तिरुवनंतपुरम: केरल सरकार ने स्कूली पाठ्यपुस्तकों, जिनमें अंग्रेजी माध्यम की पाठ्यपुस्तकें भी शामिल हैं, को हिंदी नाम देने के एनसीईआरटी के फैसले का कड़ा विरोध किया है, और इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को एक पत्र भेजा है.
केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने बताया है कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकों को भी हिंदी में नाम देने का प्रस्ताव दिया है. उदाहरणों में शामिल हैं.
- कक्षा 6 और 7 की पाठ्यपुस्तकों के लिए "पूर्वी"
- कक्षा 3 और 4 की पाठ्यपुस्तकों के लिए "मृदंग"
- कक्षा 6 की गणित की पाठ्यपुस्तक के लिए "गणित प्रकाश"
मंत्री के पत्र में इस कदम की आलोचना करते हुए कहा गया है कि यह भाषाई विविधता और शैक्षिक अखंडता को कमजोर करता है. केरल इस फैसले को सांस्कृतिक समरूपता का प्रयास और शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रतिगामी कदम मानता है.
उन्होंने तर्क दिया कि पाठ्यपुस्तकों का नामकरण केवल एक सौंदर्यपूर्ण विकल्प नहीं है, बल्कि एक शैक्षणिक विकल्प है जिसे शिक्षार्थियों की भाषाई पृष्ठभूमि पर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह तर्क कि ये नाम भारतीय शास्त्रीय संगीत के शब्दों से लिए गए हैं और इसलिए सांस्कृतिक रूप से समावेशी हैं, सही नहीं है. भारत जैसे बहुभाषी देश में एक भाषाई परंपरा से नाम थोपना अनुचित है.
केरल, जिसकी भाषाई और सांस्कृतिक विविधता की समृद्ध परंपरा है, इस कदम को संघीय सिद्धांतों और सहकारी शिक्षा नीति-निर्माण की भावना का उल्लंघन मानता है.
पत्र में मांग की गई है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय तुरंत हस्तक्षेप करे और सुनिश्चित करे कि पाठ्यपुस्तकों का उपयोग भाषाई प्रभुत्व के लिए न किया जाए, बल्कि सीखने और समावेशिता के लिए उपकरण बने रहें. मंत्री ने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि एनसीईआरटी को इस एकतरफा फैसले पर पुनर्विचार करने और इसे वापस लेने का निर्देश दिया जाना चाहिए.
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