नासिक: नासिक के प्याज किसान केंद्र और राज्य सरकार से प्याज पर लगे 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क को हटाने की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि घरेलू बाजारों में प्याज की उचित कीमत न मिलने के कारण यह शुल्क उनके लिए और भी मुश्किलों भरा साबित हो रहा है.
नासिक, भारत में प्याज का एक प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है और लासलगांव प्याज मंडी, जो एशिया में प्याज की कीमतों के लिए एक बेंचमार्क मानी जाती है, के लिए प्रसिद्ध है. किसानों का कहना है कि इस वर्ष प्याज का उत्पादन अधिक होने के कारण लासलगांव मंडी में लाल प्याज की भरमार है, जिसके चलते खुदरा बाजार में कीमतें 15 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर गई हैं. कुछ दिनों पहले तक जो प्याज 2,500 से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था, अब उसकी कीमत घटकर 600 से 1,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गई है.
याद दिला दें कि केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले देश में प्याज की कमी की आशंका और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, किसानों के विरोध के बाद इस फैसले को वापस ले लिया गया, लेकिन किसानों का कहना है कि निर्यात पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क अभी भी लागू है. हाल ही में, प्याज उत्पादक किसानों ने लासलगांव मार्केट कमेटी में पानी की टंकी पर चढ़कर सरकार की नीतियों के प्रति अपना आक्रोश व्यक्त किया था.
प्याज निर्यातक संघ के उपाध्यक्ष विकास सिंह का कहना है, "भारत में व्यापारियों को प्याज निर्यात करने पर 20 प्रतिशत शुल्क देना पड़ता है. इस नीति से पाकिस्तान और चीन के किसानों को फायदा हो रहा है, जो अपनी उपज को कम कीमतों पर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेच सकते हैं. हमने महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव शिवाजीराव कोकाटे और केंद्र सरकार से भारत के किसानों के हित में निर्यात शुल्क माफ करने की मांग की है."
महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने भी इस बात पर जोर दिया कि निर्यात शुल्क खत्म होने से देश के किसानों को लाभ होगा. लासलगांव के प्याज उत्पादक किसान समाधान काकड़ ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों में प्याज की कीमत में भारी गिरावट आई है. उन्होंने कहा, "बाजार में मेरे प्याज का भाव सिर्फ 800 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है. इससे मेरी उत्पादन लागत भी पूरी नहीं हो पा रही है." उन्होंने सरकार से 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क समाप्त करने के साथ-साथ किसानों को 2,800 से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की गारंटीकृत कीमत देने की भी मांग की है.
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