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'आंदोलन की एक सीमा होनी चाहिए', CM ममता का बेरोजगार शिक्षकों को कड़ा संदेश - MAMATA MESSAGE TO JOBLESS TEACHERS

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस शिक्षक आंदोलन में कई अन्य राजनीतिक दलों की मौजूदगी पर भी सवाल उठाए.

ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री (पश्चिम बंगाल)
ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री (पश्चिम बंगाल) (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 19, 2025 at 9:35 PM IST

4 Min Read

कोलकाता: उत्तर बंगाल के दौरे पर रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विकास भवन के बाहर आंदोलन कर रहे बेरोजगार शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों को कड़ा संदेश दिया है.

साथ ही बेरोजगार शिक्षकों के प्रति सहानुभूति जताते हुए बनर्जी ने उन्हें याद दिलाया कि आंदोलन की एक सीमा होनी चाहिए. इस टिप्पणी के बाद आंदोलनकारी योग्य शिक्षकों ने उन पर सवालों की बौछार कर दी. उन्होंने पूछा कि, नौकरियां किसने छीनी... किसकी गलती से उनकी नौकरी गई?

बेरोजगार शिक्षकों ने प्रासंगिक सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें गिरफ्तारी का डर नहीं है. आंदोलनकारी योग्य शिक्षकों के आंदोलन का चेहरा चिन्मय मंडल ने सोमवार को कहा, "वह जो कह रही हैं, वह सही है. लेकिन किसकी गलती से हमारी नौकरियां जा रही हैं... किसने चुराई? हमें नौकरी देने वालों की जिम्मेदारी है कि वे हमारी नौकरियां लौटाएं."

मुख्यमंत्री ने इस शिक्षक आंदोलन में कई अन्य राजनीतिक दलों की मौजूदगी पर भी सवाल उठाए. हालांकि पहले भी ऐसा देखा गया है, लेकिन बेरोजगार योग्य शिक्षकों के अधिकार आंदोलन ने कभी किसी अन्य राजनीतिक दल को केंद्र में आने नहीं दिया.

डॉक्टरों की तरह ही कई आम लोग भी उनके साथ खड़े हैं. मंडल ने दोहराया कि यह आंदोलन गैर-राजनीतिक है. मंडल ने कहा, "कुछ राजनीतिक हस्तियां आईं.. लेकिन मैं आपको बता दूं कि यह पूरी तरह से गैर-राजनीतिक है. उन्होंने कहा कि, उनके पास मन की ताकत है.

उन्होंने आगे कहा कि, इस आंदोलन में किसी भी राजनीतिक दल को यहां हस्तक्षेप नहीं करने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि, बेरोजगार शिक्षकों ने समीक्षा याचिका की मांग की थी, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया है.

मुख्यमंत्री ने अपने तीन दिवसीय उत्तर बंगाल दौरे पर रवाना होने से पहले कोलकाता हवाई अड्डे पर एक बार फिर यह बात कही. लेकिन उनकी टिप्पणी का विरोध करते हुए बेरोजगार योग्य शिक्षकों ने आज कहा, उन्हें सूचित किए बिना समीक्षा याचिका दायर की गई है. उन्हें अंधेरे में रखकर समीक्षा की गई है.

वहीं, दूसरी तरफ आज तृणमूल के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भी बेरोजगार शिक्षकों के आंदोलन के बारे में बयान दिया. उन्होंने कहा कि, वे किसी पर आरोप नहीं लगा रहे हैं लेकिन उन्होंने कुछ फुटेज देखी हैं जहां लोग गेट तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, आंदोलन कभी भी उग्र या हिंसक नहीं हो सकताय

महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत का जिक्र करते हुए अभिषेक बनर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने हमेशा अहिंसक आंदोलन का रास्ता चुना है. उनकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए चिन्मय मंडल ने कहा, "ऐसा क्या हुआ है जो हिंसक या विनाशकारी है. उन्होंने कहा कि, 19,000 लोगों की जान जा रही है, इससे ज्यादा विनाशकारी क्या हो सकता है.

पिछले गुरुवार को पुलिस ने विकास भवन का मुख्य द्वार तोड़कर अंदर घुसने के आरोप में आंदोलनकारी योग्य शिक्षकों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था. घटना में 17 आंदोलनकारी शिक्षकों को 21 मई को सुबह 11 बजे विधाननगर उत्तर थाने में पेश होने को कहा गया था. उनके नाम से थाने से नोटिस भेजा गया है.

इनमें से तीन महबूब मंडल, अलतौत जमां और तपन पाल को सोमवार को विधाननगर उत्तर थाने में तलब किया गया. थाने जाने के बारे में महबूब मंडल ने कहा कि, थाने पर जाने से पहले कुछ कानूनी तैयारियां करनी हैं. हम कानूनी प्रक्रिया पूरी करेंगे.

उन्होंने दोहराया कि, उन्हें गिरफ्तारी का डर नहीं है. हालांकि, उन्होंने कहा कि, उन्हें सीएम ममता बनर्जी पर भरोसा है. हालांकि, ममता जो आश्वासन और वादे कर रही हैं, वे धरे के धरे रह गए हैं.

उन्होंने कहा कि, मुख्यमंत्री को आज आकर उनसे मिलना चाहिए. उसके बाद वे तय करेंगे कि बेरोजगार शिक्षक सड़क पर कब्जा करेंगे या नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि, विकास भवन के सामने धरने के कारण कई लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है.

हालांकि महबूब के मुताबिक, वे अपने हक के लिए आंदोलन कर रहे हैं और सड़क पर अवैध कब्जा नहीं किया है. पहले भी सड़कों और रेलमार्गों को आवाजाही के लिए रोका गया है. उन्होंने कहा कि, कोई भी अपना काम छोड़कर सड़क पर धरना देने नहीं बैठता. उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. बेरोजगार शिक्षक सड़क पर आए हैं, इसलिए वे अपने हक के लिए सड़क पर बैठकर धरना दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें: 'जेल जाएंगे पर अपना हक लेकर रहेंगे', पश्चिम बंगाल में बेरोजगार शिक्षकों का 'हल्ला बोल'

कोलकाता: उत्तर बंगाल के दौरे पर रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विकास भवन के बाहर आंदोलन कर रहे बेरोजगार शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों को कड़ा संदेश दिया है.

साथ ही बेरोजगार शिक्षकों के प्रति सहानुभूति जताते हुए बनर्जी ने उन्हें याद दिलाया कि आंदोलन की एक सीमा होनी चाहिए. इस टिप्पणी के बाद आंदोलनकारी योग्य शिक्षकों ने उन पर सवालों की बौछार कर दी. उन्होंने पूछा कि, नौकरियां किसने छीनी... किसकी गलती से उनकी नौकरी गई?

बेरोजगार शिक्षकों ने प्रासंगिक सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें गिरफ्तारी का डर नहीं है. आंदोलनकारी योग्य शिक्षकों के आंदोलन का चेहरा चिन्मय मंडल ने सोमवार को कहा, "वह जो कह रही हैं, वह सही है. लेकिन किसकी गलती से हमारी नौकरियां जा रही हैं... किसने चुराई? हमें नौकरी देने वालों की जिम्मेदारी है कि वे हमारी नौकरियां लौटाएं."

मुख्यमंत्री ने इस शिक्षक आंदोलन में कई अन्य राजनीतिक दलों की मौजूदगी पर भी सवाल उठाए. हालांकि पहले भी ऐसा देखा गया है, लेकिन बेरोजगार योग्य शिक्षकों के अधिकार आंदोलन ने कभी किसी अन्य राजनीतिक दल को केंद्र में आने नहीं दिया.

डॉक्टरों की तरह ही कई आम लोग भी उनके साथ खड़े हैं. मंडल ने दोहराया कि यह आंदोलन गैर-राजनीतिक है. मंडल ने कहा, "कुछ राजनीतिक हस्तियां आईं.. लेकिन मैं आपको बता दूं कि यह पूरी तरह से गैर-राजनीतिक है. उन्होंने कहा कि, उनके पास मन की ताकत है.

उन्होंने आगे कहा कि, इस आंदोलन में किसी भी राजनीतिक दल को यहां हस्तक्षेप नहीं करने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि, बेरोजगार शिक्षकों ने समीक्षा याचिका की मांग की थी, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया है.

मुख्यमंत्री ने अपने तीन दिवसीय उत्तर बंगाल दौरे पर रवाना होने से पहले कोलकाता हवाई अड्डे पर एक बार फिर यह बात कही. लेकिन उनकी टिप्पणी का विरोध करते हुए बेरोजगार योग्य शिक्षकों ने आज कहा, उन्हें सूचित किए बिना समीक्षा याचिका दायर की गई है. उन्हें अंधेरे में रखकर समीक्षा की गई है.

वहीं, दूसरी तरफ आज तृणमूल के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भी बेरोजगार शिक्षकों के आंदोलन के बारे में बयान दिया. उन्होंने कहा कि, वे किसी पर आरोप नहीं लगा रहे हैं लेकिन उन्होंने कुछ फुटेज देखी हैं जहां लोग गेट तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, आंदोलन कभी भी उग्र या हिंसक नहीं हो सकताय

महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत का जिक्र करते हुए अभिषेक बनर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने हमेशा अहिंसक आंदोलन का रास्ता चुना है. उनकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए चिन्मय मंडल ने कहा, "ऐसा क्या हुआ है जो हिंसक या विनाशकारी है. उन्होंने कहा कि, 19,000 लोगों की जान जा रही है, इससे ज्यादा विनाशकारी क्या हो सकता है.

पिछले गुरुवार को पुलिस ने विकास भवन का मुख्य द्वार तोड़कर अंदर घुसने के आरोप में आंदोलनकारी योग्य शिक्षकों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था. घटना में 17 आंदोलनकारी शिक्षकों को 21 मई को सुबह 11 बजे विधाननगर उत्तर थाने में पेश होने को कहा गया था. उनके नाम से थाने से नोटिस भेजा गया है.

इनमें से तीन महबूब मंडल, अलतौत जमां और तपन पाल को सोमवार को विधाननगर उत्तर थाने में तलब किया गया. थाने जाने के बारे में महबूब मंडल ने कहा कि, थाने पर जाने से पहले कुछ कानूनी तैयारियां करनी हैं. हम कानूनी प्रक्रिया पूरी करेंगे.

उन्होंने दोहराया कि, उन्हें गिरफ्तारी का डर नहीं है. हालांकि, उन्होंने कहा कि, उन्हें सीएम ममता बनर्जी पर भरोसा है. हालांकि, ममता जो आश्वासन और वादे कर रही हैं, वे धरे के धरे रह गए हैं.

उन्होंने कहा कि, मुख्यमंत्री को आज आकर उनसे मिलना चाहिए. उसके बाद वे तय करेंगे कि बेरोजगार शिक्षक सड़क पर कब्जा करेंगे या नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि, विकास भवन के सामने धरने के कारण कई लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है.

हालांकि महबूब के मुताबिक, वे अपने हक के लिए आंदोलन कर रहे हैं और सड़क पर अवैध कब्जा नहीं किया है. पहले भी सड़कों और रेलमार्गों को आवाजाही के लिए रोका गया है. उन्होंने कहा कि, कोई भी अपना काम छोड़कर सड़क पर धरना देने नहीं बैठता. उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. बेरोजगार शिक्षक सड़क पर आए हैं, इसलिए वे अपने हक के लिए सड़क पर बैठकर धरना दे रहे हैं.

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