साहिबगंज: पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने पलायन को लेकर बयान दिया था कि बंगाल के लोग बंगाल में ही जा रहे हैं लेकिन इसकी हकीकत कुछ और है. क्योंकि पीड़ित परिवार पलायन करके झारखंड के साहिबगंज, पाकुड़ और राजमहल आ चुके हैं. अभी-भी बंगाल से लोगों का झारखंड आना जारी है.
दरअसल वक्फ बोर्ड कानून बनने के बाद पश्चिम बंगाल में बीते दिनों हिंसा भड़क गयी. जिसमें कई परिवारों को अपना आशियाना छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी. पश्चिम बंगाल के धुलियान क्षेत्र के जाफराबाद गांव से करीब 170 पीड़ित परिवार अपना घर छोड़ने को मजबूर है. इस बीच 50 से ज्यादा हिंसा ग्रस्त लोग साहिबगंज के राजमहल पहुंचे हैं.
पलायन को लेकर बंगाल के मंत्री का बयान
'यहां पर ऐसी कोई हिंसा की परिस्थिति नहीं है. लोग बंगाल से बंगाल में ही जा रहे हैं. बंगाल सुरक्षित जगह है इसलिए लोग बंगाल में जा रहे हैं. यहां सब ठीक है. पुलिस मामले पर नजर बनाई हुई है. घटना घटी है ये बड़ी घटना नहीं है. इससे पहले भी गुजरात में एक घटना घटी थी. उस पर लोग चुप थे. हालांकि मैं घटना को निंदनीय मानता हूं, जो भी घटा है वो नहीं घटना चाहिए था. इसके पीछे कौन है इसकी जांच पुलिस कर रही है. लेकिन यह घटना नहीं घटनी चाहिए थी. ये बंगाल की पवित्र भूमि है. यहां वक्फ बोर्ड कानून लागू नहीं होगा. यह बात मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी साफ कर चुकी हैं. दिल्ली में भी बड़ी-बड़ी घटना हुई है, लोग वहां क्यों प्रदर्शन करते हैं . बंगाल में ही क्यों प्रदर्शन करना है'. -फिरहाद हकीम, शहरी विकास मंत्री, पश्चिम बंगाल.
बंगाल से परिवार कर रहे पलायन
पीड़ित परिवारों ने बताया कि हिंसा की घटना के 4 घंटे के बाद पुलिस पहुंची, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. इस घटना को देखकर घर के सभी सदस्य डर गए और वहां से निकलने के लिए कोशिश करने लगे. उन्हें हादसे के बाद कुछ घंटे तक मदद नहीं मिली तो मां को मरीज बनाकर एंबुलेंस के माध्यम से पहले पाकुड़ पहुंचे, फिर वहां से राजमहल आए. गांव के अन्य परिवार के सदस्य भी अपने-अपने रिश्तेदारों के पास सुरक्षित स्थान पहुंच गए हैं. इस हिंसक घटना के बाद गांव पूरी तरह से खाली हो गया है.
'मेरी 85 वर्षीय बुजुर्ग मां को मरीज बनाकर एंबुलेंस में 12 सदस्य सवार होकर किसी तरह राजमहल स्थित अपने रिश्तेदार के घर पहुंचे. उन लोगों ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि बीते जुमे की नमाज के बाद एकाएक हिंसा भड़की और किसी तरह वह जान बचाकर घर में छुपे रहे. लेकिन दूसरे दिन सुबह 11 बजे बम और धारदार हथियार से लैस, नकाब पहनकर 50-60 लोगों ने उनके घर पर हमला कर दिया और उनके भाई हरगोविंद दास और भतीजा चंदन दास की हत्या कर दी'. -हृदय दास, पीड़ित परिवार के सदस्य.
'मुर्शिदाबाद हिंसा में दंगाईयों ने हमला करके मेरे चाचा को मौत के घाट उतार दिया. इस हादसे के बाद हमें वहां से पलायन करके यहां आना पड़ा'. -पीड़ित परिजन.
पश्चिम बंगाल से ऐसे पहुंचे झारखंड
राजमहल पहुंचे पीड़ित परिवार ने आपबीती बताते हुए उनकी आंखों के आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. उनका पूरा परिवार सदमे में है. बंगाल से हिंसा पीड़ित परिवारों का पलायन जारी है. वहीं राधानगर में एक महिला ने अपने परिवार के साथ शरण ली है. पुलिस ने साहिबगंज, बंगाल और पाकुड़ के बॉर्डर इलाकों में अस्थायी पुलिस पिकेट खोले हैं. जिससे निकलने वाले लोगों पर नजर रखी जा सके.
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