बेंगलुरु: कर्नाटक के मजदूर कुरुबार सुरेश पत्नी की हत्या के इल्जाम में 17 महीने जेल की सलाखों के पीछे रहा. वह बार-बार अपनी बेगुनाही की दुहाई देता रहा, लेकिन किसी ने नहीं सुना. जेल से बाहर आने के बाद उसने हार नहीं मानी. पत्नी और उसके कथित प्रेमी को खोज निकालने की ठान ली. एक दिन, होटल में खाना खाते वक्त दोनों को पकड़ लिया गया. अब सुरेश ने अदालत से 'सम्मान की वापसी और झूठ की सज़ा' दिलाने के लिए गुहार लगायी है.
सुरेश के वकील पांडु पुजारी के अनुसार, मैसूर जिले के बेट्टादपुरा पुलिस की लापरवाही के कारण ऐसा हुआ. पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची कि खुले मैदान में पाया गया महिला का कंकाल सुरेश की पत्नी का है और वह ही हत्यारा है. सुरेश पर मामला दर्ज करने के लिए उन्होंने केवल इस बात पर भरोसा किया कि सुरेश और उसकी पत्नी के वैवाहिक जीवन में तनाव था. उसकी पत्नी की मां ने कंकाल के पास मिली साड़ी, चप्पलों और चूड़ियों की पहचान की थी.
पुलिस की जांच में कई खामियों की ओर इशारा करते हुए पुजारी ने कहा कि पुलिस को सबसे पहले कंकाल की पहचान करनी चाहिए थी. लेकिन इस मामले में डीएनए टेस्ट सुरेश की गिरफ्तारी के कई महीने बाद किया गया. करीब डेढ़ साल जेल में बिताने के बाद सुरेश को सितंबर 2023 में जमानत पर रिहा किया गया. सुरेश ने दावा किया, "जब यह सब हो रहा था, पुलिस को संदेह था कि उसने पत्नी के कथित प्रेमी गणेश की भी हत्या कर दी है, क्योंकि उसका मोबाइल नंबर कई दिनों तक बंद आ रहा था.
सुरेश ने ईटीवी भारत से कहा, "अक्टूबर 2020 में जब से पत्नी घर से लापता हुई है, मैं कह रहा हूं कि वह जीवित है. लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी. पुलिस ने भी लापता होने की मेरी शिकायत पर कार्रवाई नहीं की. अगर पुलिस जो कानून की रक्षा करने के लिए यहा है, झूठे मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाना शुरू कर दे, तो लोग उन पर कैसे विश्वास कर सकते हैं? उन्होंने मेरे साथ जो किया उसके लिए उन्हें दंडित किया जाना चाहिए."
कोडागु जिले के बसवाना हल्ली गांव के सुरेश की शादी को 18 साल हो चुके थे. 19/10/2020 की रात को उसकी पत्नी लापता हो गई. तलाश करने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ. 13 नवंबर, 2020 को कुशालनगर ग्रामीण पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई. शिकायत से एक दिन पहले 12 नवंबर, 2020 को पड़ोसी मैसूरु जिले में बेट्टाडापुरा पुलिस को अपनी सीमा में एक अज्ञात महिला के कंकाल के अवशेष मिले. मई 2021 में सुरेश को गिरफ्तार कर लिया गया.
पुजारी ने कहा, "गिरफ्तारी इस अनुमान पर की गई थी कि सुरेश ने अपनी पत्नी की हत्या की होगी क्योंकि उसे उसके रिश्तेदार गणेश के साथ विवाहेतर संबंध के बारे में पता था. सुरेश को अपराध स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया था." उन्होंने कहा, "इस तथ्य के कारण कि सुरेश ने अपनी पत्नी के लापता होने की शिकायत में उसके संबंध के बारे में उल्लेख नहीं किया था, पुलिस को उस पर संदेह हुआ."
रिहाई के बाद सुरेश और उसके परिवार के सदस्यों ने पत्नी का पता खुद ही लगाने का फैसला किया. उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को उसकी तस्वीरें भेजीं और अनुरोध किया कि अगर उन्हें कहीं मिले तो वे उन्हें या पुलिस को सूचित करें. 1 अप्रैल को उनकी कोशिशें रंग लाईं, जब सुरेश के दो दोस्तों ने दोनों को होटल में लंच करते हुए देखा. उनलोगों ने वीडियो बनाना शुरू किया, तो दोनों भागने की कोशिश करने लगे. तब सुरेश के दोस्तों ने उन्हें पकड़ लिया और स्थानीय पुलिस के हवाले कर दिया.
अगले दिन दोनों को मैसूरु जिला और सत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया गया. महिला के जीवित होने के साथ ही पुलिस की जांच पर सवाल उठने लगे. अदालत ने मैसूरु एसपी एन विष्णुवर्धन और बेट्टाडापुरा पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी को नोटिस जारी कर सुरेश द्वारा लगाए गए झूठे गिरफ्तारी के आरोपों का जवाब देने को कहा है. एसपी को 17 अप्रैल तक मामले को संभालने में बेट्टाडापुरा पुलिस द्वारा कथित लापरवाही पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया है.
पुजारी ने कहा, "अब जब सुरेश की बेगुनाही साबित हो गई है, तो हमने आईपीसी की धारा 211 के तहत एक आवेदन दायर करने का फैसला किया है, जिसमें सुरेश को फंसाने की कोशिश करने वाले जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है. हम सुरेश को मामले से सम्मानजनक रिहाई की भी मांग कर रहे हैं." सुरेश भी चाहता है कि उसकी पत्नी और उसके प्रेमी और बेट्टादपुरा पुलिस को अदालत द्वारा दंडित किया जाए.
सुरेश के पिता वी गांधी ने पिछले कुछ दिनों में हुए घटनाक्रम पर खुशी जताई. कहा "भले ही हम जानते थे कि सुरेश की पत्नी जीवित है और हमने पुलिस से उसकी तलाश करने की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. जब भी हमने दबाव डाला, उन्होंने हमसे पेट्रोल और अन्य खर्चों का भुगतान करने के लिए कहा. हम दिहाड़ी मजदूर हैं, हम उन्हें कैसे भुगतान कर सकते हैं? अगर पुलिस का यही रवैया है, तो हमें उनकी जरूरत ही क्यों है? क्या गुमशुदगी की शिकायत दर्ज होने के बाद व्यक्ति की तलाश करना पुलिस का कर्तव्य नहीं है?"
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