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पानी बचाने की मुहिम! आठवीं पास मैरी सुरीन ने तैयार किया दर्जनों पत्थर बांध, वन्य जीवों के लिए बना वरदान - STONE DAM

बढ़निया गांव की रहने वाली मैरी सुरीन पत्थर बांध बनाकर पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहीं. उन्हें इसके लिए सम्मानित किया जा चुका है.

Mary Surin
ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : June 5, 2025 at 5:12 AM IST

6 Min Read

पलामू: झारखंड के लातेहार जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली मैरी सुरीन पर्यावरण बचाने के लिए एक मुहिम चला रही हैं. उनकी इस मुहिम के कारण कई बार जंगलों को आग से बचाया गया. साथी ही वन्य जीवों की प्यास भी बुझाई गई. यह मुहिम ग्रामीणों को एकजुट कर चलाया तो जा रहा है, लेकिन इसमें मुख्य भूमिका मैरी सुरानी का एक जुगाड़ टेक्नोलॉजी बना है.

लातेहार जिले के बरवाडीह में एक छोटा सा गांव है - बढ़निया. यह इलाका बेतला नेशनल फॉरेस्ट के पलामू टाइगर रिजर्व एरिया के अंतर्गत आता है. यह इलाका घने जंगलों वाला तो है ही. साथ ही पहाड़ों से भी घिरा हुआ है. इलाके में बाघ, तेंदुआ, हाथी, हिरण, बंदर समेत कई वन्य जीव हैं. इसी बढ़निया गांव में रहती हैं मैरी सुरीन.

जानकारी देते संवाददाता नीरज कुमार (ईटीवी भारत)

मैरी सुरीन पर्यावरण बचाने की मुहिम चला रही हैं. वह कभी जंगलों को आग से बचाने की कोशिश करती हैं तो कभी पानी बचाने के लिए ग्रामीणों को एकजुट करती हैं. उनके पास एक जुगाड़ टेक्नोलॉजी है जिसे अपनाकर वह पर्यावरण बचा रही हैं. यह जुगाड़ टेक्नोलॉजी कुछ और नहीं बल्कि पत्थर से बना बांध है, जिसे पत्थर बांध कहा जाता है. मैरी सुरीन ने ग्रामीणों को एकजुट कर पत्थर बांध बनाया है. इस पत्थर बांध से पानी का संरक्षण हो रहा है और जंगल में मिट्टी और बालू का कटाव रुक रहा है.

दरअसल, मैरी सुरीन आठवीं तक पढ़ी हैं. अपने घरेलू जीवन के साथ-साथ मैरी सुरीन ने पर्यावरण बचाने की मुहिम शुरू की है. फिर उन्होंने पूरे इलाके को इस मुहिम से जोड़ा. 2024 में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने भी मैरी सुरीन को पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया है. मैरी सुरीन ने जंगल को आग से बचाने की मुहिम भी चलाई थी.

Mary Surin
मैरी सुरीन (ईटीवी भारत)

पानी बचाने के लिए 2024 से शुरू हुआ पत्थर बांध बनाना

मैरी सुरीन जिस इलाके में रहती हैं, वह घने जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है. इलाके में बाघ, तेंदुआ, हाथी, हिरण, बंदर समेत कई जंगली जानवर हैं. गर्मी में जंगली जानवरों के साथ-साथ गांव के मवेशियों को भी जल संकट का सामना करना पड़ता है. इस संकट को देखते हुए मैरी सुरीन ने अपने गांव के ग्रामीणों के साथ बैठक कर एक योजना तैयार की. इस योजना के तहत जंगल में मौजूद नालों पर पत्थर बांध बनाने का निर्णय लिया गया.

Mary Surin
पत्थर बांध बनाती मैरी सुरीन (ईटीवी भारत)

2024 की शुरुआत में बढ़निया गांव में मौजूद एक नाले में सात पत्थर बांध बनाए गए. पत्थर बांध बनाने के लिए नाले के आसपास मौजूद पत्थर और मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है. इस काम के लिए ग्रामीण बैठक करते हैं और तय समय पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाता है. चार से पांच घंटे में पत्थर बांध बनकर तैयार हो जाता है. मैरी सुरीन के नेतृत्व में अब तक 35 से अधिक पत्थर बांध बनाए जा चुके हैं.

Mary Surin
मैरी सुरीन का बयान (ईटीवी भारत)

"पीटीआर अधिकारी से बातचीत और मार्गदर्शन में पत्थर बांध बनाने का काम शुरू किया गया. पत्थर बांध बनाने में मिट्टी का भी इस्तेमाल होता है. सबसे बड़ा लक्ष्य पत्थर बांध के जरिए मिट्टी और बालू के कटाव को रोकना है. पत्थर बांध में पानी जमा किया जाता है, जिससे वन्य जीवों और मवेशियों की प्यास बुझती है. इस पानी का इस्तेमाल कई इलाकों में सिंचाई के लिए भी किया जाता है. जंगल को आग से बचाने के लिए भी प्रयास किए गए हैं. पत्थर बांध के कई फायदे हैं." - मैरी सुरीन, ग्रामीण, बढ़निया

Mary Surin
इलियास टोपनो का बयान (ईटीवी भारत)

"बांध बनाने के लिए ग्रामीणों से सलाह ली गई. सभी एकजुट हुए. बांध बनने से पानी की बचत हो रही है और इसके कई फायदे भी हैं. मेरी पत्नी पर्यावरण को बचाने के लिए कदम उठा रही हैं. पत्थर बांध जंगल के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है." - इलियास टोपनो, मैरी सुरीन के पति

कैसा है इलाका जहां पत्थर बांध किया गया है तैयार

जिस इलाके में पत्थर बांध का निर्माण किया गया है, वह इलाका बेहद घने जंगल और पहाड़ से घिरा हुआ है. बरसात के दिनों में इलाके का पानी नालों के जरिए 22 किलोमीटर दूर मंडल डैम के पास कोयल नदी में चला जाता है. बारिश के पानी से ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं होता. बल्कि खेतों की मिट्टी और इलाके की रेत पानी के तेज बहाव में बह जाती है. पत्थर बांध बनने से पानी धीमी गति से नदी की ओर बहता है और बारिश का पानी उस जगह पर रुकता है जहां पत्थर बांध बना है.

Mary Surin
पत्थर बांध बनातीं मैरी सुरीन (ईटीवी भारत)

इस पूरे मामले पर पीटीआर के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना कहते हैं कि यह एक तरह से पर्यावरण को बचाने की पहल है और इको डेवलपमेंट कमेटी इसी के लिए काम कर रही है. पत्थरों को जमा करके एक बांध बनाया गया है ताकि पानी को संरक्षित किया जा सके.

Mary Surin
पीटीआर के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना का बयान (ईटीवी भारत)

2009 में चर्चा में आया था मैरी सुरीन का गांव बढ़निया

दरअसल, जिस इलाके में जुगाड़ टेक्नोलॉजी से पत्थर बांध बनाया गया है, वह बढ़निया इलाका 2009 में अचानक चर्चा में आ गया था. चुनाव के दौरान हुए विस्फोट में सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे. इस घटना के बाद छह ग्रामीणों को मार गिराया था. इस घटना के विरोध में माओवादियों ने एक ट्रेन को भी हाईजैक कर लिया था. पूरा इलाका घोर नक्सल प्रभावित माना जाता रहा है और यह इलाका माओवादियों के बूढ़ा पहाड़ कॉरिडोर में आता है.

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पलामू: झारखंड के लातेहार जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली मैरी सुरीन पर्यावरण बचाने के लिए एक मुहिम चला रही हैं. उनकी इस मुहिम के कारण कई बार जंगलों को आग से बचाया गया. साथी ही वन्य जीवों की प्यास भी बुझाई गई. यह मुहिम ग्रामीणों को एकजुट कर चलाया तो जा रहा है, लेकिन इसमें मुख्य भूमिका मैरी सुरानी का एक जुगाड़ टेक्नोलॉजी बना है.

लातेहार जिले के बरवाडीह में एक छोटा सा गांव है - बढ़निया. यह इलाका बेतला नेशनल फॉरेस्ट के पलामू टाइगर रिजर्व एरिया के अंतर्गत आता है. यह इलाका घने जंगलों वाला तो है ही. साथ ही पहाड़ों से भी घिरा हुआ है. इलाके में बाघ, तेंदुआ, हाथी, हिरण, बंदर समेत कई वन्य जीव हैं. इसी बढ़निया गांव में रहती हैं मैरी सुरीन.

जानकारी देते संवाददाता नीरज कुमार (ईटीवी भारत)

मैरी सुरीन पर्यावरण बचाने की मुहिम चला रही हैं. वह कभी जंगलों को आग से बचाने की कोशिश करती हैं तो कभी पानी बचाने के लिए ग्रामीणों को एकजुट करती हैं. उनके पास एक जुगाड़ टेक्नोलॉजी है जिसे अपनाकर वह पर्यावरण बचा रही हैं. यह जुगाड़ टेक्नोलॉजी कुछ और नहीं बल्कि पत्थर से बना बांध है, जिसे पत्थर बांध कहा जाता है. मैरी सुरीन ने ग्रामीणों को एकजुट कर पत्थर बांध बनाया है. इस पत्थर बांध से पानी का संरक्षण हो रहा है और जंगल में मिट्टी और बालू का कटाव रुक रहा है.

दरअसल, मैरी सुरीन आठवीं तक पढ़ी हैं. अपने घरेलू जीवन के साथ-साथ मैरी सुरीन ने पर्यावरण बचाने की मुहिम शुरू की है. फिर उन्होंने पूरे इलाके को इस मुहिम से जोड़ा. 2024 में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने भी मैरी सुरीन को पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया है. मैरी सुरीन ने जंगल को आग से बचाने की मुहिम भी चलाई थी.

Mary Surin
मैरी सुरीन (ईटीवी भारत)

पानी बचाने के लिए 2024 से शुरू हुआ पत्थर बांध बनाना

मैरी सुरीन जिस इलाके में रहती हैं, वह घने जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है. इलाके में बाघ, तेंदुआ, हाथी, हिरण, बंदर समेत कई जंगली जानवर हैं. गर्मी में जंगली जानवरों के साथ-साथ गांव के मवेशियों को भी जल संकट का सामना करना पड़ता है. इस संकट को देखते हुए मैरी सुरीन ने अपने गांव के ग्रामीणों के साथ बैठक कर एक योजना तैयार की. इस योजना के तहत जंगल में मौजूद नालों पर पत्थर बांध बनाने का निर्णय लिया गया.

Mary Surin
पत्थर बांध बनाती मैरी सुरीन (ईटीवी भारत)

2024 की शुरुआत में बढ़निया गांव में मौजूद एक नाले में सात पत्थर बांध बनाए गए. पत्थर बांध बनाने के लिए नाले के आसपास मौजूद पत्थर और मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है. इस काम के लिए ग्रामीण बैठक करते हैं और तय समय पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाता है. चार से पांच घंटे में पत्थर बांध बनकर तैयार हो जाता है. मैरी सुरीन के नेतृत्व में अब तक 35 से अधिक पत्थर बांध बनाए जा चुके हैं.

Mary Surin
मैरी सुरीन का बयान (ईटीवी भारत)

"पीटीआर अधिकारी से बातचीत और मार्गदर्शन में पत्थर बांध बनाने का काम शुरू किया गया. पत्थर बांध बनाने में मिट्टी का भी इस्तेमाल होता है. सबसे बड़ा लक्ष्य पत्थर बांध के जरिए मिट्टी और बालू के कटाव को रोकना है. पत्थर बांध में पानी जमा किया जाता है, जिससे वन्य जीवों और मवेशियों की प्यास बुझती है. इस पानी का इस्तेमाल कई इलाकों में सिंचाई के लिए भी किया जाता है. जंगल को आग से बचाने के लिए भी प्रयास किए गए हैं. पत्थर बांध के कई फायदे हैं." - मैरी सुरीन, ग्रामीण, बढ़निया

Mary Surin
इलियास टोपनो का बयान (ईटीवी भारत)

"बांध बनाने के लिए ग्रामीणों से सलाह ली गई. सभी एकजुट हुए. बांध बनने से पानी की बचत हो रही है और इसके कई फायदे भी हैं. मेरी पत्नी पर्यावरण को बचाने के लिए कदम उठा रही हैं. पत्थर बांध जंगल के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है." - इलियास टोपनो, मैरी सुरीन के पति

कैसा है इलाका जहां पत्थर बांध किया गया है तैयार

जिस इलाके में पत्थर बांध का निर्माण किया गया है, वह इलाका बेहद घने जंगल और पहाड़ से घिरा हुआ है. बरसात के दिनों में इलाके का पानी नालों के जरिए 22 किलोमीटर दूर मंडल डैम के पास कोयल नदी में चला जाता है. बारिश के पानी से ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं होता. बल्कि खेतों की मिट्टी और इलाके की रेत पानी के तेज बहाव में बह जाती है. पत्थर बांध बनने से पानी धीमी गति से नदी की ओर बहता है और बारिश का पानी उस जगह पर रुकता है जहां पत्थर बांध बना है.

Mary Surin
पत्थर बांध बनातीं मैरी सुरीन (ईटीवी भारत)

इस पूरे मामले पर पीटीआर के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना कहते हैं कि यह एक तरह से पर्यावरण को बचाने की पहल है और इको डेवलपमेंट कमेटी इसी के लिए काम कर रही है. पत्थरों को जमा करके एक बांध बनाया गया है ताकि पानी को संरक्षित किया जा सके.

Mary Surin
पीटीआर के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना का बयान (ईटीवी भारत)

2009 में चर्चा में आया था मैरी सुरीन का गांव बढ़निया

दरअसल, जिस इलाके में जुगाड़ टेक्नोलॉजी से पत्थर बांध बनाया गया है, वह बढ़निया इलाका 2009 में अचानक चर्चा में आ गया था. चुनाव के दौरान हुए विस्फोट में सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे. इस घटना के बाद छह ग्रामीणों को मार गिराया था. इस घटना के विरोध में माओवादियों ने एक ट्रेन को भी हाईजैक कर लिया था. पूरा इलाका घोर नक्सल प्रभावित माना जाता रहा है और यह इलाका माओवादियों के बूढ़ा पहाड़ कॉरिडोर में आता है.

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