बेंगलुरु: कर्नाटक में सत्ताधारी दल कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक बीआर पाटिल ने एक बार फिर राज्य में विभिन्न आवास योजनाओं के तहत गरीबों के लिए घरों की मंजूरी में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है. पाटिल ने शनिवार को अपने आरोप को दोहराते हुए कहा कि उन्होंने जो कुछ भी कहा वह सच है और वह उस पर कायम हैं.
बेंगलुरु में पत्रकारों से बात करते हुए पाटिल ने कहा कि कई ग्राम पंचायत अध्यक्षों ने रिश्वत देकर आवास स्वीकृत करवा लिए हैं, जबकि मकानों की मंजूरी के लिए उनके सिफारिश पत्रों की अनदेखी की गई.
यह मामला शुक्रवार को तब सामने आया जब पाटिल और आवास मंत्री जमीर अहमद खान के निजी सचिव के बीच बातचीत का एक ऑडियो वायरल हुआ. ऑडियो क्लिप में पाटिल कहते सुनाई दे रहे हैं कि उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में गरीबों के लिए मकान स्वीकृत करने के लिए कई पत्र दिए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन ग्राम पंचायत अध्यक्षों ने उनके पत्रों के आधार पर मकान स्वीकृत करवा लिए हैं.
पाटिल ने कहा कि ग्राम पंचायत अध्यक्षों ने उनके निर्वाचन क्षेत्र में 950 मकान स्वीकृत करवाए हैं, जबकि उन्होंने 2,000 आवास स्वीकृत करने के लिए अनुशंसा पत्र दिए हैं.
ऑडियो क्लिप सार्वजनिक होने के बाद विपक्षी दलों ने राज्य सरकार की आलोचना की.
पाटिल ने कहा, "ऑडियो में आवाज मेरी है और मैं इससे इनकार नहीं करता हूं. मैंने जो कुछ भी कहा है वह सच है. यह न केवल मेरे निर्वाचन क्षेत्र में बल्कि पूरे राज्य में हुआ है."
अगर मुख्यमंत्री बुलाएंगे, तो मैं जाऊंगा...
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह इस मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाएंगे, तो पाटिल ने कहा कि वह खुद जाकर मुख्यमंत्री से नहीं मिलेंगे. उन्होंने कहा, "अगर मुख्यमंत्री बुलाएंगे, तो मैं जाऊंगा और बताऊंगा कि क्या हुआ है."
आवास मंत्री खान ने कहा है कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है और अनियमितताएं ग्राम पंचायत स्तर पर हुई होंगी. उनके इस बयान पर पाटिल ने कहा कि यदि वह वास्तव में ऐसा सोचते हैं तो उन्हें जांच का आदेश देना चाहिए.
भाजपा नेताओं द्वारा कांग्रेस सरकार की आलोचना करने पर पाटिल ने कहा कि भाजपा के लोग मासूम नहीं हैं. उन्होंने कहा, "राज्य में प्रशासन को बिगाड़ने वालों में वे ही हैं. जब वे सत्ता में थे, तब भी उन्होंने यही किया था."
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