जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक केस में सुनवाई के दौरान महिला प्रोफेसर ने खुद पर लगे हत्या के आरोप पर जज के सामने अपनी दलीलें रखी. केमिस्ट्री की प्रोफेसर ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए साइंटिफिक दलीलों से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. ममता पाठक पर आरोप है कि उन्होंने अपने पति को नींद की गोलियां देकर करंट लगाकर मारा है. इस मामले में छतरपुर सेशन कोर्ट ने डॉ ममता पाठक को अपने पति डॉक्टर नीरज पाठक की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है. डॉ नीरज पाठक सरकारी अस्पताल में डॉक्टर और ममता पाठक केमिस्ट्री की प्रोफेसर थीं.
सेशन कोर्ट के निर्णय को ममता पाठक ने हाईकोर्ट में किया चैलेंज
अपने पति की हत्या के आरोप में हुई सजा को ममता पाठक ने हाईकोर्ट में चैलेंज किया है और अपने बचाव में उन्होंने खुद कोर्ट में आकर बहस की थी. इस दौरान उन्होंने केमिस्ट्री की बारीकियां के साथ यह समझने की कोशिश की थी कि उनके ऊपर लगे आरोप गलत हैं. उन्होंने डॉक्टरों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं और केमेस्ट्री की बारिकियां बताते हुए इस मामले को कोर्ट के सामने रखा.
'गलत है पोस्टमार्टम रिपोर्ट'
हाई कोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा ने ममता पाठक से पूछा कि पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि डॉक्टर नीरज पाठक के शरीर पर इलेक्ट्रिक बर्न मार्क थे और आप पर आरोप है कि आपने ही पहले पति को नींद की गोलियां दीं और बाद में उन्हें करंट लगाकर मार दिया. ममता पाठक का कहना है कि "जिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर यह आरोप लगाया गया है वह रिपोर्ट गलत है."
ममता पाठक ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर रखा तर्क
केमिस्ट्री की प्रोफेसर ममता पाठक का कहना है कि "पोस्टमार्टम रूम में डॉक्टर यह तय नहीं कर सकता कि शरीर पर जलने का जो निशान है वह करंट का है या किसी दूसरी वजह से जलने का है. शरीर के जिस हिस्से में करंट लगता है उसे हिस्से में शरीर के ऊतक को काट के लैब में भेजा जाता है. लैब में नाइट्रिक एसिड में डालकर यह चेक किया जाता है कि जिस जगह पर बर्न मार्क या जलने का निशान है, वहां पर एल्युमिनियम या दूसरी मेटल डिपॉजिट हुई है या नहीं. यदि करंट फ्लो होने के बाद मेटल का डिपाजिट वहां होता है तब यह तय होता है कि यह निशान करंट की वजह से लगा है."
ममता पाठक का तर्क है कि "यह काम लैब में हो सकता है पोस्टमार्टम रूम में नहीं. फिर पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने कैसे कह दिया कि डॉक्टर नीरज पाठक के शरीर पर जो निशान हैं वे करंट के हैं. इसलिए यह पोस्टमार्टम रिपोर्ट झूठी है."
के एस रेड्डी की किताब का जिक्र
ममता पाठक ने कोर्ट में अपना पक्ष रखने के दौरान डॉ के एस रेड्डी की किताब का रिफरेंस दिया. ममता पाठक ने कहा कि "पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके पति की मौत की वजह उनके पांव में करंट लगना बताया जा रहा है और पांव में जो बर्न मार्क मिले हैं उनके बारे में कहा जा रहा है कि वह करंट के बर्न मार्क हैं ,जबकि डॉक्टर के एस रेड्डी की पुस्तक में लिखा है कि एंटीमैटम और पोस्टमार्टम में इलेक्ट्रिक बर्न मार्क में कोई फर्क नहीं आता."
जस्टिस विवेक अग्रवाल ने भी समझाई केमिस्ट्री
इस बहस में डॉ ममता पाठक को जस्टिस विवेक अग्रवाल ने भी केमिस्ट्री समझा दी. ममता पाठक का तर्क था कि करंट से जले हुए टिशु को हाइड्रोक्लोरिक एसिड में डाला जाता है लेकिन जस्टिस अग्रवाल ने बताया कि आप गलत बोल रही हैं कोई टेस्ट हाइड्रोक्लोरिक एसिड में नहीं बल्कि नाइट्रिक एसिड में होता है. केमिस्ट्री की प्रोफेसर होने के बाद आप ऐसी गलती कैसे कर सकती हैं.
क्राइम सीन पर सवाल
डॉ ममता पाठक ने बहस के दौरान यह भी समझने की कोशिश की कि "उनके घर में करंट लीक नहीं हो सकता था. उनके पति ने 2017 से 2022 के लिए घर का बीमा करवाया था. इस बीमा में पूरे घर का इलेक्ट्रिक ऑडिट हुआ था और घर में कहीं से भी बिजली का करंट लीक होने की संभावना नहीं थी. इस मामले में निचली अदालत ने जो गवाह और सबूत इकट्ठे किए हैं वे गलत हैं और उन्होंने अपने पति डॉक्टर नीरज पाठक की हत्या नहीं की."
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कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
बता दें कि ममता पाठक अपने बीमार पति को घर में अकेला छोड़कर अपने लड़के को लेकर झांसी चलीं गई थी जबकि उनके पति गंभीर रूप से बीमार थे. जब वे लौटीं तो उनके पति की मौत हो चुकी थी. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा ने इस केस की सारी बहस सुनने के बाद अभी फैसला सुरक्षित रखा है. फिलहाल ममता पाठक को 1 साल के लिए जमानत मिली थी जो आगे बढ़ा दी गई है.