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पद्मश्री कलाकारों से सीखें मिथिला पेंटिंग, मुफ्त में डिग्री और डिप्लोमा कोर्स करें, जानें पूरी प्रक्रिया - MITHILA PAINTING

क्या आप भी मिथिला पेंटिंग बनाना चाहते हैं, वो भी वर्ल्ड क्लास? तो आपके लिए डिग्री/डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध हैं. मधुबनी से राजकुमार झा की रिपोर्ट.

MITHILA PAINTING
मिथिला पेंटिंग (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : April 17, 2025 at 8:03 PM IST

6 Min Read

मधुबनी : जब भी बात मिथिला पेंटिंग की आती है, तो मन में ख्याल आने लगता है खूबसूरत तस्वीर और मनमोहक कलाकृति. मिथिला पेंटिंग कहें या मधुबनी पेंटिंग अब पहचान की मोहताज नहीं रही. विश्व पटल पर इसने अपनी आभा बिखेरी है.

नई पीढ़ी में मधुबनी पेंटिंग सीखने की ललक : मिथिला पेंटिंग से ना सिर्फ अब लोगों को पहचान मिल रही है, बल्कि आर्थिक स्थिति मजबूत करने का जरिया भी बन चुकी है. तभी तो युवा वर्ग इस पेंटिंग की ओर आकर्षित हो रहा है. इस आकर्षण को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने बड़ा फैसला किया.

MITHILA PAINTING
मिथिला चित्रकला संस्थान में पेंटिंग करती छात्रा (ETV Bharat)

कला संस्कृति एवं युवा विभाग के अंतर्गत नीतीश सरकार ने मधुबनी चित्रकला संस्थान का निर्माण करवाया. 2022 में सीएम नीतीश ने इसका उद्धाटन किया. उसके बाद से यहां पर बच्चे अपना भविष्य संवारने में लगे हैं. मधुबनी जिला के सौराठ में यह संस्थान संचालित हो रहा है.

अब सवाल उठता है कि इस संस्थान में कितने कोर्स संचालित होते हैं? कैसे इसमें प्रवेश (Admission) मिल सकता है? इसकी कितनी फीस है? दूसरे राज्यों के बच्चे इसमें पढ़ सकते हैं कि नहीं? कोर्स करने से क्या लाभ मिलेगा?

जिला कला संस्कृति पदाधिकारी एवं प्रशासनिक पदाधिकारी मिथिला चित्रकला संस्थान नीतीश कुमार बताते हैं कि यहां दो प्रकार के कोर्स चलाए जा रहे हैं. एक यूनिवर्सिटी डिग्री कोर्स एवं दूसरा डिप्लोमा कोर्स. डिप्लोमा कोर्स 6 महीने का होता है, जबकि डिग्री कोर्स तीन सालों का.

''मधुबनी चित्रकला संस्थान में मिथिला पेंटिंग की ट्रेनिंग छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क दी जाती है. मिथिला चित्रकला संस्थान में बच्चों को नामांकन के लिए पहले प्रवेश परीक्षा देनी होती है. परीक्षा देने के उपरांत सफल परीक्षार्थियों का यहां नामांकन लिया जाता है.''- नीतीश कुमार, जिला कला संस्कृति पदाधिकारी

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

छात्रों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी : डिग्री कोर्स के लिए अप्रैल में फॉर्म निकलता है. जुलाई तक सारी प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है. सर्टिफिकेट कोर्स साल में दो बार होता है, जुलाई और जनवरी में. स्कॉलरशिप की भी यहां व्यवस्था है. डिग्री कोर्स में 1500 रुपये प्रति माह के हिसाब से और सर्टिफिकेट कोर्स में 1 हजार रुपये प्रति माह के हिसाब से दिया जाता है. दूर से आने वाले छात्र और छात्राओं के लिए मुफ्त रहने और खाने की व्यवस्था होती है.

कितनी लगती है फीस? : एक बार रजिस्ट्रेशन फीस लगभग 3000 रुपये, परीक्षा फीस के रूप में लगभग 2000 रुपये लगते हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

मिथिला चित्रकला संस्थान के आचार्य प्रतीक प्रभाकर बताते हैं कि डिग्री कोर्स में बच्चों को मिथिला पेंटिंग के तहत सिक्की कला, नेचुरल कला, गोबर पेंटिंग इत्यादि सिखाया जाता है. कलाकार बनेंगे तो पेंटिंग को कैसे बेचेंगे इसीलिए बच्चों को कंप्यूटर की पढ़ाई, फोटोग्राफी की पढ़ाई, मार्केटिंग की पढ़ाई कराई जाती है.

''30 छात्र छात्राओं का एक बैच होता है. डिग्री और डिप्लोमा दोनों में 4-4 बैच संचालित होते हैं. पद्म श्री से सम्मानित कलाकार यहां बच्चों को ट्रेनिंग कार्य संपन्न करवाते हैं.''- प्रतीक प्रभाकर, आचार्य, मिथिला चित्रकला संस्थान

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

छात्र-छात्राओं को ट्रेनिंग पद्मश्री से सम्मानित दुलारी देवी, शिवम पासवान, उनकी पत्नी शांति देवी एवं अन्य कलाकार के द्वारा दी जाती है. दुलारी देवी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि मिथिला पेंटिंग, मधुबनी पेंटिंग नाम से भी जाना जाता है. बच्चों को बोर्ड पर पहले माछ, पान, मखान बनाकर सिखाया जाता है. उसके बाद फिर पेपर पर भी इसे सिखाया जाता है. मिथिला की पहचान ही माछ पान मखान से है.

''यहां मधुबनी ही नहीं दूसरे राज्य से भी बच्चे आते हैं. दिल्ली, मुंबई, गया, सीतामढ़ी जैसे जगहों से बच्चे यहां सीखने आते हैं. दूर से आने वाले बच्चों को यहां पर नि:शुल्क रहने की व्यवस्था की गई है. सरकार मिथिला पेंटिंग के लिए विशेष व्यवस्था कर रही है. सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद.''- दुलारी देवी, पद्मश्री से सम्मानित कलाकार

Dulari Devi
बच्चों को पढ़ाती पद्मश्री दुलारी देवी (ETV Bharat)

ट्रेनिंग लेने वाले प्रणव और नेहा कुमारी ने बताया कि ''हम अपने हुनर से आगे बढ़ना चाहते हैं. यहां अच्छे से हमें सिखाया जा रहा है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमारे गार्जियन पर भी कोई लोड नहीं पड़ रहा है. इस कला को हम और आगे बढ़ाना चाहते हैं.''

MITHILA PAINTING
कक्षा में पेंटिंग बनाती छात्राएं (ETV Bharat)

100 करोड़ का कारोबार : दरअसल, मिथिला पेंटिंग आज के दिन में रोजगार का बड़ा जरिया बन चुका है. 2018-19 तक देश विदेश में इसका कारोबार लगभग 55 से 60 करोड़ का हुआ करता था. लेकिन अब यह कारोबार 100 करोड़ रुपये तक का आंकड़ा छू रहा है. घर के दीवारों से निकलकर मधुबनी पेंटिंग कपड़े, कागज, मूर्तियां, टेराकोटा, सजावटी सामान, आभूषण तक पहुंच गई है. मधुबनी के रांटी, मंगरौनी, जितवारपुर ऐसे गांव हैं जहां हर घर में इसके कलाकार मिल जाएंगे. जिनकी पेंटिंग की देश विदेश तक डिमांड है.

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मिथिला पेंटिंग की खूबसूरत तस्वीर (ETV Bharat)

मिथिला पेंटिंग को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने के लिए हर तरफ से कार्य हो रहे हैं. राज्य सरकार से लेकर केन्द्र सरकार तक इसपर ध्यान दे रही है. तभी तो कभी पीएम मोदी मिथिला पेंटिंग से सजे शॉल में दिखाई पड़ते हैं, तो कभी वित्र मंत्री निर्मला सीतारमण मिथिला पेंटिंग वाली साड़ी पहनकर देश का आम बजट संसद में पेश करती हैं.

ऐसा नहीं है कि वर्तमान सरकार ने मिथिला पेंटिंग को आगे बढ़ाया है. जबकि सच्चाई यह है कि पिछली सरकारों ने भी इसका मान बढ़ाया. इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 48 सालों में 8 विभूति पद्मश्री से सम्मानित हो चुके हैं.

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ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

क्या है मिथिला पेंटिंग ? : अब जरा इस मिथिला पेंटिंग को भी समझ लीजिए. यह बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र का लोक चित्र कला है. इसमें चटक रंग का इस्तेमाल होता है. पेंटिंग को उंगलियों, ब्रश, टहनियों और माचिस की तीली से तैयार किया जाता है. इसमें कई तरह की शैली होती हैं, जैसे कोबहर, भरनी, गोदना.

मिथिला पेंटिंग को कब मिली पहचान ? : मिथिला पेंटिंग तो बहुत पुरानी कला है. पर इसकी पहचान तब ज्यादा मिली जब बिहार भूकंप का दंश झेला. साल 1934 की बात है, मिथिलांचल में भयंकर भूकंप आया था. इसका जायजा लेने तत्कालीन अंग्रेज अफसर एसडीओ विलियम जॉर्ज आर्चर पहुंचे थे. उन्होंने दीवारों पर मिथिला चित्रकला देखी. इसकी तस्वीर निकाली, लेख लिखा और पेंटिंग को देश-दुनिया से रूबरू करवाया.

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मधुबनी : जब भी बात मिथिला पेंटिंग की आती है, तो मन में ख्याल आने लगता है खूबसूरत तस्वीर और मनमोहक कलाकृति. मिथिला पेंटिंग कहें या मधुबनी पेंटिंग अब पहचान की मोहताज नहीं रही. विश्व पटल पर इसने अपनी आभा बिखेरी है.

नई पीढ़ी में मधुबनी पेंटिंग सीखने की ललक : मिथिला पेंटिंग से ना सिर्फ अब लोगों को पहचान मिल रही है, बल्कि आर्थिक स्थिति मजबूत करने का जरिया भी बन चुकी है. तभी तो युवा वर्ग इस पेंटिंग की ओर आकर्षित हो रहा है. इस आकर्षण को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने बड़ा फैसला किया.

MITHILA PAINTING
मिथिला चित्रकला संस्थान में पेंटिंग करती छात्रा (ETV Bharat)

कला संस्कृति एवं युवा विभाग के अंतर्गत नीतीश सरकार ने मधुबनी चित्रकला संस्थान का निर्माण करवाया. 2022 में सीएम नीतीश ने इसका उद्धाटन किया. उसके बाद से यहां पर बच्चे अपना भविष्य संवारने में लगे हैं. मधुबनी जिला के सौराठ में यह संस्थान संचालित हो रहा है.

अब सवाल उठता है कि इस संस्थान में कितने कोर्स संचालित होते हैं? कैसे इसमें प्रवेश (Admission) मिल सकता है? इसकी कितनी फीस है? दूसरे राज्यों के बच्चे इसमें पढ़ सकते हैं कि नहीं? कोर्स करने से क्या लाभ मिलेगा?

जिला कला संस्कृति पदाधिकारी एवं प्रशासनिक पदाधिकारी मिथिला चित्रकला संस्थान नीतीश कुमार बताते हैं कि यहां दो प्रकार के कोर्स चलाए जा रहे हैं. एक यूनिवर्सिटी डिग्री कोर्स एवं दूसरा डिप्लोमा कोर्स. डिप्लोमा कोर्स 6 महीने का होता है, जबकि डिग्री कोर्स तीन सालों का.

''मधुबनी चित्रकला संस्थान में मिथिला पेंटिंग की ट्रेनिंग छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क दी जाती है. मिथिला चित्रकला संस्थान में बच्चों को नामांकन के लिए पहले प्रवेश परीक्षा देनी होती है. परीक्षा देने के उपरांत सफल परीक्षार्थियों का यहां नामांकन लिया जाता है.''- नीतीश कुमार, जिला कला संस्कृति पदाधिकारी

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

छात्रों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी : डिग्री कोर्स के लिए अप्रैल में फॉर्म निकलता है. जुलाई तक सारी प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है. सर्टिफिकेट कोर्स साल में दो बार होता है, जुलाई और जनवरी में. स्कॉलरशिप की भी यहां व्यवस्था है. डिग्री कोर्स में 1500 रुपये प्रति माह के हिसाब से और सर्टिफिकेट कोर्स में 1 हजार रुपये प्रति माह के हिसाब से दिया जाता है. दूर से आने वाले छात्र और छात्राओं के लिए मुफ्त रहने और खाने की व्यवस्था होती है.

कितनी लगती है फीस? : एक बार रजिस्ट्रेशन फीस लगभग 3000 रुपये, परीक्षा फीस के रूप में लगभग 2000 रुपये लगते हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

मिथिला चित्रकला संस्थान के आचार्य प्रतीक प्रभाकर बताते हैं कि डिग्री कोर्स में बच्चों को मिथिला पेंटिंग के तहत सिक्की कला, नेचुरल कला, गोबर पेंटिंग इत्यादि सिखाया जाता है. कलाकार बनेंगे तो पेंटिंग को कैसे बेचेंगे इसीलिए बच्चों को कंप्यूटर की पढ़ाई, फोटोग्राफी की पढ़ाई, मार्केटिंग की पढ़ाई कराई जाती है.

''30 छात्र छात्राओं का एक बैच होता है. डिग्री और डिप्लोमा दोनों में 4-4 बैच संचालित होते हैं. पद्म श्री से सम्मानित कलाकार यहां बच्चों को ट्रेनिंग कार्य संपन्न करवाते हैं.''- प्रतीक प्रभाकर, आचार्य, मिथिला चित्रकला संस्थान

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

छात्र-छात्राओं को ट्रेनिंग पद्मश्री से सम्मानित दुलारी देवी, शिवम पासवान, उनकी पत्नी शांति देवी एवं अन्य कलाकार के द्वारा दी जाती है. दुलारी देवी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि मिथिला पेंटिंग, मधुबनी पेंटिंग नाम से भी जाना जाता है. बच्चों को बोर्ड पर पहले माछ, पान, मखान बनाकर सिखाया जाता है. उसके बाद फिर पेपर पर भी इसे सिखाया जाता है. मिथिला की पहचान ही माछ पान मखान से है.

''यहां मधुबनी ही नहीं दूसरे राज्य से भी बच्चे आते हैं. दिल्ली, मुंबई, गया, सीतामढ़ी जैसे जगहों से बच्चे यहां सीखने आते हैं. दूर से आने वाले बच्चों को यहां पर नि:शुल्क रहने की व्यवस्था की गई है. सरकार मिथिला पेंटिंग के लिए विशेष व्यवस्था कर रही है. सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद.''- दुलारी देवी, पद्मश्री से सम्मानित कलाकार

Dulari Devi
बच्चों को पढ़ाती पद्मश्री दुलारी देवी (ETV Bharat)

ट्रेनिंग लेने वाले प्रणव और नेहा कुमारी ने बताया कि ''हम अपने हुनर से आगे बढ़ना चाहते हैं. यहां अच्छे से हमें सिखाया जा रहा है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमारे गार्जियन पर भी कोई लोड नहीं पड़ रहा है. इस कला को हम और आगे बढ़ाना चाहते हैं.''

MITHILA PAINTING
कक्षा में पेंटिंग बनाती छात्राएं (ETV Bharat)

100 करोड़ का कारोबार : दरअसल, मिथिला पेंटिंग आज के दिन में रोजगार का बड़ा जरिया बन चुका है. 2018-19 तक देश विदेश में इसका कारोबार लगभग 55 से 60 करोड़ का हुआ करता था. लेकिन अब यह कारोबार 100 करोड़ रुपये तक का आंकड़ा छू रहा है. घर के दीवारों से निकलकर मधुबनी पेंटिंग कपड़े, कागज, मूर्तियां, टेराकोटा, सजावटी सामान, आभूषण तक पहुंच गई है. मधुबनी के रांटी, मंगरौनी, जितवारपुर ऐसे गांव हैं जहां हर घर में इसके कलाकार मिल जाएंगे. जिनकी पेंटिंग की देश विदेश तक डिमांड है.

MITHILA PAINTING
मिथिला पेंटिंग की खूबसूरत तस्वीर (ETV Bharat)

मिथिला पेंटिंग को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने के लिए हर तरफ से कार्य हो रहे हैं. राज्य सरकार से लेकर केन्द्र सरकार तक इसपर ध्यान दे रही है. तभी तो कभी पीएम मोदी मिथिला पेंटिंग से सजे शॉल में दिखाई पड़ते हैं, तो कभी वित्र मंत्री निर्मला सीतारमण मिथिला पेंटिंग वाली साड़ी पहनकर देश का आम बजट संसद में पेश करती हैं.

ऐसा नहीं है कि वर्तमान सरकार ने मिथिला पेंटिंग को आगे बढ़ाया है. जबकि सच्चाई यह है कि पिछली सरकारों ने भी इसका मान बढ़ाया. इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 48 सालों में 8 विभूति पद्मश्री से सम्मानित हो चुके हैं.

MITHILA PAINTING
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

क्या है मिथिला पेंटिंग ? : अब जरा इस मिथिला पेंटिंग को भी समझ लीजिए. यह बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र का लोक चित्र कला है. इसमें चटक रंग का इस्तेमाल होता है. पेंटिंग को उंगलियों, ब्रश, टहनियों और माचिस की तीली से तैयार किया जाता है. इसमें कई तरह की शैली होती हैं, जैसे कोबहर, भरनी, गोदना.

मिथिला पेंटिंग को कब मिली पहचान ? : मिथिला पेंटिंग तो बहुत पुरानी कला है. पर इसकी पहचान तब ज्यादा मिली जब बिहार भूकंप का दंश झेला. साल 1934 की बात है, मिथिलांचल में भयंकर भूकंप आया था. इसका जायजा लेने तत्कालीन अंग्रेज अफसर एसडीओ विलियम जॉर्ज आर्चर पहुंचे थे. उन्होंने दीवारों पर मिथिला चित्रकला देखी. इसकी तस्वीर निकाली, लेख लिखा और पेंटिंग को देश-दुनिया से रूबरू करवाया.

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