में रहकर अपनी स्कूली पढ़ाई पूरा की. जिसके बस वह दिल्ली से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की. अमेठी में बायोटेक्नोलॉजी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. उसके बाद 2013 में वह पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए जर्मनी गया. इसके वह रिसर्च सेंटर में रिसर्च करने लगा. उनके पिता ने बताया कि 2023 आदित्य की शादी हुई है, पिछले वर्ष उसे बेटी हुई है.

"एक पिता के लिए इससे बड़ी प्रसन्नता का विषय क्या होगा. यह रिसर्च बहुत लाभदायक होगा. मानव कल्याणार्थ यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. आदित्य भी अपनी खोज से काफी प्रसन्न है. वह बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज रहा है. नई चीज को खोजने की प्रवृति उसमें बचपन से ही थी, जिसका नतीजा आज सामने है. हमलोग बहुत खुश हैं."- डॉ. ज्ञानेंदु शेखर, आदित्य शेखर के पिता
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