जूनागढ़, गुजरात: एशिया में पाए जाने वाले एकमात्र गिर शेर की गणना मई के पहले सप्ताह में की जाएगी. वन विभाग सामाजिक संगठनों और गैर सरकारी संगठनों, आधुनिक उपकरणों, कैमरों और विषय विशेषज्ञों की मौजूदगी में शेरों की गणना शुरू करेगा. जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष शेरों की संख्या में संभवतः 10 से 12 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है.
मई के पहले सप्ताह में शेरों की गिनती
पांच साल बाद एक बार फिर मई के पहले पखवाड़े में शेरों की गणना होने जा रही है. वन विभाग हर पांच साल में एक बार मई के पहले पखवाड़े में इस महोत्सव का आयोजन करता है, जिसे चैत्र माह का अजवाडिया भी माना जाता है. इस माह पूर्णिमा के आसपास गणना शुरू होने की उम्मीद है. यह अवधि इसलिए भी निर्धारित की जा रही है क्योंकि इस समय के दौरान भौगोलिक और अन्य कारक शेरों की स्पष्ट गणना के लिए अनुकूल हैं.

गणना वन विभाग द्वारा निर्धारित मानकों के आधार पर की जाएगी
वन विभाग हर पांच साल में शेरों की गणना के लिए एक विशिष्ट समय निर्धारित करता है. इसे ध्यान में रखते हुए, शेरों की गणना पारंपरिक रूप से चंद्रमा के प्रकाश पक्ष में की जाती है ताकि वे पर्णपाती जंगलों से लाभ उठा सकें और गर्मियों के दौरान जहां वन घनत्व कम होता है, वहां कृत्रिम जल स्रोतों पर उन्हें आसानी से देखा जा सके. चूंकि शेर रात्रिचर प्राणी हैं, इसलिए उन्हें रात में भी देखा जा सकता है. इसके अतिरिक्त, कम तापमान के कारण जनगणना में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों की सुविधा के लिए जनगणना रात के समय, विशेषकर प्रकाश पक्ष के दौरान की जाती है.
जनशक्ति और विभिन्न उपकरण संसाधनों का उपयोग
वन विभाग आधुनिक उपकरणों, संसाधनों, गैर सरकारी संगठनों और जनशक्ति का उपयोग करके हर पांच साल में शेरों की जनगणना करता है. शेरों की गणना वन विभाग में काम कर चुके पूर्व उच्च अधिकारियों के साथ-साथ जिला स्तर के अधिकारियों व पूर्व कर्मचारियों, सामाजिक संगठनों तथा जीपीएस, रेडियो कॉलर, सैटेलाइट सर्वे कैमरे आदि आधुनिक तकनीक सहित कुछ अन्य उपकरणों की मदद से की जाएगी.
पूर्व वन संरक्षक ने दी जानकारी
वन विभाग के पूर्व मुख्य वन संरक्षक डॉ. उदय वोरा ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में एक्सक्लूसिव जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने 1985 से 2015 तक लगातार पांच बार शेरों की गणना में हिस्सा लिया है. हर बार गणना के मानक लगभग एक जैसे ही होते हैं. लेकिन इसमें हर साल उपयुक्तता और आवश्यकता के अनुसार आधुनिक तकनीक के साथ-साथ उपकरणों और संसाधनों का उपयोग किया जाता है. इसमें आधुनिक उपकरण और कुछ मामलों में सामाजिक संगठनों के नेता भी शामिल होते हैं.

पूर्व मुख्य वन संरक्षक ने दी जानकारी
पूर्व मुख्य वन संरक्षक डॉ. डीटी वसावदा ने ईटीवी भारत से जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2020 में हुई अंतिम शेर गणना कोरोना संक्रमण के कारण पूनम अवलोकन के माध्यम से ही की गई थी. जिसमें शेरों की संख्या 523 से बढ़कर 674 हो गई। जिसमें जल निकायों के पास शेरों की गिनती करना काफी आसान और सटीक माना जाता है. इसके अलावा वन एवं राजस्व बीटों में वन विभाग के कर्मचारियों की इकाई बनाकर शेरों की गणना की जाती है। पेयजल केंद्र पर एक विशेष बूथ स्थापित किया गया है तथा मुख्य काउंटर के साथ-साथ दो सहायक काउंटर भी वहां रखे गए हैं. इसके अलावा एसीएफ, डीसीएफ और सरकार पूरी मतगणना प्रक्रिया पर विशेष और सटीक नजर रखती है.
गति की दिशा और विशेष चिह्नों के आधार पर शेरों की गिनती
शेरों की जनगणना पूरी तरह से प्राकृतिक तरीके से होती है. शेरों के समूह में शेर अकेला किसमें है? जंगल में दिखने वाला शेर नर है या मादा? इसके अलावा वहां कितने शेर हैं और शावक कहां से आए? वे किस दिशा में गए, शेरों के शरीर पर कुछ प्राकृतिक और अप्राकृतिक निशान पाए गए, जैसे शरीर पर कोई चोट, कान या शरीर के अन्य हिस्सों पर कोई बड़ा निशान। या झगड़े के दौरान लगी चोट से शरीर पर पड़ा कोई स्थायी निशान. ये सभी पहचान शेरों की गणना में बहुत उपयोगी हैं.
वन विभाग सभी विवरण प्राप्त करने के बाद अंतिम आंकड़े की घोषणा करेगा
वन विभाग उन सभी क्षेत्रों में शेरों की आबादी की गणना करने के बाद, जहां शेरों की उपस्थिति दर्ज की गई है, वहां से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करेगा. इसके बाद, यदि किसी शेर की गणना की जाती है या एक से अधिक स्थानों पर उसकी उपस्थिति दर्ज की जाती है, तो उसे हटा दिया जाएगा और डेटा का विश्लेषण किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक शेर की गणना केवल एक बार ही की गई है. अंततः राज्य सरकार 2025 में शेरों की संख्या का अंतिम आंकड़ा घोषित करेगी.

30,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जनगणना की जाएगी
2020 में, 30,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में शेरों की जनगणना की गई, जो 2015 की जनगणना द्वारा कवर किए गए भूमि क्षेत्र का 36 प्रतिशत से अधिक है. 2015 में शेरों की संख्या 523 थी जो 2020 में बढ़कर 674 हो गई. प्रतिशत के लिहाज से 2020 में शेरों की आबादी में 28.87 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो अब तक की सबसे अधिक वृद्धि है. इस वर्ष भी शेरों की संख्या में औसतन 25 से 28% की वृद्धि संभावित मानी जा रही है.
पिछले तीन दशकों में शेरों की आबादी
पिछले तीन दशकों में हुई गणनाओं के बाद शेरों की संख्या पर नजर डालें तो वर्ष 1990 में शेरों की संख्या 284 दर्ज की गई थी। उसके बाद 1995 में 304, 2001 में 327, 2005 में 359, 2010 में 411, 2015 में 523 और 2020 में सबसे ज्यादा 28.87% की वृद्धि के साथ गिर क्षेत्र में 674 शेर दर्ज किए गए.
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