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रेप के आरोप में गिरफ्तार NRI साइंटिस्ट बरी, कोर्ट ने कहा- महिला ने शारीरिक संबंध बनाने का फैसला लिया - MUMBAI COURT

एफआईआर के अनुसार, NRI साइंटिस्ट और पीड़ित महिला 31 दिसंबर, 2019 को नए साल का जश्न मनाने के लिए मुंबई में मिले थे.

Mumbai Court acquits NRI scientist in rape case says woman made choice for physical relationship
रेप के आरोप में गिरफ्तार NRI साइंटिस्ट बरी, कोर्ट ने कहा- महिला ने शारीरिक संबंध बनाने का फैसला लिया (X/@BimalGST)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 22, 2025 at 7:33 AM IST

5 Min Read

मुंबई: महाराष्ट्र की एक अदालत ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने के आरोप में गिरफ्तार एक एनआरआई वैज्ञानिक को बरी कर दिया है. अदालत ने कहा कि जब कोई महिला परिणाम को समझते हुए शारीरिक संबंध स्थापित करने के लिए उचित विकल्प चुनती है तो उसकी सहमति को तथ्य की गलत धारणा पर आधारित नहीं माना जा सकता.

हालांकि, मुंबई के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किशोर मोरे ने कहा कि अगर इस बात के स्पष्ट सबूत हों कि झूठा वादा किया गया था तो स्थिति को अलग तरीके से देखा जा सकता है.

गुजरात के मूल निवासी और यूरोप में कार्यरत एनआरआई वैज्ञानिक पर ठाणे की 27 वर्षीय महिला से शादी का झांसा देकर कथित तौर पर दुष्कर्म करने का आरोप लगा था. अभियोजन पक्ष के अनुसार, अपने पति से अलग रह रही महिला को सितंबर 2019 में एक वैवाहिक वेबसाइट पर आरोपी का प्रोफाइल मिला. एक-दूसरे की प्रोफाइल पसंद आने के बाद दोनों के बीच चैटिंग और फोन पर मैसेज का आदान-प्रदान होने लगा. वे 31 दिसंबर, 2019 को नए साल का जश्न मनाने के लिए मुंबई में मिले.

अभियोजन पक्ष ने कहा कि पीड़िता ने आरोपी से पूछा कि क्या वह उसे पसंद करता है, इस पर आरोपी ने उसे आश्वासन दिया और शादी का वादा किया.

एफआईआर के अनुसार, दोनों ने उपनगरीय अंधेरी स्थित एक पांच सितारा होटल में चेक इन किया, जहां एनआरआई ने महिला के पेय पदार्थ में नशीला पदार्थ मिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया. अभियोजन पक्ष ने आगे कहा कि दोनों होटल में रुके और नए साल की पार्टी के लिए एक साथ क्लब गए. अगली सुबह वे होटल से चले गए.

अभियोजन पक्ष ने बताया कि हालांकि, आरोपी ने महिला से दूरी बनानी शुरू कर दी और अपने माता-पिता की तरफ से विरोध का हवाला देते हुए उससे शादी करने से इनकार कर दिया और वह (पीड़िता) पहले से ही शादीशुदा है, जिसके चलते पीड़िता ने दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया.

बहस में पीड़िता ने स्वीकार किया कि उसने अपने वैवाहिक प्रोफाइल में 'गलती से' अपनी वैवाहिक स्थिति 'कभी विवाहित नहीं' बताई थी. शुरू में जब वे फोन पर बात करने लगे तो उसने आरोपी को बताया कि वह तलाकशुदा है. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने महिला के पति के साथ तलाक के आदेश की प्रति रिकॉर्ड पर नहीं रखी है.

आरोपी ने अदालत में दिए अपने बयान में अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया. एनआरआई ने कहा कि उसने महिला से शादी करने का फैसला करने से पहले उससे समय मांगा था, लेकिन उसने उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया तथा उसके खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराने की धमकी दी.

व्हाट्सएप चैट में दोनों ने इच्छा जताई...
मुंबई में बातचीत के दौरान उसे पता चला कि पीड़िता ने अपनी पहली शादी के बाद इस्लाम धर्म अपना लिया था और उसने अपने पहले पति को तलाक नहीं दिया था. व्हाट्सएप चैट का हवाला देते हुए, बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि पीड़िता और आरोपी ने शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा व्यक्त करते हुए संदेशों का आदान-प्रदान किया था.

बचाव पक्ष ने तर्क दिया, चैट से पता चलता है कि इस तथ्य में कोई गलतफहमी नहीं थी कि आरोपी ने शादी के झूठे वादे के बहाने पीड़िता को शारीरिक संबंध बनाने के लिए धोखा दिया. सच यह है कि पीड़िता ने मैट्रिमोनियल साइट पर अपलोड किए गए प्रोफाइल पर अपनी वैवाहिक स्थिति को छिपाकर आरोपी को शादी के लिए लुभाया है. पीड़िता ने पैसे हड़पने या जबरन वसूली करने के लिए आरोपी को झूठा फंसाया है.

अदालत ने कहा कि महिला ने होटल में आने से लेकर चेकआउट तक खुशी-खुशी आरोपी के साथ रही. अदालत ने कहा, "पीड़िता ने आरोपी के खिलाफ किसी भी होटल कर्मचारी या प्रबंधक से शिकायत नहीं की थी, जो उस दिन समय पर मौजूद थे. पीड़िता ने लगभग छह दिन बाद घटना की रिपोर्ट दर्ज करने में देरी के लिए कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया है."

साथ ही अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता ने अपनी जिरह में स्वीकार किया कि आरोपी ने अप्रैल 2020 में उससे शादी करने का आश्वासन दिया था. पीड़िता के इस कबूलनामे से पता चलता है कि आरोपी ने उससे शादी करने से साफ इनकार नहीं किया था. जाहिर है, वह अपने माता-पिता को मनाने की कोशिश कर रहा था, क्योंकि पीड़िता पहले से ही शादीशुदा थी और उसने मुस्लिम धर्म अपना लिया था."

अदालत ने कहा कि इन सभी परिस्थितियों से यह स्पष्ट है कि 31 दिसंबर, 2019 को दोनों के बीच शारीरिक संबंध सहमति से बने थे.

यह भी पढ़ें- भारत में महिलाओं से संबंधित कानूनों का दुरुपयोग, धारा 498A पतियों को फंसाने के लिए कुख्यात

मुंबई: महाराष्ट्र की एक अदालत ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने के आरोप में गिरफ्तार एक एनआरआई वैज्ञानिक को बरी कर दिया है. अदालत ने कहा कि जब कोई महिला परिणाम को समझते हुए शारीरिक संबंध स्थापित करने के लिए उचित विकल्प चुनती है तो उसकी सहमति को तथ्य की गलत धारणा पर आधारित नहीं माना जा सकता.

हालांकि, मुंबई के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किशोर मोरे ने कहा कि अगर इस बात के स्पष्ट सबूत हों कि झूठा वादा किया गया था तो स्थिति को अलग तरीके से देखा जा सकता है.

गुजरात के मूल निवासी और यूरोप में कार्यरत एनआरआई वैज्ञानिक पर ठाणे की 27 वर्षीय महिला से शादी का झांसा देकर कथित तौर पर दुष्कर्म करने का आरोप लगा था. अभियोजन पक्ष के अनुसार, अपने पति से अलग रह रही महिला को सितंबर 2019 में एक वैवाहिक वेबसाइट पर आरोपी का प्रोफाइल मिला. एक-दूसरे की प्रोफाइल पसंद आने के बाद दोनों के बीच चैटिंग और फोन पर मैसेज का आदान-प्रदान होने लगा. वे 31 दिसंबर, 2019 को नए साल का जश्न मनाने के लिए मुंबई में मिले.

अभियोजन पक्ष ने कहा कि पीड़िता ने आरोपी से पूछा कि क्या वह उसे पसंद करता है, इस पर आरोपी ने उसे आश्वासन दिया और शादी का वादा किया.

एफआईआर के अनुसार, दोनों ने उपनगरीय अंधेरी स्थित एक पांच सितारा होटल में चेक इन किया, जहां एनआरआई ने महिला के पेय पदार्थ में नशीला पदार्थ मिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया. अभियोजन पक्ष ने आगे कहा कि दोनों होटल में रुके और नए साल की पार्टी के लिए एक साथ क्लब गए. अगली सुबह वे होटल से चले गए.

अभियोजन पक्ष ने बताया कि हालांकि, आरोपी ने महिला से दूरी बनानी शुरू कर दी और अपने माता-पिता की तरफ से विरोध का हवाला देते हुए उससे शादी करने से इनकार कर दिया और वह (पीड़िता) पहले से ही शादीशुदा है, जिसके चलते पीड़िता ने दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया.

बहस में पीड़िता ने स्वीकार किया कि उसने अपने वैवाहिक प्रोफाइल में 'गलती से' अपनी वैवाहिक स्थिति 'कभी विवाहित नहीं' बताई थी. शुरू में जब वे फोन पर बात करने लगे तो उसने आरोपी को बताया कि वह तलाकशुदा है. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने महिला के पति के साथ तलाक के आदेश की प्रति रिकॉर्ड पर नहीं रखी है.

आरोपी ने अदालत में दिए अपने बयान में अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया. एनआरआई ने कहा कि उसने महिला से शादी करने का फैसला करने से पहले उससे समय मांगा था, लेकिन उसने उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया तथा उसके खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराने की धमकी दी.

व्हाट्सएप चैट में दोनों ने इच्छा जताई...
मुंबई में बातचीत के दौरान उसे पता चला कि पीड़िता ने अपनी पहली शादी के बाद इस्लाम धर्म अपना लिया था और उसने अपने पहले पति को तलाक नहीं दिया था. व्हाट्सएप चैट का हवाला देते हुए, बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि पीड़िता और आरोपी ने शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा व्यक्त करते हुए संदेशों का आदान-प्रदान किया था.

बचाव पक्ष ने तर्क दिया, चैट से पता चलता है कि इस तथ्य में कोई गलतफहमी नहीं थी कि आरोपी ने शादी के झूठे वादे के बहाने पीड़िता को शारीरिक संबंध बनाने के लिए धोखा दिया. सच यह है कि पीड़िता ने मैट्रिमोनियल साइट पर अपलोड किए गए प्रोफाइल पर अपनी वैवाहिक स्थिति को छिपाकर आरोपी को शादी के लिए लुभाया है. पीड़िता ने पैसे हड़पने या जबरन वसूली करने के लिए आरोपी को झूठा फंसाया है.

अदालत ने कहा कि महिला ने होटल में आने से लेकर चेकआउट तक खुशी-खुशी आरोपी के साथ रही. अदालत ने कहा, "पीड़िता ने आरोपी के खिलाफ किसी भी होटल कर्मचारी या प्रबंधक से शिकायत नहीं की थी, जो उस दिन समय पर मौजूद थे. पीड़िता ने लगभग छह दिन बाद घटना की रिपोर्ट दर्ज करने में देरी के लिए कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया है."

साथ ही अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता ने अपनी जिरह में स्वीकार किया कि आरोपी ने अप्रैल 2020 में उससे शादी करने का आश्वासन दिया था. पीड़िता के इस कबूलनामे से पता चलता है कि आरोपी ने उससे शादी करने से साफ इनकार नहीं किया था. जाहिर है, वह अपने माता-पिता को मनाने की कोशिश कर रहा था, क्योंकि पीड़िता पहले से ही शादीशुदा थी और उसने मुस्लिम धर्म अपना लिया था."

अदालत ने कहा कि इन सभी परिस्थितियों से यह स्पष्ट है कि 31 दिसंबर, 2019 को दोनों के बीच शारीरिक संबंध सहमति से बने थे.

यह भी पढ़ें- भारत में महिलाओं से संबंधित कानूनों का दुरुपयोग, धारा 498A पतियों को फंसाने के लिए कुख्यात

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