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भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की राह पर न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में शामिल - SUPREME COURT COLLEGIUM

कॉलेजियम प्रणाली सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष पांच न्यायाधीशों का समूह है जो जजों की नियुक्ति, तबादले और पदोन्नति की सिफारिश करता है.

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सुप्रीम कोर्ट (Etv Bharat)
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By Sumit Saxena

Published : May 24, 2025 at 5:32 PM IST

2 Min Read

नई दिल्ली: भारत के न्यायपालिका इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ आने वाला है. न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना, जो भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं, अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का हिस्सा बनने जा रही हैं. यह उपलब्धि न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की सेवानिवृत्ति के बाद हासिल हुई है.

वर्तमान में पांचवीं सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में कार्यरत न्यायमूर्ति नागरत्ना 25 मई को आधिकारिक तौर पर कॉलेजियम में शामिल हो जाएंगी. उनका कार्यकाल 29 अक्टूबर, 2027 तक रहेगा, और इस दौरान वे न्यायपालिका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. खास बात यह है कि उनका कार्यकाल 23 सितंबर, 2027 के बाद शुरू होने वाले पहले महिला सीजेआई के रूप में एक महीने से अधिक का हो सकता है.

कॉलेजियम की संरचना में बदलाव: न्यायमूर्ति नागरत्ना के शामिल होने के बाद कॉलेजियम में अब मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी जैसे प्रतिष्ठित न्यायाधीश शामिल होंगे. न्यायमूर्ति ओका की सेवानिवृत्ति के साथ ही शीर्ष अदालत में तीन न्यायाधीशों के पद रिक्त हो जाएंगे.

नियुक्तियों पर ध्यान केंद्रित: सूत्रों के अनुसार, चीफ जस्टिस गवई जल्द ही शीर्ष न्यायालय में रिक्त पदों को भरने के लिए अपनी पहली कॉलेजियम बैठक बुला सकते हैं. इस बैठक में कई उच्च न्यायालयों में महत्वपूर्ण नियुक्तियों पर भी विचार किया जा सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि कॉलेजियम इन नियुक्तियों को लेकर क्या निर्णय लेता है.

न्यायमूर्ति नागरत्ना का सफर: 30 अक्टूबर, 1962 को जन्मी न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना पूर्व सीजेआई ई.एस. वेंकटरमैया की बेटी हैं. उन्होंने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए न्यायिक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है. उनकी संभावित नियुक्ति भारत के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी और यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.

यह भी पढ़ें- केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के अफसरों को समय पर नहीं मिल रहा प्रमोशन, सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

नई दिल्ली: भारत के न्यायपालिका इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ आने वाला है. न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना, जो भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं, अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का हिस्सा बनने जा रही हैं. यह उपलब्धि न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की सेवानिवृत्ति के बाद हासिल हुई है.

वर्तमान में पांचवीं सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में कार्यरत न्यायमूर्ति नागरत्ना 25 मई को आधिकारिक तौर पर कॉलेजियम में शामिल हो जाएंगी. उनका कार्यकाल 29 अक्टूबर, 2027 तक रहेगा, और इस दौरान वे न्यायपालिका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. खास बात यह है कि उनका कार्यकाल 23 सितंबर, 2027 के बाद शुरू होने वाले पहले महिला सीजेआई के रूप में एक महीने से अधिक का हो सकता है.

कॉलेजियम की संरचना में बदलाव: न्यायमूर्ति नागरत्ना के शामिल होने के बाद कॉलेजियम में अब मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी जैसे प्रतिष्ठित न्यायाधीश शामिल होंगे. न्यायमूर्ति ओका की सेवानिवृत्ति के साथ ही शीर्ष अदालत में तीन न्यायाधीशों के पद रिक्त हो जाएंगे.

नियुक्तियों पर ध्यान केंद्रित: सूत्रों के अनुसार, चीफ जस्टिस गवई जल्द ही शीर्ष न्यायालय में रिक्त पदों को भरने के लिए अपनी पहली कॉलेजियम बैठक बुला सकते हैं. इस बैठक में कई उच्च न्यायालयों में महत्वपूर्ण नियुक्तियों पर भी विचार किया जा सकता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि कॉलेजियम इन नियुक्तियों को लेकर क्या निर्णय लेता है.

न्यायमूर्ति नागरत्ना का सफर: 30 अक्टूबर, 1962 को जन्मी न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना पूर्व सीजेआई ई.एस. वेंकटरमैया की बेटी हैं. उन्होंने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए न्यायिक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है. उनकी संभावित नियुक्ति भारत के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी और यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.

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