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'कंट्रोवर्सियल' टैटू हटवा रहे कश्मीरी युवा, बता रहे ये वजह - KASHMIRI YOUTH REMOVE TATTOOS

जम्मू कश्मीर में बड़ी संख्या में युवा अपने शरीर पर बने टैटू रिमूव करवा रहे हैं. खास तौर पर एके-47 के टैटू.

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कश्मीरी युवा आस्था और भविष्य के मद्देनजर रिमूव करवा रहे टैटू (सांकेतिक तस्वीर)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 17, 2025 at 8:03 PM IST

3 Min Read

श्रीनगर: कभी विद्रोह, आइडेंटिटी और फैशन के सिंबल से भरे टैटू -AK 47 राइफल से लेकर नाम, धार्मिक रूपांक और अमूर्त कला तक - अब कश्मीरी युवा अपने टैटू हटाने के लिए क्लीनिकों में उमड़ रहे हैं, जिसे व्यक्तिगत और आध्यात्मिक समझ की लहर के रूप में देखा जा रहा है.

इस आंदोलन के केंद्र में वैली केयर क्लिनिक है, जिसे श्रीनगर में टैटू हटाने के जाने-माने एक्स्पर्ट बासित बशीर चलाते हैं. 2022 में क्लिनिक की स्थापना के बाद से बासित ने एक लाख से ज़्यादा रिमूव किए हैं. इनमें से कई में राइफल, खास तौर पर एके-47 और कई धार्मिक या व्यक्तिगत शिलालेख थे.

बासित ने कहा, "ये टैटू कभी गर्व, डिफियांस या सिर्फ एक चलन का प्रतिनिधित्व करते थे. अब, युवा लोग मेरे पास इस भावना के साथ आते हैं कि वे इसे हटाना चाहते हैं जो अब उनके व्यक्तित्व को नहीं दर्शाती है."

बशीर को टैटू रिमूव करवाने के लिए जो रिक्वेस्ट मिल रही हैं, उनमें से सबसे आम राइफल टैटू है. खासकर AK-47 के टैटू, जो कभी युवाओं द्वारा बनवाए जाते थे. आज इन्हीं डिज़ाइनों को समस्याग्रस्त माना जा रहा है. बशीर ने बताया, "इस्लाम में खास तौर पर जीवित चीजों, हिंसा के सिंबल या शरीर पर किसी भी स्थायी चीज के टैटू को हतोत्साहित किया जाता है. यह अहसास कई लोगों को हो रहा है."

कश्मीरी युवा आस्था और भविष्य के मद्देनजर रिमूव करवा रहे टैटू (ETV Bharat)

व्यक्तिगत और आध्यात्मिक फैसला
कुछ लोगों के लिए यह फैसला व्यक्तिगत और आध्यात्मिक होता है. बारामुल्ला के एक युवक वाजिद निसार ने हाल ही में अपने टैटू को हटवाया, जिसमें एक राइफल की इमेज और एक नाम लिखा हुआ था.युवक ने कहा, "मैंने किशोरावस्था में यह टैटू बनवाया था, मुझे लगा कि यह अच्छा है, लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मुझे एहसास हुआ कि यह मेरे धर्म की शिक्षाओं से कितना अलग है. मैं उस प्रतीक को अपने भविष्य में नहीं ले जाना चाहता था."

यह केवल धार्मिक जागृति या हिंसक छवियों को लेकर चिंता नहीं है जो इस प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रही है. कई युवा कश्मीरी नौकरी की आवश्यकताओं को पूरा करने, पुलिस या सेना में शामिल होने या बस खुद को फिर से परिभाषित करने के लिए एक साफ शुरुआत के लिए टैटू हटाना चुन रहे हैं.

लोग बदल रहे हैं
बासित ने कहा, "एक दिखाई देने वाला टैटू किसी को भर्ती के दौरान अयोग्य ठहरा सकता है. बहुत से क्लाइंट मुझे बताते हैं कि वे बदल रहे हैं, वे जीवन के पुराने दौर से आगे बढ़ रहे हैं." उन्होंने कहा कि इसमें रोमांटिक नामों से लेकर '786' जैसे प्रतीकात्मक नंबर, आधा चांद या छाती और गर्दन के डिज़ाइन तक सब कुछ शामिल है. कुछ लोग तो साथियों के दबाव या किशोरावस्था के दौरान बनवाए गए टैटू भी हटा देते हैं.

यह भी पढ़ें- 'दुकान एक, चाय के स्वाद अनेक', यहां मिलती है एक-दो नहीं 100 फ्लेवर्स की Tea

श्रीनगर: कभी विद्रोह, आइडेंटिटी और फैशन के सिंबल से भरे टैटू -AK 47 राइफल से लेकर नाम, धार्मिक रूपांक और अमूर्त कला तक - अब कश्मीरी युवा अपने टैटू हटाने के लिए क्लीनिकों में उमड़ रहे हैं, जिसे व्यक्तिगत और आध्यात्मिक समझ की लहर के रूप में देखा जा रहा है.

इस आंदोलन के केंद्र में वैली केयर क्लिनिक है, जिसे श्रीनगर में टैटू हटाने के जाने-माने एक्स्पर्ट बासित बशीर चलाते हैं. 2022 में क्लिनिक की स्थापना के बाद से बासित ने एक लाख से ज़्यादा रिमूव किए हैं. इनमें से कई में राइफल, खास तौर पर एके-47 और कई धार्मिक या व्यक्तिगत शिलालेख थे.

बासित ने कहा, "ये टैटू कभी गर्व, डिफियांस या सिर्फ एक चलन का प्रतिनिधित्व करते थे. अब, युवा लोग मेरे पास इस भावना के साथ आते हैं कि वे इसे हटाना चाहते हैं जो अब उनके व्यक्तित्व को नहीं दर्शाती है."

बशीर को टैटू रिमूव करवाने के लिए जो रिक्वेस्ट मिल रही हैं, उनमें से सबसे आम राइफल टैटू है. खासकर AK-47 के टैटू, जो कभी युवाओं द्वारा बनवाए जाते थे. आज इन्हीं डिज़ाइनों को समस्याग्रस्त माना जा रहा है. बशीर ने बताया, "इस्लाम में खास तौर पर जीवित चीजों, हिंसा के सिंबल या शरीर पर किसी भी स्थायी चीज के टैटू को हतोत्साहित किया जाता है. यह अहसास कई लोगों को हो रहा है."

कश्मीरी युवा आस्था और भविष्य के मद्देनजर रिमूव करवा रहे टैटू (ETV Bharat)

व्यक्तिगत और आध्यात्मिक फैसला
कुछ लोगों के लिए यह फैसला व्यक्तिगत और आध्यात्मिक होता है. बारामुल्ला के एक युवक वाजिद निसार ने हाल ही में अपने टैटू को हटवाया, जिसमें एक राइफल की इमेज और एक नाम लिखा हुआ था.युवक ने कहा, "मैंने किशोरावस्था में यह टैटू बनवाया था, मुझे लगा कि यह अच्छा है, लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मुझे एहसास हुआ कि यह मेरे धर्म की शिक्षाओं से कितना अलग है. मैं उस प्रतीक को अपने भविष्य में नहीं ले जाना चाहता था."

यह केवल धार्मिक जागृति या हिंसक छवियों को लेकर चिंता नहीं है जो इस प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रही है. कई युवा कश्मीरी नौकरी की आवश्यकताओं को पूरा करने, पुलिस या सेना में शामिल होने या बस खुद को फिर से परिभाषित करने के लिए एक साफ शुरुआत के लिए टैटू हटाना चुन रहे हैं.

लोग बदल रहे हैं
बासित ने कहा, "एक दिखाई देने वाला टैटू किसी को भर्ती के दौरान अयोग्य ठहरा सकता है. बहुत से क्लाइंट मुझे बताते हैं कि वे बदल रहे हैं, वे जीवन के पुराने दौर से आगे बढ़ रहे हैं." उन्होंने कहा कि इसमें रोमांटिक नामों से लेकर '786' जैसे प्रतीकात्मक नंबर, आधा चांद या छाती और गर्दन के डिज़ाइन तक सब कुछ शामिल है. कुछ लोग तो साथियों के दबाव या किशोरावस्था के दौरान बनवाए गए टैटू भी हटा देते हैं.

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