केरल: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने गुरुवार को राज्य विधानसभा में केरल राज्य वरिष्ठ नागरिक आयोग विधेयक पारित होने पर खुशी जताई. उन्होंने इसे 'सामाजिक कल्याण में अग्रणी' बताते हुए कहा कि केरल भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने बुजुर्गों के कल्याण के लिए एक समर्पित आयोग की स्थापना करने वाला कानून पारित किया है.
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा, "केरल देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने बुजुर्गों के अधिकार, कल्याण और पुनर्वास को सुनिश्चित करते हुए बुजुर्गों के लिए एक आयोग की स्थापना करने वाला कानून पारित किया है. उन्होंने आगे कहा, "सामाजिक कल्याण में अग्रणी, #केरल एक बार फिर अपने बुजुर्गों को समाज में सक्रिय रूप से योगदान देने के लिए सशक्त बनाकर आगे बढ़ा है - अपने जन-केंद्रित विकास मॉडल को मजबूत कर रहा है."
बुधवार को पारित यह विधेयक, केरल में बुजुर्गों के कल्याण के लिए एलडीएफ सरकार के दृष्टिकोण को दर्शाता है और राज्य में वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक नए युग की शुरुआत करता है.
क्या है इस आयोग का उद्देश्य?
आयोग का मुख्य उद्देश्य 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के कल्याण, संरक्षण और पुनर्वास को सुनिश्चित करना है. यह आयोग उनके अनुभव, नवीन विचारों और समस्या-समाधान क्षमताओं के माध्यम से समाज में योगदान करने की उनकी क्षमता को भी मान्यता देगा.
आजकल बुजुर्गों की उपेक्षा, शोषण और परित्याग से संबंधित चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. यह आयोग इन चुनौतियों को प्राथमिकता के आधार पर संबोधित करने की दिशा में काम करेगा. इसके अलावा, यह वरिष्ठ नागरिकों के पुनर्वास की सुविधा के लिए सक्रिय कदम उठाएगा, उनके कौशल को व्यापक समाज में एकीकृत करेगा और उनके अधिकारों की रक्षा करेगा.
इतना ही नहीं, आयोग वरिष्ठ नागरिक कल्याण और सुरक्षा से संबंधित मामलों पर नीतिगत दिशा-निर्देश प्रदान करने के लिए भी जिम्मेदार होगा.
आयोग का ढांचा
इस आयोग में एक अध्यक्ष और कम से कम चार सदस्य होंगे जिन्हें सरकार द्वारा आधिकारिक अधिसूचना के माध्यम से नियुक्त किया जाएगा. अध्यक्ष सहित सभी सदस्य वरिष्ठ नागरिक होंगे. यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि कम से कम एक सदस्य अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित हो और एक महिला सदस्य भी हो
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