
केरल हाईकोर्ट ने सबरीमला गोल्ड-प्लेटिंग विवाद में विशेष जांच दल के गठन का आदेश दिया
केरल के सबरीमला मंदिर का यह विवाद 2019 में सोने की परत चढ़ाने की प्रक्रिया के दौरान सोने की कथित चोरी के इर्द-गिर्द केंद्रित है.

Published : October 6, 2025 at 1:56 PM IST
एर्नाकुलम: केरल हाईकोर्ट ने सबरीमला गोल्ड-प्लेटिंग विवाद में कड़ा रुख अपनाते हुए मामले की गहन जाँच के लिए एक विशेष जाँच दल (SIT) के गठन का निर्देश दिया है. यह जाँच अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) एच. वेंकटेश की निगरानी में की जाएगी.
पांच सदस्यीय टीम गठित की गई है और अदालत ने आदेश दिया है कि जाँच रिपोर्ट एक महीने के भीतर प्रस्तुत की जाए. हालाँकि, अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि रिपोर्ट के निष्कर्ष गोपनीय रहें और सार्वजनिक रूप से प्रकट न किए जाएँ.
यह विवाद 2019 में सोने की परत चढ़ाने की प्रक्रिया के दौरान सोने की कथित चोरी के इर्द-गिर्द केंद्रित है. अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि यह घटना भारतीय दंड संहिता के तहत एक गंभीर अपराध है. इस मामले का मुख्य कारण उन्नीकृष्णन पोट्टी द्वारा सोने की परत चढ़ाने के लिए ले जाये गए सामानों का वजन और वापस लौटाए जाने पर उसके वजन में अंतर है.
देवस्वओम विजिलेंस की प्रारंभिक जाँच से पता चला है कि गोल्ड-प्लेटिंग के दौरान सोना चुराया गया था. सबूतों में उन्नीकृष्णन पोट्टी द्वारा 2019 में देवस्वओम बोर्ड को भेजा गया एक ईमेल भी शामिल है. इसमें उन्होंने मूर्ति पर सोने की परत चढ़ाने की इच्छा जताई थी. सरकार ने हाईकोर्ट के हस्तक्षेप का स्वागत किया.
देवस्वओम मंत्री वीएन वासवन ने फैसले पर संतोष व्यक्त किया और जाँच में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया. मंत्री ने जोर देकर कहा कि सरकार केवल देवस्वओम बोर्ड को वित्तीय सहायता प्रदान करती है और सोने की परत चढ़ाने की घटना में वित्तीय या परिचालनात्मक रूप से शामिल नहीं है.
सरकार ने हाईकोर्ट के हस्तक्षेप का स्वागत किया. देवस्वओम मंत्री वीएन वासवन ने फैसले पर संतोष व्यक्त किया और जाँच में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया. त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड के अध्यक्ष पीएस प्रशांत ने पहले हाईकोर्ट में एक व्यापक जाँच के लिए याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि बोर्ड मंदिर के स्वर्ण भंडार का विस्तृत रिकॉर्ड रखता है.
प्रशांत ने जोर देकर कहा कि आयु और उपयोग के आधार पर तीन श्रेणियों में विभाजित 18 सुरक्षित कमरों में संग्रहीत सोने का पूरा हिसाब-किताब है, और किसी भी विसंगति की गहन जाँच की जानी चाहिए. 8 सितंबर को विवाद तब और बढ़ गया जब उन्नीकृष्णन पोट्टी बिना अदालत की अनुमति के द्वारपालक मूर्तियों की स्वर्ण-चढ़ाई हुई परतों को मरम्मत के लिए चेन्नई ले गए. इस दौरान, कथित तौर पर परतों का वजन कम हो गया.
2019 में पोट्टी ने लगभग एक महीने तक परतों को स्वर्ण-चढ़ाने के लिए स्वतंत्र रूप से ले लिया था, उसके बाद उन्हें वापस कर दिया. हालाँकि उन्होंने 2025 में फिर से सोने की परतें ले जाने की अनुमति मांगी, लेकिन अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया.

