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नासिक दरगाह तोड़ने पर लगी रोक, महबूबा मुफ्ती ने सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप का किया स्वागत - NASHIK DARGAH DEMOLITION

नासिक की हजरत सतपीर शाह दरगाह तोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है और हाई कोर्ट से जवाब मांगा है.

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महबूबा मुफ्ती (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 19, 2025 at 4:11 PM IST

Updated : April 19, 2025 at 4:51 PM IST

3 Min Read

श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने नासिक में हजरत सातपीर सैयद बाबा दरगाह के विध्वंस पर सुप्रीम कोर्ट के स्थगन का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना को बनाए रखने में सक्षम अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण संस्थान है.

मुफ्ती ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "नासिक दरगाह के विध्वंस पर सुप्रीम कोर्ट का स्थगन एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है, जो बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई के लिए समय निर्धारित करने में विफलता के मद्देनजर सामने आया है." "इस देरी ने स्थानीय प्रशासन को दरगाह के हिस्से को ध्वस्त करने का मौका दिया, जिससे इलाके में तनाव और झड़पें हो गईं."

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नासिक नगर निकाय द्वारा दरगाह को ध्वस्त करने के नोटिस पर अंतरिम रोक लगा दी और बॉम्बे हाई कोर्ट से दरगाह की याचिका को सूचीबद्ध न करने पर रिपोर्ट मांगी.

जम्मू-कश्मीर के पूर्ववर्ती राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती ने कहा कि "ये दरगाहें केवल भौतिक संरचनाएं नहीं हैं, बल्कि आध्यात्मिक स्थल हैं जहां हिंदू और मुसलमान दोनों ही एक साथ मिलकर साझा श्रद्धा रखते हैं."

दरअसल, नासिक नगर निगम (एनएमसी) ने 1 अप्रैल को दरगाह को अवैध ढांचा घोषित करते हुए 15 दिन का नोटिस दिया था. 15 अप्रैल की रात विध्वंस की कार्रवाई शुरू होने पर स्थानीय लोगों ने पथराव किया, जिसमें 21 पुलिस अधिकारी घायल हो गए. अगले दिन, 16 अप्रैल को दरगाह को ध्वस्त कर दिया गया.

दरगाह ट्रस्ट के वकी ने क्या कहा?
दरगाह ट्रस्ट के वकील के अनुसार, उन्होंने 8 अप्रैल को उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने मामले को सूचीबद्ध नहीं किया. जब मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा, तब तक दरगाह को पहले ही गिरा दिया गया था. सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने इस मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय को सुनवाई में देरी नहीं करनी चाहिए थी.

दरगाह के मेंबर ने क्या कहा?
दरगाह के सदस्य फहीम शेख ने कहा कि विध्वंस की कार्रवाई अचानक रात में की गई. उन्हें सुबह 10 बजे कार्रवाई की जानकारी हुई जब उन्होंने अपने मोबाइल पर मिस्ड कॉल और मैसेज देखे. उन्होंने वकील से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन वह कोर्ट में होने के कारण उनसे बात नहीं कर सके.

350 साल पुराने दस्तावेज मौजूद
फहीम शेख का आरोप है कि राजनीतिक दबाव में कोर्ट के आदेश से पहले दरगाह को ध्वस्त करने के लिए यह कार्रवाई की गई. उन्होंने दावा किया कि उनके पास 350 साल पुराने दस्तावेज हैं जो साबित करते हैं कि यह ढांचा वैध था.

एनएमसी का स्पष्टीकरण
नासिका नगर निगम की कमिश्नर मनीषा खत्री ने कहा कि उन्हें अभी तक सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि 16 अप्रैल को सुबह 6 बजे ढांचे को हटा दिया गया था, और वे अपने वकीलों के माध्यम से कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे. एनएमसी का कहना है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने पहले ही इस ढांचे को अवैध घोषित कर दिया था, इसलिए कार्रवाई की गई.

यह भी पढ़ें- मंदिर के पास बने दरगाह पर पशु बलि का विरोध, बाबरी मस्जिद जैसी स्थिति नहीं बनने देने की गुहार

श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने नासिक में हजरत सातपीर सैयद बाबा दरगाह के विध्वंस पर सुप्रीम कोर्ट के स्थगन का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना को बनाए रखने में सक्षम अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण संस्थान है.

मुफ्ती ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "नासिक दरगाह के विध्वंस पर सुप्रीम कोर्ट का स्थगन एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है, जो बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई के लिए समय निर्धारित करने में विफलता के मद्देनजर सामने आया है." "इस देरी ने स्थानीय प्रशासन को दरगाह के हिस्से को ध्वस्त करने का मौका दिया, जिससे इलाके में तनाव और झड़पें हो गईं."

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नासिक नगर निकाय द्वारा दरगाह को ध्वस्त करने के नोटिस पर अंतरिम रोक लगा दी और बॉम्बे हाई कोर्ट से दरगाह की याचिका को सूचीबद्ध न करने पर रिपोर्ट मांगी.

जम्मू-कश्मीर के पूर्ववर्ती राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती ने कहा कि "ये दरगाहें केवल भौतिक संरचनाएं नहीं हैं, बल्कि आध्यात्मिक स्थल हैं जहां हिंदू और मुसलमान दोनों ही एक साथ मिलकर साझा श्रद्धा रखते हैं."

दरअसल, नासिक नगर निगम (एनएमसी) ने 1 अप्रैल को दरगाह को अवैध ढांचा घोषित करते हुए 15 दिन का नोटिस दिया था. 15 अप्रैल की रात विध्वंस की कार्रवाई शुरू होने पर स्थानीय लोगों ने पथराव किया, जिसमें 21 पुलिस अधिकारी घायल हो गए. अगले दिन, 16 अप्रैल को दरगाह को ध्वस्त कर दिया गया.

दरगाह ट्रस्ट के वकी ने क्या कहा?
दरगाह ट्रस्ट के वकील के अनुसार, उन्होंने 8 अप्रैल को उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने मामले को सूचीबद्ध नहीं किया. जब मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा, तब तक दरगाह को पहले ही गिरा दिया गया था. सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने इस मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय को सुनवाई में देरी नहीं करनी चाहिए थी.

दरगाह के मेंबर ने क्या कहा?
दरगाह के सदस्य फहीम शेख ने कहा कि विध्वंस की कार्रवाई अचानक रात में की गई. उन्हें सुबह 10 बजे कार्रवाई की जानकारी हुई जब उन्होंने अपने मोबाइल पर मिस्ड कॉल और मैसेज देखे. उन्होंने वकील से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन वह कोर्ट में होने के कारण उनसे बात नहीं कर सके.

350 साल पुराने दस्तावेज मौजूद
फहीम शेख का आरोप है कि राजनीतिक दबाव में कोर्ट के आदेश से पहले दरगाह को ध्वस्त करने के लिए यह कार्रवाई की गई. उन्होंने दावा किया कि उनके पास 350 साल पुराने दस्तावेज हैं जो साबित करते हैं कि यह ढांचा वैध था.

एनएमसी का स्पष्टीकरण
नासिका नगर निगम की कमिश्नर मनीषा खत्री ने कहा कि उन्हें अभी तक सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि 16 अप्रैल को सुबह 6 बजे ढांचे को हटा दिया गया था, और वे अपने वकीलों के माध्यम से कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे. एनएमसी का कहना है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने पहले ही इस ढांचे को अवैध घोषित कर दिया था, इसलिए कार्रवाई की गई.

यह भी पढ़ें- मंदिर के पास बने दरगाह पर पशु बलि का विरोध, बाबरी मस्जिद जैसी स्थिति नहीं बनने देने की गुहार

Last Updated : April 19, 2025 at 4:51 PM IST
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