चेन्नई: तमिलनाडु के मंत्री के. पोनमुडी की विवादित टिप्पणी मामले में मुश्किलें बढ़ सकती है. मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को सख्त रुख अपनाते हुए पुलिस को पोनमुडी के खिलाफ 23 अप्रैल तक एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया.
जस्टिस आनंद वेंकटेश ने तमिलनाडु सरकार को चेतावनी दी कि अगर राज्य सरकार एफआईआर दर्ज करने के लिए तैयार नहीं है तो वह मंत्री के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई करेंगे. न्यायाधीश ने गुरुवार को महाधिवक्ता पीएस रमन से कहा, "अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो मैं स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू करूंगा."
इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद वेंकटेश ने तमिलनाडु के डीजीपी से गुरुवार शाम 4:45 बजे तक यह स्पष्ट करने कहा था कि क्या मंत्री के खिलाफ उनकी टिप्पणी के संबंध में कोई मामला दर्ज किया गया है.
मंत्री पोनमुडी ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान महिलाओं और शैव तथा वैष्णव संप्रदायों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी. जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया था. इस घटना के बाद डीएमके नेतृत्व ने उन्हें तुरंत उप-महासचिव के पद से हटा दिया. विपक्षी दल तब से उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने की मांग कर रहे हैं.
जब शाम को मामले की फिर से सुनवाई हुई, तो तमिलनाडु सरकार के अटॉर्नी जनरल ने अदालत को बताया कि मंत्री पोनमुडी के खिलाफ 5 शिकायतें मिली हैं और उन्हें संबंधित पुलिस स्टेशनों को भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
इसके बाद, न्यायाधीश ने सलाह दी कि चार या पांच मामले दर्ज करने और जांच को कमजोर करने के बजाय, उनके खिलाफ केवल एक मामला दर्ज किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषण के संबंध में स्वेच्छा से मामला दर्ज करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू नहीं करना अदालत की अवमानना है.
बाद में, न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई 23 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी और आदेश दिया कि मंत्री पोनमुडी के खिलाफ दर्ज मामले का विवरण उसी दिन दाखिल किया जाए.
'मंत्री की टिप्पणी पूरी तरह से दुर्भाग्यपूर्ण'
इससे पहले, पोनमुडी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस वेंकटेश ने अदालत में मंत्री के भाषण की स्क्रीनिंग की और इसे 'पूरी तरह से दुर्भाग्यपूर्ण' बताया. उन्होंने पूछा कि क्या एक मंत्री को जिम्मेदारी से बात नहीं करनी चाहिए.
न्यायाधीश ने आगे कहा कि मंत्री की टिप्पणी महिलाओं और धार्मिक भावनाओं के प्रति अपमानजनक थी. उन्होंने जोर देकर कहा कि भले ही कोई औपचारिक शिकायत दर्ज न की गई हो, लेकिन अभद्र भाषा का मामला दर्ज किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि निष्क्रियता जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही को आमंत्रित कर सकती है.
जस्टिस वेंकटेश ने यह भी कहा कि इस मामले में मंत्री पोनमुडी की माफी पर्याप्त नहीं होगी. उन्होंने कानून के चयनात्मक प्रवर्तन पर सवाल उठाया है. अगर किसी अन्य ने इस तरह का बयान दिया होता तो पहले ही कई एफआईआर दर्ज हो चुकी होती.
हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि जिस तरह भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, उसी तरह नफरत फैलाने वाले भाषण को भी बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए. अदालत ने इसी तरह के मामलों में कस्तूरी, एच. राजा और के. अन्नामलाई जैसे सार्वजनिक हस्तियों के खिलाफ की गई पिछली अदालती कार्रवाइयों का हवाला दिया.
पोनमुडी को पहले भी एक मामले में दोषी ठहराया गया
इसके अलावा, जस्टिस वेंकटेश ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पोनमुडी को पहले भी एक मामले में दोषी ठहराया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी थी. उन्होंने चिंता व्यक्त की कि मंत्री उस राहत का दुरुपयोग करते दिख रहे हैं, और सुझाव दिया कि ताजा घटनाक्रम के मद्देनजर उन्हें दी गई राहत को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से संपर्क किया जा सकता है.
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