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आखिर चारधाम यात्रा में क्यों होती हैं इतनी अधिक मौतें, एक्सपर्ट ने दी इन गलतियों से बचने की सलाह - UTTARAKHAND CHARDHAM 2025

उत्तराखंड चारधाम को शुरू हुए मात्र 27 दिन ही हुई है, लेकिन अभी तक 37 श्रद्धालुओं की बीमारी के कारण मौत हो चुकी है.

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चारधाम में श्रद्धालुओं की मौतों का कारण. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 28, 2025 at 12:07 AM IST

11 Min Read

देहरादून (किरणकांत शर्मा): देश में कई ऐसे स्थान हैं, जो बेहद ऊंचाई पर होने के साथ ही पर्यटकों की पहली पसंद में रहते हैं. इतना ही नहीं, भारतवर्ष में ऐसे कई मंदिर भी हैं, जो काफी ऊंचाई पर हैं. इसमें उत्तराखंड के चारधाम भी आते हैं, जहां कपाट सिर्फ साल में 6 महीने की खुलते हैं. हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड चारधाम में दर्शन करने आते हैं, लेकिन इन चारों धामों में हर साल बड़ी संख्या में पर्यटकों की मौत भी होती है. आइए जानते हैं क्यों अन्य धार्मिक स्थलों के मुकाबले चारधाम में श्रद्धालुओं की मौतें ज्यादा होती हैं.

उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कत ना हो, इसके लिए शासन से लेकर पुलिस-प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग तमाम इंतजाम करता है. फिर भी कई श्रद्धालुओं की तबीयत खराब होने के कारण मौत हो जाती है. इस साल 30 अप्रैल से शुरू हुई चारधाम यात्रा में अभी तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें सबसे अधिक मौतें केदारनाथ धाम में हुई हैं. ऐसे में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि आखिरकार इन मौत की बड़ी वजह क्या है?

सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है हेमकुंड साहिब: सबसे पहले उत्तराखंड चारधाम और हेमकुंड साहिब के बारे में जानते है. केदारनाथ धाम समुद्र तल से करीब 3,584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. वहीं बदरीनाथ धाम 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. गंगोत्री धाम उत्तराखंड के चारों धामों में ऊंचाई के मामले में तीसरे नंबर पर है. गंगोत्री धाम की ऊंचाई 3,415 मीटर है. यमुनोत्री धाम की ऊंचाई 3,291 मीटर है. जबकि हेमकुंड साहिब की ऊंचाई 4,329 मीटर है. देखा जाए तो हेमकुंड साहिब की ऊंचाई केदारनाथ से भी अधिक है. जबकि हेमकुंड साहिब में मृत्यु दर शून्य के बराबर है.

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सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है हेमकुंड साहिब (ETV Bharat)

इसी तरह से भारत के अगर ऊंचाई वाले क्षेत्र की हम बात करें जहां पर सबसे अधिक लोग जाते हैं और रहते भी हैं, उनमें लेह लद्दाख शामिल है. लद्दाख की ऊंचाई 3,529 मीटर है. जबकि अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के दो क्षेत्र तवांग और ज़ुलुक भी 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां पर सालाना पर्यटक जाते हैं. इसी तरह से हिमाचल का काज़ा भी 3,650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. फिर भी यहां पर हृदय गति रुकने से इतने लोगों की जान शायद ही साल भर में जाती होगी.

इस साल के मौत के आंकड़े: सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जितनी मौतें उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के दौरान सड़क हादसों में होती हैं, उतनी ही मौतें चार धाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की हृदय गति रुकने या तबीयत खराब होने की वजह से भी जाती है. उत्तराखंड राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो पता लगता है कि साल 2024 में भी 52 श्रद्धालुओं की जान गई थी, जिसमें सबसे अधिक मौत केदारनाथ में हुई थी. यहां पर 23 लोग यात्रा के दौरान अपनी जान गंवा बैठे थे. जबकि बदरीनाथ में 14, यमुनोत्री में 12 और गंगोत्री में तीन श्रद्धालुओं की मौत हुई थी.

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साल 2024 में भी 52 लोगों की जान गई थी. (ETV Bharat)

अभी यात्रा को इस साल खुले हुए महज 27 दिन हुए हैं, और 37 लोगों की मौत हो चुकी है. अभी तक बीमारी के कारण बदरीनाथ में दो लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि केदारनाथ में यह आंकड़ा 18 पहुंच गया है. इसी तरह से गंगोत्री में सात और यमुनोत्री में दस तक पहुंचा है. ये वो लोग हैं जो स्वास्थ्य खराब होने और हृदय गति रुकने की वजह से अपनी जान खो बैठे हैं. डॉक्टरों ने सभी मौतों का कारण अमूमन हृदय गति रुकने या फिर अत्यधिक तबीयत खराब होने बताया है. बता दें कि इन 37 मौतों के अलावा 6 मौत उत्तरकाशी में हेलीकॉप्टर क्रैश के दौरान हुई थी.

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साल 2024 में भी 52 लोगों की जान गई थी. (ETV Bharat)

50 साल से ज्यादा उम्र के श्रद्धालुओं की हुई मौत: इस बार भी जिन श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई है, इसमें 50 साल उम्र से अधिक के श्रद्धालु शामिल है. अधिकतर मृत्यु हृदय गति रुकने की वजह से ही हुई है. लगातार उत्तराखंड के चार धामों में हो रही मौत को लेकर फिजिशियन डॉक्टर केके त्रिपाठी विस्तार में बताते हैं कि पहाड़ों पर अधिकांश मौत उन्हीं लोगों की हुई है, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. चारधाम में श्रद्धालुओं की मौत का कारण भी ऐसा ही देखा जा रहा है.

कई बार लोगों का स्वास्थ्य सही नहीं होता, उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है या हृदय से संबंधित कोई अन्य दिक्कत हो रही है, बावजूद इसके लोग पहाड़ चढ़ते है और ऐसे में उनकी कई बार जान भी चली जाती है.
- डॉक्टर केके त्रिपाठी -

चारधाम जाने वाले भक्तों की डॉक्टर की सलाह: डॉक्टर का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति चारधाम या फिर अन्य ऐसे किसी पहाड़ी जगह पर जा रहा है तो उसे महीनों पहले इसकी तैयारी करना चाहिए. क्योंकि कोई व्यक्ति यदि अचानक से एक दिन में इतना पहाड़ चढ़ेगा तो उसे हृदय गति रुकने या रक्तचाप जैसे समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए ऐसे जगहों पर जाने के लिए पहले से ही घूमना फिरना शुरू कर देना चाहिए. डॉ त्रिपाठी की मानें तो जिस व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ, थकान बहुत जल्दी हो जाती हो, थोड़ा चलकर ही सांस फूलने लगती हो या चेस्ट में किसी तरह का दर्द अथवा कोई बड़ा ऑपरेशन हुआ हो तो उसे इस तरह का सफर नहीं करना चाहिए.

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चारधाम यात्री इन बातों को विशेष ध्यान रखें. (ETV Bharat)

अन्य जगहों के मुकाबले उत्तराखंड चारधाम में ज्यादा मौतें क्यों होती हैं? इस सवाल पर डॉ त्रिपाठी ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इतनी लंबी और कठिन पैदल यात्रा कोई एक दिन में इतना बुजुर्ग इंसान करता होगा. अगर हम वैष्णो देवी की भी बात करें तो वहां का रास्ता भी इतना मुश्किल नहीं है. लेह-लद्दाख भले ही उत्तराखंड से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित हो, लेकिन वहां भी आप आसानी से गाड़ी से जा सकते हैं, लेकिन केदारनाथ और यमुनोत्री जैसे धाम में पैदल जाना होता है, जो बुजुर्ग और बीमारों के लिए चुनौती भरा होता है. रही बात बदरीनाथ और गंगोत्री धाम की तो वहां पर बुजुर्गों की सबसे ज्यादा मौत हो रही है. सभी को सांस लेने में समस्या होती है.

कुछ लोग लापरवाही की वजह से भी अपनी जान जोखिम में डालते हैं. लोगों को चाहिए की यात्रा करने से पहले वह इसकी तैयारी करें. पैदल चलना और पूरी नींद के साथ-साथ एक्सरसाइज जरूर करें. सीढ़ियों पर चढ़ना उतरना रेगुलर करें. यात्रा पर जाने से पहले अपनी जरूरी दवा भी अपने साथ लेकर जाएं. सभी टेस्ट करवाना बेहद जरूरी है.
- डॉक्टर केके त्रिपाठी -

पर्वतारोही क्या कहते है: पर्वतारोही शीतल राज भी चार धाम में आने वाले श्रद्धालुओं को सलाह देते हुए कहती हैं कि अचानक से पहाड़ चढ़ जाना हर किसी के बस की बात नहीं है. एक पर्वतारोही भी महीनों तक तैयारी करता है. उसके बाद 3000 या 4000 मीटर की ऊंचाई पर जाने की सोचता है, लेकिन चारधाम पर आने वाले लोग ऐसा सोचते हैं कि गाड़ी उठाकर सीधे वह आसानी से धाम में पहुंच जाएंगे, जबकि ऐसा नहीं है. लोगों को खासकर केदारनाथ और यमुनोत्री में आने से पहले कुछ जरूरी काम करने चाहिए.

इस बात का रखें ध्यान: अगर आपके साथ कोई बुजुर्ग व्यक्ति आ रहा है तो उसकी सभी जांच पहले से ही करवा ले. अगर आपको सांस की दिक्कत है तो किसी भी तरह की यात्रा जो पर्वतों पर की जाती हो उसको बिल्कुल भी ना करें. यात्रा शुरू करने से पहले यह सोचे की आपको आराम आराम से और रुक-रुक कर चलना है. तेज चलने से हमारी सांसे तेज होने लगते हैं और तब हमें समस्या पैदा होने लगती है. छोटे-छोटे कदम और आराम आराम से यात्रा मार्ग पर चले बीच-बीच में अपने शरीर को आराम दें. क्योंकि ऐसे करने से शरीर को मौसम के मुताबिक ढलने के समय मिलता है. लिहाजा रुक-रुककर यात्रा में आगे बढ़े. अधिक बोझ लेकर न चले, हो सके तो दोनों दोनों हाथ खाली रखें. चलते-चलते कम बातचीत करें. अगर आप यात्रा तक पहुंच गए हैं तो अपने शरीर को आराम दें और अगले दिन नीचे उतरने की कोशिश करें. ठंड वाली जगह पर कपड़े अच्छी तरह से पहने और कुछ खाने को अपने साथ रखें. ड्राई फ्रूट्स आप बीच-बीच में खाते रहे.

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इन कारणों ने अधिकांश श्रद्धालुओं की मौत. (ETV Bharat)

चारधाम यात्रा (केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) में अधिकतर मौतें ऊंचाई (High Altitude) पर होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के कारण होती हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • हाई एल्टीट्यूड पल्मोनरी एडिमा (HAPE): फेफड़ों में पानी भर जाना, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है.
  • हाई एल्टीट्यूड सेरेब्रल एडिमा: दिमाग में सूजन आना, जिससे भ्रम, चक्कर या बेहोशी हो सकती है।
  • हाइपॉक्सिया: ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी के कारण शरीर के अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती.
  • पहले से मौजूद हृदय या फेफड़ों की बीमारी: हृदय रोग, अस्थमा, COPD वाले यात्रियों को विशेष खतरा होता है.
  • तेजी से चढ़ाई करना और शरीर को अनुकूल न होने देना: बिना रुके, विश्राम किए लगातार चढ़ाई से शरीर को ऑक्सीजन की कमी से निपटने का समय नहीं मिलता.

आसान नहीं है केदारनाथ की राह: डॉक्टर केके त्रिपाठी का मानना है कि केदारनाथ में काफी चढ़ाई है. धाम तक पहुंचने के लिए भक्तों को करीब 18 किमी की पैदल चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. ऐसे में बीमार व्यक्ति का शरीर कही बार केदारनाथ की से लड़ नहीं पता और इसी वजह से उसकी मृत्यु हो जाती है.

जानिए किस धाम में कितने श्रद्धालु पहुंचे: इस साल चार धाम में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की बात की जाए तो यमुनोत्री धाम में अभी तक दो लाख 54 हजार 747 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं. गंगोत्री में 2 लाख 41 हजार 610 श्रद्धालु धाम पहुंचे. केदारनाथ में 5 लाख 51 हजार 26 श्रद्धालु केदारनाथ धाम पहुंच चुके हैं. बदरीनाथ में भक्तों का आंकड़ा 3 लाख 78 हजार 95 श्रद्धालु का हो चुका है. उम्मीद यही है कि ये आंकड़ा इस बार भी 50 लाख के पार पहुंच सकता है. बीते साल 42 लाख 92 हजार 760 श्रद्धालुओं ने चार धाम के दर्शन किए थे और 52 भक्तों की जान भी गई थी.

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जानिए किस धाम में इस साल 2025 में कितने श्रद्धालु पहुंचे. (ETV Bharat)

यात्रा कब से कब तक और क्या करें आप: चारधाम यात्रा इस बार 28 अप्रैल से शुरू हुई है, जो नवंबर महीने तक चलेगी. श्रद्धालुओं के लिए सरकार ने रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की है. अगर आप यात्रा पर आ रहे हैं तो ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. यात्रा में आने से पहले होटल आदि की बुकिंग पहले ही कर लें. बुकिंग करते समय सावधानी भी बरतें क्योंकि कई बार आप ठगी का शिकार भी हो सकते हैं.

पढ़ें---

देहरादून (किरणकांत शर्मा): देश में कई ऐसे स्थान हैं, जो बेहद ऊंचाई पर होने के साथ ही पर्यटकों की पहली पसंद में रहते हैं. इतना ही नहीं, भारतवर्ष में ऐसे कई मंदिर भी हैं, जो काफी ऊंचाई पर हैं. इसमें उत्तराखंड के चारधाम भी आते हैं, जहां कपाट सिर्फ साल में 6 महीने की खुलते हैं. हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड चारधाम में दर्शन करने आते हैं, लेकिन इन चारों धामों में हर साल बड़ी संख्या में पर्यटकों की मौत भी होती है. आइए जानते हैं क्यों अन्य धार्मिक स्थलों के मुकाबले चारधाम में श्रद्धालुओं की मौतें ज्यादा होती हैं.

उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कत ना हो, इसके लिए शासन से लेकर पुलिस-प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग तमाम इंतजाम करता है. फिर भी कई श्रद्धालुओं की तबीयत खराब होने के कारण मौत हो जाती है. इस साल 30 अप्रैल से शुरू हुई चारधाम यात्रा में अभी तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें सबसे अधिक मौतें केदारनाथ धाम में हुई हैं. ऐसे में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि आखिरकार इन मौत की बड़ी वजह क्या है?

सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है हेमकुंड साहिब: सबसे पहले उत्तराखंड चारधाम और हेमकुंड साहिब के बारे में जानते है. केदारनाथ धाम समुद्र तल से करीब 3,584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. वहीं बदरीनाथ धाम 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. गंगोत्री धाम उत्तराखंड के चारों धामों में ऊंचाई के मामले में तीसरे नंबर पर है. गंगोत्री धाम की ऊंचाई 3,415 मीटर है. यमुनोत्री धाम की ऊंचाई 3,291 मीटर है. जबकि हेमकुंड साहिब की ऊंचाई 4,329 मीटर है. देखा जाए तो हेमकुंड साहिब की ऊंचाई केदारनाथ से भी अधिक है. जबकि हेमकुंड साहिब में मृत्यु दर शून्य के बराबर है.

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सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है हेमकुंड साहिब (ETV Bharat)

इसी तरह से भारत के अगर ऊंचाई वाले क्षेत्र की हम बात करें जहां पर सबसे अधिक लोग जाते हैं और रहते भी हैं, उनमें लेह लद्दाख शामिल है. लद्दाख की ऊंचाई 3,529 मीटर है. जबकि अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के दो क्षेत्र तवांग और ज़ुलुक भी 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां पर सालाना पर्यटक जाते हैं. इसी तरह से हिमाचल का काज़ा भी 3,650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. फिर भी यहां पर हृदय गति रुकने से इतने लोगों की जान शायद ही साल भर में जाती होगी.

इस साल के मौत के आंकड़े: सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जितनी मौतें उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के दौरान सड़क हादसों में होती हैं, उतनी ही मौतें चार धाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की हृदय गति रुकने या तबीयत खराब होने की वजह से भी जाती है. उत्तराखंड राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो पता लगता है कि साल 2024 में भी 52 श्रद्धालुओं की जान गई थी, जिसमें सबसे अधिक मौत केदारनाथ में हुई थी. यहां पर 23 लोग यात्रा के दौरान अपनी जान गंवा बैठे थे. जबकि बदरीनाथ में 14, यमुनोत्री में 12 और गंगोत्री में तीन श्रद्धालुओं की मौत हुई थी.

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साल 2024 में भी 52 लोगों की जान गई थी. (ETV Bharat)

अभी यात्रा को इस साल खुले हुए महज 27 दिन हुए हैं, और 37 लोगों की मौत हो चुकी है. अभी तक बीमारी के कारण बदरीनाथ में दो लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि केदारनाथ में यह आंकड़ा 18 पहुंच गया है. इसी तरह से गंगोत्री में सात और यमुनोत्री में दस तक पहुंचा है. ये वो लोग हैं जो स्वास्थ्य खराब होने और हृदय गति रुकने की वजह से अपनी जान खो बैठे हैं. डॉक्टरों ने सभी मौतों का कारण अमूमन हृदय गति रुकने या फिर अत्यधिक तबीयत खराब होने बताया है. बता दें कि इन 37 मौतों के अलावा 6 मौत उत्तरकाशी में हेलीकॉप्टर क्रैश के दौरान हुई थी.

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साल 2024 में भी 52 लोगों की जान गई थी. (ETV Bharat)

50 साल से ज्यादा उम्र के श्रद्धालुओं की हुई मौत: इस बार भी जिन श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई है, इसमें 50 साल उम्र से अधिक के श्रद्धालु शामिल है. अधिकतर मृत्यु हृदय गति रुकने की वजह से ही हुई है. लगातार उत्तराखंड के चार धामों में हो रही मौत को लेकर फिजिशियन डॉक्टर केके त्रिपाठी विस्तार में बताते हैं कि पहाड़ों पर अधिकांश मौत उन्हीं लोगों की हुई है, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. चारधाम में श्रद्धालुओं की मौत का कारण भी ऐसा ही देखा जा रहा है.

कई बार लोगों का स्वास्थ्य सही नहीं होता, उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है या हृदय से संबंधित कोई अन्य दिक्कत हो रही है, बावजूद इसके लोग पहाड़ चढ़ते है और ऐसे में उनकी कई बार जान भी चली जाती है.
- डॉक्टर केके त्रिपाठी -

चारधाम जाने वाले भक्तों की डॉक्टर की सलाह: डॉक्टर का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति चारधाम या फिर अन्य ऐसे किसी पहाड़ी जगह पर जा रहा है तो उसे महीनों पहले इसकी तैयारी करना चाहिए. क्योंकि कोई व्यक्ति यदि अचानक से एक दिन में इतना पहाड़ चढ़ेगा तो उसे हृदय गति रुकने या रक्तचाप जैसे समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए ऐसे जगहों पर जाने के लिए पहले से ही घूमना फिरना शुरू कर देना चाहिए. डॉ त्रिपाठी की मानें तो जिस व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ, थकान बहुत जल्दी हो जाती हो, थोड़ा चलकर ही सांस फूलने लगती हो या चेस्ट में किसी तरह का दर्द अथवा कोई बड़ा ऑपरेशन हुआ हो तो उसे इस तरह का सफर नहीं करना चाहिए.

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चारधाम यात्री इन बातों को विशेष ध्यान रखें. (ETV Bharat)

अन्य जगहों के मुकाबले उत्तराखंड चारधाम में ज्यादा मौतें क्यों होती हैं? इस सवाल पर डॉ त्रिपाठी ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इतनी लंबी और कठिन पैदल यात्रा कोई एक दिन में इतना बुजुर्ग इंसान करता होगा. अगर हम वैष्णो देवी की भी बात करें तो वहां का रास्ता भी इतना मुश्किल नहीं है. लेह-लद्दाख भले ही उत्तराखंड से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित हो, लेकिन वहां भी आप आसानी से गाड़ी से जा सकते हैं, लेकिन केदारनाथ और यमुनोत्री जैसे धाम में पैदल जाना होता है, जो बुजुर्ग और बीमारों के लिए चुनौती भरा होता है. रही बात बदरीनाथ और गंगोत्री धाम की तो वहां पर बुजुर्गों की सबसे ज्यादा मौत हो रही है. सभी को सांस लेने में समस्या होती है.

कुछ लोग लापरवाही की वजह से भी अपनी जान जोखिम में डालते हैं. लोगों को चाहिए की यात्रा करने से पहले वह इसकी तैयारी करें. पैदल चलना और पूरी नींद के साथ-साथ एक्सरसाइज जरूर करें. सीढ़ियों पर चढ़ना उतरना रेगुलर करें. यात्रा पर जाने से पहले अपनी जरूरी दवा भी अपने साथ लेकर जाएं. सभी टेस्ट करवाना बेहद जरूरी है.
- डॉक्टर केके त्रिपाठी -

पर्वतारोही क्या कहते है: पर्वतारोही शीतल राज भी चार धाम में आने वाले श्रद्धालुओं को सलाह देते हुए कहती हैं कि अचानक से पहाड़ चढ़ जाना हर किसी के बस की बात नहीं है. एक पर्वतारोही भी महीनों तक तैयारी करता है. उसके बाद 3000 या 4000 मीटर की ऊंचाई पर जाने की सोचता है, लेकिन चारधाम पर आने वाले लोग ऐसा सोचते हैं कि गाड़ी उठाकर सीधे वह आसानी से धाम में पहुंच जाएंगे, जबकि ऐसा नहीं है. लोगों को खासकर केदारनाथ और यमुनोत्री में आने से पहले कुछ जरूरी काम करने चाहिए.

इस बात का रखें ध्यान: अगर आपके साथ कोई बुजुर्ग व्यक्ति आ रहा है तो उसकी सभी जांच पहले से ही करवा ले. अगर आपको सांस की दिक्कत है तो किसी भी तरह की यात्रा जो पर्वतों पर की जाती हो उसको बिल्कुल भी ना करें. यात्रा शुरू करने से पहले यह सोचे की आपको आराम आराम से और रुक-रुक कर चलना है. तेज चलने से हमारी सांसे तेज होने लगते हैं और तब हमें समस्या पैदा होने लगती है. छोटे-छोटे कदम और आराम आराम से यात्रा मार्ग पर चले बीच-बीच में अपने शरीर को आराम दें. क्योंकि ऐसे करने से शरीर को मौसम के मुताबिक ढलने के समय मिलता है. लिहाजा रुक-रुककर यात्रा में आगे बढ़े. अधिक बोझ लेकर न चले, हो सके तो दोनों दोनों हाथ खाली रखें. चलते-चलते कम बातचीत करें. अगर आप यात्रा तक पहुंच गए हैं तो अपने शरीर को आराम दें और अगले दिन नीचे उतरने की कोशिश करें. ठंड वाली जगह पर कपड़े अच्छी तरह से पहने और कुछ खाने को अपने साथ रखें. ड्राई फ्रूट्स आप बीच-बीच में खाते रहे.

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इन कारणों ने अधिकांश श्रद्धालुओं की मौत. (ETV Bharat)

चारधाम यात्रा (केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) में अधिकतर मौतें ऊंचाई (High Altitude) पर होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के कारण होती हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • हाई एल्टीट्यूड पल्मोनरी एडिमा (HAPE): फेफड़ों में पानी भर जाना, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है.
  • हाई एल्टीट्यूड सेरेब्रल एडिमा: दिमाग में सूजन आना, जिससे भ्रम, चक्कर या बेहोशी हो सकती है।
  • हाइपॉक्सिया: ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी के कारण शरीर के अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती.
  • पहले से मौजूद हृदय या फेफड़ों की बीमारी: हृदय रोग, अस्थमा, COPD वाले यात्रियों को विशेष खतरा होता है.
  • तेजी से चढ़ाई करना और शरीर को अनुकूल न होने देना: बिना रुके, विश्राम किए लगातार चढ़ाई से शरीर को ऑक्सीजन की कमी से निपटने का समय नहीं मिलता.

आसान नहीं है केदारनाथ की राह: डॉक्टर केके त्रिपाठी का मानना है कि केदारनाथ में काफी चढ़ाई है. धाम तक पहुंचने के लिए भक्तों को करीब 18 किमी की पैदल चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. ऐसे में बीमार व्यक्ति का शरीर कही बार केदारनाथ की से लड़ नहीं पता और इसी वजह से उसकी मृत्यु हो जाती है.

जानिए किस धाम में कितने श्रद्धालु पहुंचे: इस साल चार धाम में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की बात की जाए तो यमुनोत्री धाम में अभी तक दो लाख 54 हजार 747 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं. गंगोत्री में 2 लाख 41 हजार 610 श्रद्धालु धाम पहुंचे. केदारनाथ में 5 लाख 51 हजार 26 श्रद्धालु केदारनाथ धाम पहुंच चुके हैं. बदरीनाथ में भक्तों का आंकड़ा 3 लाख 78 हजार 95 श्रद्धालु का हो चुका है. उम्मीद यही है कि ये आंकड़ा इस बार भी 50 लाख के पार पहुंच सकता है. बीते साल 42 लाख 92 हजार 760 श्रद्धालुओं ने चार धाम के दर्शन किए थे और 52 भक्तों की जान भी गई थी.

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जानिए किस धाम में इस साल 2025 में कितने श्रद्धालु पहुंचे. (ETV Bharat)

यात्रा कब से कब तक और क्या करें आप: चारधाम यात्रा इस बार 28 अप्रैल से शुरू हुई है, जो नवंबर महीने तक चलेगी. श्रद्धालुओं के लिए सरकार ने रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की है. अगर आप यात्रा पर आ रहे हैं तो ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. यात्रा में आने से पहले होटल आदि की बुकिंग पहले ही कर लें. बुकिंग करते समय सावधानी भी बरतें क्योंकि कई बार आप ठगी का शिकार भी हो सकते हैं.

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