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कर्नाटक: वकीलों ने CJI गवई पर हमले का विरोध किया, राकेश किशोर की गिरफ्तारी की मांग की

कर्नाटक के वकीलों ने सीजेआई गवई पर हमले का विरोध करते हुए कहा कि न्यायपालिका पर हमला न्यायपालिका और लोकतंत्र पर हमला है.

LAWYERS PROTEST ATTACK CJI
कर्नाटक के वकीलों ने CJI गवई पर हुए हमले का विरोध किया (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : October 8, 2025 at 2:43 PM IST

4 Min Read
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बेंगलुरु: भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर हाल ही में हुए हमले के विरोध में मंगलवार को सैकड़ों वकील कर्नाटक हाईकोर्ट और राज्य विधानसभा के बाहर एकत्रित हुए. प्रदर्शनकारियों ने मुख्य न्यायाधीश पर कथित तौर पर हमला करने वाले राकेश किशोर की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की और न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर करने के उद्देश्य से की गई एक बड़ी साजिश की पूरी जांच की मांग की.

प्रदर्शनकारी वकीलों ने कहा कि यह हमला सिर्फ एक न्यायाधीश पर नहीं, बल्कि भारत की न्यायिक और संवैधानिक व्यवस्था की बुनियाद पर है. कई लोगों ने इसे कानून के समक्ष समानता पर हमला बताया और किशोर पर गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज करने और एनआईए से जाँच कराने की माँग की. उन्होंने इस घटना को न्यायपालिका के खिलाफ आतंकवाद का कृत्य बताया.

वकीलों ने हमले को जातिगत भेदभाव और नफरत की राजनीति से जोड़ा
वकील एस. बालन ने कहा कि यह हमला जातिगत पूर्वाग्रह और अतिवादी विचारधारा में निहित एक खतरनाक मानसिकता को दर्शाता है. उन्होंने आगे कहा, 'यह धर्म का मामला नहीं है. यह सर्वोच्च न्यायिक पद पर आसीन एक दलित के प्रति नफरत का मामला है. अगर इस तरह की धमकी पर लगाम नहीं लगाई गई, तो इससे न्याय में जनता का विश्वास खत्म हो जाएगा.'

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि हमलावर ने यह दावा करके अपनी हरकतों को सही ठहराया कि जस्टिस गवई ने सनातन धर्म का अपमान किया है. वकील द्वारकानाथ ने इसे एक निराधार और मनगढ़ंत दावा करार दिया और कहा कि किसी भी विश्वसनीय मीडिया संस्थान ने ऐसी घटना की रिपोर्टिंग नहीं की. उन्होंने कहा, 'मुख्य न्यायाधीश द्वारा सनातन धर्म का अपमान करने का दावा कट्टरपंथियों द्वारा विभाजन फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक बहाना है.'

वकीलों ने मौजूदा माहौल और पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के.जी. बालाकृष्णन और भीमाई सहित दलित न्यायाधीशों पर पहले हुए हमलों के बीच तुलना की. उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित कुछ दक्षिणपंथी समूहों पर ऑनलाइन नफरत भरे अभियान चलाने का आरोप लगाया, जिसमें एआई-जनरेटेड वीडियो बनाकर न्यायमूर्ति गवई को उनकी जाति के आधार पर निशाना बनाना भी शामिल है.

एडवोकेट पूर्णा ने इन हमलों की निंदा करते हुए कहा कि ये संवैधानिक समानता के पक्षधर एक न्यायाधीश को बदनाम करने का एक सुनियोजित प्रयास है. उन्होंने आगे कहा कि इस तरह का दुष्प्रचार दिखाता है कि कैसे जाति और नफरत की राजनीति लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए खतरा बनी हुई है.

न्यायपालिका पर हमला न्यायपालिका और लोकतंत्र पर हमला है
वकीलों के समूह ने केंद्र सरकार से तत्काल पुलिस कार्रवाई और जवाबदेही की माँग की. अधिवक्ता नरसिंहमूर्ति ने कहा, 'प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमलावर को न्याय मिले. शीर्ष स्तर की चुप्पी ऐसी ताकतों को और मजबूत बनाती है.'

वकील जे.वी. श्रीनिवास राव ने कहा कि हमले के बाद हमलावर के खुलेआम इंटरव्यू बेहद परेशान करने वाले थे. उन्होंने कहा, 'कोई भारत के मुख्य न्यायाधीश पर हमला करके भी खुलेआम इंटरव्यू देते हुए कैसे घूम सकता है? इससे पता चलता है कि उसके पीछे ताकतवर हाथ हैं.'

वकीलों ने आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों पर सांप्रदायिक नफरत फैलाने का आरोप लगाया और संभावित वैचारिक संबंधों की राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) से जाँच कराने की माँग की. उन्होंने जाति और धर्म के आधार पर भेदभावपूर्ण व्यवहार की भी आलोचना की. अधिवक्ता बी.एल. नागराज ने कहा, 'अगर हमलावर किसी दूसरे धर्म का होता, तो अब तक सलाखों के पीछे होता.'

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे इस संबंध में शिकायत दर्ज कराने के लिए बेंगलुरु पुलिस आयुक्त के कार्यालय जा रहे हैं. वकीलों ने दिल्ली पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मुख्य न्यायाधीश के बारे में नफरत भरे वीडियो और गलत सूचनाएँ फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी आग्रह किया.

अधिवक्ता श्रीनिवासन ने सामूहिक भावना को व्यक्त करते हुए कहा, 'यह हमला सिर्फ न्यायमूर्ति गवई पर नहीं है, यह हमारे संविधान की आत्मा पर है. समानता में विश्वास रखने वाले प्रत्येक नागरिक को आज न्यायपालिका के साथ खड़ा होना चाहिए.' जब तक राकेश किशोर और कथित तौर पर उनका समर्थन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहने की उम्मीद है.