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'जिहाद के जनक' तालिबान को गले लगा रही बीजेपी: अफगान मंत्री के दौरे महबूबा ने साधा निशाना

2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद विदेश आमिर खान मंत्री मुत्तकी की पहली आधिकारिक यात्रा है.

Mehbooba Mufti
महबूबा मुफ्ती. (फाइल फोटो) (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : October 12, 2025 at 5:22 PM IST

3 Min Read
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श्रीनगर: अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी नौ अक्टूबर से भारत दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने भारत के विदेश मंत्री से मुलाकात की और अर्थव्यवस्था, व्यापार और अन्य मुद्दों पर चर्चा की. मुत्तकी के दौरे को लेकर राजनीति बयानबाजी भी तेज है. इस बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए उस पर तालिबान के साथ संबंध बनाते हुए भारत में मुसलमानों को निशाना बनाने का आरोप लगाया.

महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट लिखा, "'लव जिहाद', 'भूमि जिहाद', 'वोट जिहाद' और 'गाय जिहाद' के नाम पर, भाजपा अपनी ही मुस्लिम आबादी को निशाना बना रही है और उन्हें बदनाम करने वाले नारे लगा रही है. इस बीच, भारत-जो लोकतंत्र की जननी है- भाजपा के नेतृत्व में जिहाद के जनक तालिबान को गले लगा रहा है,"

महबूबा मुफ्ती ने मुस्लिम छात्रों के लिए छात्रवृत्ति वापस लेने के सरकार के फैसले की आलोचना की और इसे दोहरा मापदंड बताया. उन्होंने 'एक्स' पर लिखा- "भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए हर तरह की सहायता देने का फ़ैसला किया है, जिसमें अफ़ग़ान छात्रों के लिए शैक्षिक छात्रवृत्ति भी शामिल है. अफ़ग़ानिस्तान के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन इससे एक स्पष्ट विरोधाभास पैदा होता है: भारत की अपनी मुस्लिम आबादी, जिसने देश की पहचान और प्रगति में योगदान दिया है, उसे बुनियादी अधिकारों और अवसरों से वंचित किया जा रहा है. मुस्लिम छात्रों के लिए छात्रवृत्ति वापस लेना इस आंतरिक दोहरे मापदंड को उजागर करता है."

पीडीपी प्रमुख ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के शनिवार को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित दारुल उलूम देवबंद के दौरे पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी कटाक्ष किया. उन्होंने आगे कहा, "अंतर्राष्ट्रीय संबंध बनाना जरूरी है, लेकिन एक स्थिर और सामंजस्यपूर्ण राष्ट्र की नींव अपने देश के भीतर, खासकर अपनी मुस्लिम आबादी के साथ, विश्वास, सम्मान और समानता पर आधारित होनी चाहिए. मुझे उम्मीद है कि बुलडोजर बाबा सुन रहे होंगे!"

बता दें कि तालिबान का देवबंदी इस्लाम से जुड़ाव इस आंदोलन की विचारधारा और इतिहास में निहित है. 1866 में भारत के उत्तर प्रदेश के देवबंद में स्थापित, देवबंदी आंदोलन एक सुन्नी इस्लामी पुनरुत्थानवादी प्रयास है जो मूल इस्लामी सिद्धांतों की ओर लौटने पर ज़ोर देता है और पश्चिमी प्रभावों को अस्वीकार करता है. यह इस्लामी अध्ययन, न्यायशास्त्र और आध्यात्मिक शुद्धि पर केंद्रित है.

तालिबान का उदय 1990 के दशक में हुआ, जो देवबंदी विचारधारा से काफ़ी प्रभावित था. ख़ासकर दारुल उलूम हक्कानिया जैसे पाकिस्तानी मदरसों के ज़रिए, जो देवबंद से संबद्ध हैं. मुल्ला उमर समेत कई तालिबान नेताओं ने इन्हीं संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की. देवबंदी और तालिबान, दोनों ही इस्लामी कानून को पूरी तरह लागू करने में विश्वास रखते हैं. वे पश्चिमी सांस्कृतिक और बौद्धिक प्रभावों का विरोध करते हैं और उन्हें इस्लामी मूल्यों के लिए ख़तरा मानते हैं.

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