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'आम' का स्वाद अप्रैल से अगस्त तक क्यों बदलता, वैज्ञानिक रमेश कुमार से जानिए इसके पीछे का राज - MANGO TASTE IN JHARKHAND

आम का स्वाद अप्रैल से अगस्त तक में बदल जाता है. इसके पीछे की वजह उद्यान वैज्ञानिक रमेश कुमार ने बताया है.

MANGO TASTE IN JHARKHAND
बारिश में बढ़ता है आम का स्वाद (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 19, 2025 at 3:36 PM IST

3 Min Read

पलामू: फलों के राजा 'आम' का स्वाद अप्रैल से लेकर अगस्त महीने तक बदलता रहता है. बारिश के हिसाब से अलग-अलग प्रजाति के आम पकने लगते हैं और बाजारों में उपलब्ध होते हैं. फिलहाल बाजार में आम उपलब्ध है और लोग इसका स्वाद ले रहे रहे हैं. झारखंड में कई प्रजाति के आम का उत्पादन होता है. पहली बारिश के बाद झारखंड के इलाकों में आम पकने लगते हैं और इसकी मिठास भी बढ़ने लगती है.

गर्मियों की शुरुआत के साथ झारखंड के विभिन्न इलाकों में बिकने वाले आम दक्षिण भारत के हैं. झारखंड के स्थानीय आम मई के दूसरे पखवाड़े से बाजारों में मिलने लगते हैं.

उद्यान वैज्ञानिक से ईटीवी भारत संवाददाता की खास बातचीत (ईटीवी भारत)

झारखंड में आम की प्रजाति, उपलब्धता और स्वाद के बारे में ईटीवी भारत ने उद्यान वैज्ञानिक रमेश कुमार के साथ बातचीत से जाना. रमेश कुमार बिरसा कृषि अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिक हैं. रमेश कुमार के नेतृत्व में ही बिरसा कृषि अनुसंधान केंद्र पलामू के चियांकि में अल्फांसो समेत कई प्रजाति का पैदावार कर रहा है.

Mango taste in Jharkhand
बारिश के मौसम में बढ़ता है आम का स्वाद (ईटीवी भारत)
गर्मी की शुरुआत के साथ बाजारों में मिलते हैं दक्षिण भारत के आम

उद्यान वैज्ञानिक रमेश कुमार बताते हैं कि गर्मी की शुरुआत के साथ बाजारों में बिकने वाला आम दक्षिण भारत के हैं. अधिकतर आम तोतापल्ली और बैगनपल्ली प्रजाति के हैं.

वह बताते हैं कि झारखंड से दक्षिण भारत के इलाके का मौसम अलग होता है. जिस कारण उस इलाके का आम जल्दी उपलब्ध हो जाता है. झारखंड के इलाके में जैसे-जैसे बारिश नजदीक आती है, वैसे-वैसे आम पकने शुरू होते हैं.

अप्रैल से अगस्त तक पकते हैं झारखंड के आम

वैज्ञानिक रमेश कुमार बताते हैं कि झारखंड में मई के महीने से आम निकलना शुरू हो जाते हैं. झारखंड में मई के महीने से अल्फांसो, हिमसागर, कृष्णभोग, जर्दालु प्रजाति के आम मिलने शुरू हो जाते हैं.

खास करके जर्दालू, लंगड़ा इस तरह के आम मई के अंतिम सप्ताह में मिलने शुरू होते हैं. यह सभी आम जून के महीने तक मिलते रहेंगे. सीजन के अंत में सीपिया, फजली प्रजाति के आम झारखंड में मिलना शुरू हो जाते हैं.

यह सभी आम अगस्त के अंतिम सप्ताह तक मिलते हैं. वैज्ञानिक रमेश कुमार बताते हैं कि जैसे-जैसे बारिश होती जाती है, वैसे-वैसे आम का स्वाद बदलते जाता है. बारिश के साथ आम और मीठे हो जाते हैं.

अल्फांसो है सबसे उन्नत प्रजाति, ट्रैवलिंग के दौरान नहीं होता है खराब

उद्यान वैज्ञानिक रमेश कुमार ने बताया कि अल्फांसो सबसे उन्नत प्रजाति का आम है. यह ट्रैवलिंग के दौरान खराब नहीं होता है. पलामू के चियाकि स्थित जोनल रिसर्च सेंटर में इस बार अल्फांसो प्रजाति के कई आम का उत्पादन हुआ है.

ये भी पढ़ें- लोहरदगा के किसानों को आम की बागवानी में भारी नुकसान, उद्यान विभाग ने दी वैकल्पिक खेती की सलाह

यहां एक ही पेड़ पर उगते हैं आम और नीम, दोनों फलों का लेते हैं लोग स्वाद

झारखंड में इस बार आम की होगी बंपर पैदावार, मौसम की वजह से लीची को नुकसान: डॉ संयत मिश्रा

पलामू: फलों के राजा 'आम' का स्वाद अप्रैल से लेकर अगस्त महीने तक बदलता रहता है. बारिश के हिसाब से अलग-अलग प्रजाति के आम पकने लगते हैं और बाजारों में उपलब्ध होते हैं. फिलहाल बाजार में आम उपलब्ध है और लोग इसका स्वाद ले रहे रहे हैं. झारखंड में कई प्रजाति के आम का उत्पादन होता है. पहली बारिश के बाद झारखंड के इलाकों में आम पकने लगते हैं और इसकी मिठास भी बढ़ने लगती है.

गर्मियों की शुरुआत के साथ झारखंड के विभिन्न इलाकों में बिकने वाले आम दक्षिण भारत के हैं. झारखंड के स्थानीय आम मई के दूसरे पखवाड़े से बाजारों में मिलने लगते हैं.

उद्यान वैज्ञानिक से ईटीवी भारत संवाददाता की खास बातचीत (ईटीवी भारत)

झारखंड में आम की प्रजाति, उपलब्धता और स्वाद के बारे में ईटीवी भारत ने उद्यान वैज्ञानिक रमेश कुमार के साथ बातचीत से जाना. रमेश कुमार बिरसा कृषि अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिक हैं. रमेश कुमार के नेतृत्व में ही बिरसा कृषि अनुसंधान केंद्र पलामू के चियांकि में अल्फांसो समेत कई प्रजाति का पैदावार कर रहा है.

Mango taste in Jharkhand
बारिश के मौसम में बढ़ता है आम का स्वाद (ईटीवी भारत)
गर्मी की शुरुआत के साथ बाजारों में मिलते हैं दक्षिण भारत के आम

उद्यान वैज्ञानिक रमेश कुमार बताते हैं कि गर्मी की शुरुआत के साथ बाजारों में बिकने वाला आम दक्षिण भारत के हैं. अधिकतर आम तोतापल्ली और बैगनपल्ली प्रजाति के हैं.

वह बताते हैं कि झारखंड से दक्षिण भारत के इलाके का मौसम अलग होता है. जिस कारण उस इलाके का आम जल्दी उपलब्ध हो जाता है. झारखंड के इलाके में जैसे-जैसे बारिश नजदीक आती है, वैसे-वैसे आम पकने शुरू होते हैं.

अप्रैल से अगस्त तक पकते हैं झारखंड के आम

वैज्ञानिक रमेश कुमार बताते हैं कि झारखंड में मई के महीने से आम निकलना शुरू हो जाते हैं. झारखंड में मई के महीने से अल्फांसो, हिमसागर, कृष्णभोग, जर्दालु प्रजाति के आम मिलने शुरू हो जाते हैं.

खास करके जर्दालू, लंगड़ा इस तरह के आम मई के अंतिम सप्ताह में मिलने शुरू होते हैं. यह सभी आम जून के महीने तक मिलते रहेंगे. सीजन के अंत में सीपिया, फजली प्रजाति के आम झारखंड में मिलना शुरू हो जाते हैं.

यह सभी आम अगस्त के अंतिम सप्ताह तक मिलते हैं. वैज्ञानिक रमेश कुमार बताते हैं कि जैसे-जैसे बारिश होती जाती है, वैसे-वैसे आम का स्वाद बदलते जाता है. बारिश के साथ आम और मीठे हो जाते हैं.

अल्फांसो है सबसे उन्नत प्रजाति, ट्रैवलिंग के दौरान नहीं होता है खराब

उद्यान वैज्ञानिक रमेश कुमार ने बताया कि अल्फांसो सबसे उन्नत प्रजाति का आम है. यह ट्रैवलिंग के दौरान खराब नहीं होता है. पलामू के चियाकि स्थित जोनल रिसर्च सेंटर में इस बार अल्फांसो प्रजाति के कई आम का उत्पादन हुआ है.

ये भी पढ़ें- लोहरदगा के किसानों को आम की बागवानी में भारी नुकसान, उद्यान विभाग ने दी वैकल्पिक खेती की सलाह

यहां एक ही पेड़ पर उगते हैं आम और नीम, दोनों फलों का लेते हैं लोग स्वाद

झारखंड में इस बार आम की होगी बंपर पैदावार, मौसम की वजह से लीची को नुकसान: डॉ संयत मिश्रा

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