नई दिल्ली : आज रात एक विशेष खगोलीय घटना घटने वाली है. आप इसके प्रत्यक्षदर्शी बन सकते हैं. और इसे देखने के लिए आपको किसी खास मशीन की भी जरूरत नहीं होगी. आज यानी शनिवार को पूर्णिमा है. आप आज रात पिंक मून या फिर फुल मून देख सकते हैं, वह भी खुली आंखों से. इसके लिए आपको किसी टेलिस्कोप की जरूरत नहीं होगी. आप अपने बालकॉनी से भी देख सकते हैं. वैसे, आज चंद्रमा सामान्य से कुछ छोटा और कम चमकदार दिखाई देगा, क्योंकि यह एक माइक्रो मून होगा.
हिंदी महीने की बात करें तो आज चैत्र माह की पूर्णिमा है. अब सवाल ये है कि लोग इसे पिंक मून क्यों कहते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि वसंत के मौसम में खिलने वाले एक विशेष फूल की सुंदरता से इसकी तुलना की जाती है, इसलिए इसे पिंक मून कहा जाता है.
वैसे, पिंक मून शब्द की जड़ें प्राचीन मौसमी रीति-रिवाजों में भी खोजा जाता है. विशेष तौर पर नेटिव अमेरिकी और यूरोपीय लोगों की रीति-रिवाजों में. पहले के समय में लोग बदलते मौसमों पर नजर रखने के लिए हर पूर्णिमा का नाम अलग-अलग रखते थे. इसलिए लोगों ने इसे पिंक मून नाम रख दिया.
वसंत के मौसम में फ्लॉक्स नाम का एक गुलाबी जंगली फूल खिलता है. इसलिए अप्रैल की पूर्णिमा का नाम इस फूल के नाम पर रखा गया है. यह वसंत ऋतु में खिलने वाले फूलों में से एक है. इस कारण से, भले ही चांद गुलाबी न हो, लेकिन इसे पिंक मून कहा जाता है.
आज पूर्ण चन्द्रमा को देखने का सबसे अच्छा समय सूर्यास्त के ठीक बाद का है. वायुमंडलीय परिस्थितियों की वजह से यह नारंगी रंग का दिखता है. भारत में आप इसे रात के आठ बजकर 22 मिनट के बाद देख सकते हैं. बेहतर नजारा चाहते हैं तो आपको प्रदूषण मुक्त इलाके में जाना होगा. यानि खुले खेत में चले जाइए या फिर किसी पहाड़ी के ऊपर से भी देख सकते हैं. आप इसे सुबह के 5.22 मि. (रविवार) को भी देख सकते हैं.
शाम का समय चंद्रोदय देखने के लिए सबसे अच्छा समय है, क्योंकि यह सूर्यास्त के तुरंत बाद का समय होगा. समुद्र तट, पहाड़ी की चोटी या खुला मैदान बेहतर जगह होगा, यदि आप अच्छा विजन चाहते हैं. चंद्रमा के आसपास आप कन्या तारामंडल के सबसे चमकीले तारे स्पाइका को को भी देख सकते हैं. यह चंद्रमा के सबसे नजदीक होगा.
अगर आप पिंक रंग के रहस्त को और अधिक जानना चाहते हैं तो आपको स्पेक्ट्रम से इसे समझना होगा. जैसा कि हम सब जानते हैं प्रकाश में सात रंग मिले होते हैं. लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, इंडिगो और वायलेट. पृथ्वी के चारों ओर हवा एक ब्लैंकेट की तरह काम करता है. हवा कुछ रंगों को रोककर या फैलाकर चांद के रंग को बदल देता है, इसलिए हम कभी नारंगी तो कभी पिंक मून देखते हैं.
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