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ऐसी 'जेल' जहां रहते हैं कई खतरनाक जानवर, मंगलवार को रखते हैं 'उपवास', जानिए किस 'जुर्म' की काट रहे सजा - RESCUE CENTER CHIDIYAPUR HARIDWAR

उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों में कई लोगों की जान लेने वाले 16 आदमखोर गुलदारों को हरिद्वार में 'कैद' रखा गया है.विस्तार से पढ़िए पूरी खबर.वीडियो-

RESCUE CENTER CHIDIYAPUR HARIDWAR
आदमखोर गुलदार (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : March 11, 2025 at 8:09 PM IST

5 Min Read

किरनकांत शर्मा, चिड़ियापुर रेंज: समाज में सभी को शांति और सुरक्षा का एहसास हो, इसके लिए विधि निर्माताओं ने कानून बनाया. कानून के तहत ही सजा का प्रावधान भी रखा गया. जिसमें माफी से लेकर जेल तक की व्यवस्था है. जहां कानून का पालन न हो, उस जगह को जंगलराज की संज्ञा दी जाती है. क्योंकि, जंगल ही एक जगह है, जहां जानवरों के कायदे-कानून नहीं होते. लेकिन एक जगह ऐसी भी है, जहां जानवरों द्वारा कायदे कानून तोड़ने पर उन्हें 'जेल' में जिंदगी बितानी पड़ रही है. जी हां, एक ऐसी 'जेल' जहां जंगल के खूंखार जानवर कैद हैं.

बाड़े में कैद हैं कई खूंखार आदमखोर शिकारी जानवर: करीबन 35 हेक्टेयर में फैला उत्तराखंड वन विभाग का चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर बना तो घायल जानवरों के उपचार के लिए था, लेकिन अब इसमें पिछले कई सालों से कई आदमखोर जानवर भी बंद हैं. नजीबाबाद रोड पर बना यह सेंटर 14 आदमखोर गुलदारों का घर है, जहां ये सलाखों के पीछे बंद हैं. इस रेस्क्यू सेंटर में पौड़ी, जोशीमठ, कोटद्वार, हरिद्वार समेत तमाम जगहों से लाए गए वो आदमखोर शिकारी जानवर अब वन विभाग की देख-रेख में पल रहे हैं, जिन्होंने कई लोगों को अपना निवाला बनाया है.

आदमखोर जानवरों का आशियाना बना चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर (VIDEO- ETV Bharat)

वन विभाग के पास पहले इस रेस्क्यू सेंटर में मात्र 6 गुलदारों को रखने का इंतजाम था, लेकिन धीरे-धीरे इसको बढ़ा किया गया. आज 16 से ज्यादा गुलदार यहां पर रखे जा सकते हैं. हालांकि, वन विभाग अभी इसे और अपग्रेड करने पर विचार कर रहा है. ताकि और ज्यादा गुलदारों को यहां पर रखा जा सके.

जानवरों का रखा जाता है ध्यान, उम्र से ज्यादा जी रहे आदमखोर: इस रेस्क्यू सेंटर में जिन गुलदारों को रखा गया है, उनमें रॉकी, जोशी, मोना, रूबी, दारा और सिंबा जैसे नाम वाले गुलदार शामिल हैं. जबकि, इससे पहले हिना, सुंदर समेत 6 गुलदार अपनी उम्र पूरी करके मर चुके हैं. वन विभाग की एक बड़ी टीम इन गुलदारों की देखरेख में लगी रहती है. वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अमित ध्यानी करीब 10 सालों से इन आदमखोरों की अपनी निगरानी में देखभाल कर रहे हैं.

RESCUE CENTER CHIDIYAPUR HARIDWAR
बाड़े में कैद गुलदार (फोटो- ETV Bharat)
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घायल गुलदारों का किया जाता है उपचार (फोटो- ETV Bharat)

जंगल में छोड़ना इंसानों के लिए खतरनाक: डॉ. अमित ध्यानी बताते हैं कि शुरुआत में जब गुलदारों को यहां लाया जाता था, तब उन्हें कंट्रोल करने और उन्हें रखने में थोड़ी सी तकलीफ होती है. लेकिन उनकी पूरी टीम उनका ध्यान और रूटीन चेकअप करती है. आपसी तालमेल बनने के बाद जानवरों नेचर में काफी परिवर्तन आ जाता है. अब सभी जानवर बाड़े में रहकर खुश हैं. ये वो गुलदार हैं, जिन्हें अब जंगल में छोड़ा नहीं जा सकता है. क्योंकि, एक बार नरभक्षी होने के बाद इन्हें जंगल में छोड़ना इंसानों के लिए खतरनाक हो जाता है.

RESCUE CENTER CHIDIYAPUR HARIDWAR
तेंदुओं की संख्या (फोटो- ETV Bharat GFX)

मोना और दारा की कहानी: बाड़े में बंद एक गुलदार 'मोना' भी है, जो यहां 4 साल की उम्र में लाई गई थी. मोना बेहद शर्मीली थी, लेकिन अब वो यहां के माहौल को स्वीकार कर चुकी है. इसे पौड़ी से लाया गया था. इसने उस दौरान करीब चार लोगों को अपना शिकार बनाया था. आज उसकी उम्र 15 साल से ज्यादा हो गई है. अमूमन जंगल में रहने वाले गुलदार की उम्र 10 या 12 साल होती है, लेकिन यहां पर सभी गुलदार को अच्छा खाना-पीना और समय पर मेडिसिन मिल रही है.

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मानव वन्यजीव संघर्ष का आंकड़ा (फोटो- ETV Bharat GFX)

इसलिए यहां पर जो गुलदार हैं, वो बिल्कुल स्वस्थ हैं और लंबे समय तक स्वस्थ बने रहेंगे. उत्तराखंड के पोखाल से लाया गया 'दारा' भी यहां पर मौजूद है. इसने भी 3 लोगों को अपना शिकार बनाया था, लेकिन अब वो अपना बाकी का जीवन यहीं बिताएगा. ये काफी एक्टिव है. इस वक्त उसका वजन 80 किलो से ज्यादा हो गया है.

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गुलदार से 'गुलजार' चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर (फोटो- ETV Bharat GFX)

मंगलवार को होता है 'उपवास': जो गुलदार इंसानों को अपना शिकार बना चुके हैं, खास बात ये है कि वही गुलदार मंगलवार को 'उपवास' पर रहते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि इंसान हो या जानवर, एक दिन की फास्टिंग यानी उपवास हमारे अंदर के शारीरिक तंत्र को ठीक रखती है. मंगलवार को छोड़ कर सभी सुबह, दिन और रात को अलग-अलग तरह का मीट खाते हैं. इनकी देख-रेख में 7 से लेकर 10 लोग हमेशा तैनात रहते हैं.

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चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर में गुलदार (फोटो- ETV Bharat)
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गुलदार की देखरेख करते डॉक्टर (फोटो- ETV Bharat)

हमारी पूरी टीम इन गुलदारों की देखरेख में लगी रहती है. कोशिश है कि जल्द से जल्द और अधिक व्यवस्थाएं यहां पर आ सकें. हालांकि, अभी भी हमारे पास अनुभवी दो डॉक्टरों की टीम और उनकी देखरेख के लिए एक्सपर्ट मौजूद हैं. जानवरों को यहां पर खाने-पीने से मेडिकल चेकअप की व्यवस्था समय-समय पर मिलती रहती है. इस रेस्क्यू सेंटर का विस्तार किया जा रहा है. ताकि और अधिक गुलदारों को यहां पर रखा जा सके.- पूनम सिलौरी, एस़़डीओ, वन विभाग

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किरनकांत शर्मा, चिड़ियापुर रेंज: समाज में सभी को शांति और सुरक्षा का एहसास हो, इसके लिए विधि निर्माताओं ने कानून बनाया. कानून के तहत ही सजा का प्रावधान भी रखा गया. जिसमें माफी से लेकर जेल तक की व्यवस्था है. जहां कानून का पालन न हो, उस जगह को जंगलराज की संज्ञा दी जाती है. क्योंकि, जंगल ही एक जगह है, जहां जानवरों के कायदे-कानून नहीं होते. लेकिन एक जगह ऐसी भी है, जहां जानवरों द्वारा कायदे कानून तोड़ने पर उन्हें 'जेल' में जिंदगी बितानी पड़ रही है. जी हां, एक ऐसी 'जेल' जहां जंगल के खूंखार जानवर कैद हैं.

बाड़े में कैद हैं कई खूंखार आदमखोर शिकारी जानवर: करीबन 35 हेक्टेयर में फैला उत्तराखंड वन विभाग का चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर बना तो घायल जानवरों के उपचार के लिए था, लेकिन अब इसमें पिछले कई सालों से कई आदमखोर जानवर भी बंद हैं. नजीबाबाद रोड पर बना यह सेंटर 14 आदमखोर गुलदारों का घर है, जहां ये सलाखों के पीछे बंद हैं. इस रेस्क्यू सेंटर में पौड़ी, जोशीमठ, कोटद्वार, हरिद्वार समेत तमाम जगहों से लाए गए वो आदमखोर शिकारी जानवर अब वन विभाग की देख-रेख में पल रहे हैं, जिन्होंने कई लोगों को अपना निवाला बनाया है.

आदमखोर जानवरों का आशियाना बना चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर (VIDEO- ETV Bharat)

वन विभाग के पास पहले इस रेस्क्यू सेंटर में मात्र 6 गुलदारों को रखने का इंतजाम था, लेकिन धीरे-धीरे इसको बढ़ा किया गया. आज 16 से ज्यादा गुलदार यहां पर रखे जा सकते हैं. हालांकि, वन विभाग अभी इसे और अपग्रेड करने पर विचार कर रहा है. ताकि और ज्यादा गुलदारों को यहां पर रखा जा सके.

जानवरों का रखा जाता है ध्यान, उम्र से ज्यादा जी रहे आदमखोर: इस रेस्क्यू सेंटर में जिन गुलदारों को रखा गया है, उनमें रॉकी, जोशी, मोना, रूबी, दारा और सिंबा जैसे नाम वाले गुलदार शामिल हैं. जबकि, इससे पहले हिना, सुंदर समेत 6 गुलदार अपनी उम्र पूरी करके मर चुके हैं. वन विभाग की एक बड़ी टीम इन गुलदारों की देखरेख में लगी रहती है. वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अमित ध्यानी करीब 10 सालों से इन आदमखोरों की अपनी निगरानी में देखभाल कर रहे हैं.

RESCUE CENTER CHIDIYAPUR HARIDWAR
बाड़े में कैद गुलदार (फोटो- ETV Bharat)
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घायल गुलदारों का किया जाता है उपचार (फोटो- ETV Bharat)

जंगल में छोड़ना इंसानों के लिए खतरनाक: डॉ. अमित ध्यानी बताते हैं कि शुरुआत में जब गुलदारों को यहां लाया जाता था, तब उन्हें कंट्रोल करने और उन्हें रखने में थोड़ी सी तकलीफ होती है. लेकिन उनकी पूरी टीम उनका ध्यान और रूटीन चेकअप करती है. आपसी तालमेल बनने के बाद जानवरों नेचर में काफी परिवर्तन आ जाता है. अब सभी जानवर बाड़े में रहकर खुश हैं. ये वो गुलदार हैं, जिन्हें अब जंगल में छोड़ा नहीं जा सकता है. क्योंकि, एक बार नरभक्षी होने के बाद इन्हें जंगल में छोड़ना इंसानों के लिए खतरनाक हो जाता है.

RESCUE CENTER CHIDIYAPUR HARIDWAR
तेंदुओं की संख्या (फोटो- ETV Bharat GFX)

मोना और दारा की कहानी: बाड़े में बंद एक गुलदार 'मोना' भी है, जो यहां 4 साल की उम्र में लाई गई थी. मोना बेहद शर्मीली थी, लेकिन अब वो यहां के माहौल को स्वीकार कर चुकी है. इसे पौड़ी से लाया गया था. इसने उस दौरान करीब चार लोगों को अपना शिकार बनाया था. आज उसकी उम्र 15 साल से ज्यादा हो गई है. अमूमन जंगल में रहने वाले गुलदार की उम्र 10 या 12 साल होती है, लेकिन यहां पर सभी गुलदार को अच्छा खाना-पीना और समय पर मेडिसिन मिल रही है.

RESCUE CENTER CHIDIYAPUR HARIDWAR
मानव वन्यजीव संघर्ष का आंकड़ा (फोटो- ETV Bharat GFX)

इसलिए यहां पर जो गुलदार हैं, वो बिल्कुल स्वस्थ हैं और लंबे समय तक स्वस्थ बने रहेंगे. उत्तराखंड के पोखाल से लाया गया 'दारा' भी यहां पर मौजूद है. इसने भी 3 लोगों को अपना शिकार बनाया था, लेकिन अब वो अपना बाकी का जीवन यहीं बिताएगा. ये काफी एक्टिव है. इस वक्त उसका वजन 80 किलो से ज्यादा हो गया है.

RESCUE CENTER CHIDIYAPUR HARIDWAR
गुलदार से 'गुलजार' चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर (फोटो- ETV Bharat GFX)

मंगलवार को होता है 'उपवास': जो गुलदार इंसानों को अपना शिकार बना चुके हैं, खास बात ये है कि वही गुलदार मंगलवार को 'उपवास' पर रहते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि इंसान हो या जानवर, एक दिन की फास्टिंग यानी उपवास हमारे अंदर के शारीरिक तंत्र को ठीक रखती है. मंगलवार को छोड़ कर सभी सुबह, दिन और रात को अलग-अलग तरह का मीट खाते हैं. इनकी देख-रेख में 7 से लेकर 10 लोग हमेशा तैनात रहते हैं.

RESCUE CENTER CHIDIYAPUR HARIDWAR
चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर में गुलदार (फोटो- ETV Bharat)
RESCUE CENTER CHIDIYAPUR HARIDWAR
गुलदार की देखरेख करते डॉक्टर (फोटो- ETV Bharat)

हमारी पूरी टीम इन गुलदारों की देखरेख में लगी रहती है. कोशिश है कि जल्द से जल्द और अधिक व्यवस्थाएं यहां पर आ सकें. हालांकि, अभी भी हमारे पास अनुभवी दो डॉक्टरों की टीम और उनकी देखरेख के लिए एक्सपर्ट मौजूद हैं. जानवरों को यहां पर खाने-पीने से मेडिकल चेकअप की व्यवस्था समय-समय पर मिलती रहती है. इस रेस्क्यू सेंटर का विस्तार किया जा रहा है. ताकि और अधिक गुलदारों को यहां पर रखा जा सके.- पूनम सिलौरी, एस़़डीओ, वन विभाग

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