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कोर्ट ने 23 लोगों को सुनाई आजीवन कारावास की सजा, जादू-टोना के शक में महिला की हुई थी जघन्य हत्या - JUSTICE AFTER 13 YEARS

आज से 13 साल पहले महिला फुलेश्वरी हलोवा ने अंधविश्वास से प्रेरित भीड़ की क्रूरता के कारण अपनी जान गंवा दी थी.

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 20, 2025 at 12:12 AM IST

3 Min Read

मोरन: असम में चराईदेव डिस्ट्रिक्ट सेशन कोर्ट के जज अबू बकर सिद्दीकी ने 13 साल पुराने एक महिला की जघन्य हत्या के मामले एतिहासिक फैसले सुनाते हुए 11 महिलाओं समेत 23 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. 9 फरवरी 2012 में खूनी भीड़ की क्रूरता का शिकार होकर एक महिला ने अपनी जान गंवा दी थी.

इसी के साथ चराईदेव जिले में फुलेश्वरी हालोवा के परिवार को आखिरकार 13 साल के लंबे इंतजार के बाद अदालत से न्याय मिला. कोर्ट के फैसले में अपराध के दोषी साबित हुए 23 लोगों को आजीवन कारावास की सजा के साथ-साथ प्रत्येक पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. साथ ही कोर्ट ने पीड़ित परिवार को 8 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है.

चराईदेव डिस्ट्रिक्ट सेशन कोर्ट
चराईदेव डिस्ट्रिक्ट सेशन कोर्ट (ETV Bharat)

9 फरवरी 2012 को हुई इस घटना के संबंध में पीड़ित महिला के बेटे जोगेन हालोवा ने 10 फरवरी को जादू-टोना के संदेह में शिकायत दर्ज कराई थी. 14 गवाहों के साथ जांच के बाद आज फैसला सुनाया गया.

पूरी घटना के सिलसिले में कुल 35 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से 10 को चार्जशीट में बरी कर दिया गया. उनमें से एक उस समय ग्राम प्रधान था, जिसकी अब मौत हो चुकी है. दूसरा ग्राम रक्षा दल का सचिव था, उस पर केवल घटना की जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई न करने के लिए जुर्माना लगाया गया.

9 फरवरी, 2012 को दिल दहलाने वाला दिन था. चराईदेव जिले के जाल्हा गांव की एक महिला फुलेश्वरी हलोवा ने अंधविश्वास से प्रेरित भीड़ की क्रूरता के कारण अपनी जान गंवा दी. फुलेश्वरी पर डायन होने का आरोप लगाते हुए कुछ ग्रामीणों ने उसे रात भर आउटेंगा पेड़ से बांधकर रखा, उसे बेरहमी से प्रताड़ित किया और फिर उसे जिंदा जला दिया. इस जघन्य अपराध के खुलासे ने चराईदेव और पूरे राज्य में सनसनी फैला दी.

घटना के बाद महिला के बेटे जोगेन हालोवा द्वारा सोनारी थाने में दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने 35 लोगों को गिरफ्तार कर जांच शुरू की थी. इसके बाद मामला सुनवाई के लिए कोर्ट पहुंचा. असहनीय यातना से मरी महिला के परिवार ने न्यायपालिका में अपनी लड़ाई लड़ी. 13 साल तक चली लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार सोमवार को अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.

कोर्ट के फैसले पर पीड़िता के बेटे का बयान
अदालत के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए महिला के बेटे जोगेन हालोवा ने कहा कि, डायन और जादू टोना के शक में भीड़ ने उसकी मां को पकड़ लिया और उसे एक पेड़ से बांध दिया. उसके बाद क्रूर भीड़ ने उसकी मां को जलाकर मार डाला.

आरोपियों ने रात में उसकी मां को प्रताड़ित किया और सुबह उसे जला दिया. बेटे 13 साल पुरानी घटना को याद करते हुए कहा कि, जब आरोपी मां को ले गए तो वह उस वक्त घर पर नहीं था. जब उसे पता चला तो वह मौके पर पहुंचा लेकिन भीड़ देखकर वापस आ गया.

उसके बाद सुबह प्रशासन के लोग आए और उसे वहां ले गए. जब ​​वह मौके पर गया तो पाया कि, उसकी मां को आरोपियों ने जलाकर राख कर दिया था. बेटे ने कहा कि, किसी को भी ऐसा नहीं करना चाहिए. डायन जैसी कोई चीज नहीं होती है.

ये भी पढे़ं: असम का तिलिंगा मंदिर, जहां घंटी चढ़ाने मात्र से होती है मुराद पूरी!

मोरन: असम में चराईदेव डिस्ट्रिक्ट सेशन कोर्ट के जज अबू बकर सिद्दीकी ने 13 साल पुराने एक महिला की जघन्य हत्या के मामले एतिहासिक फैसले सुनाते हुए 11 महिलाओं समेत 23 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. 9 फरवरी 2012 में खूनी भीड़ की क्रूरता का शिकार होकर एक महिला ने अपनी जान गंवा दी थी.

इसी के साथ चराईदेव जिले में फुलेश्वरी हालोवा के परिवार को आखिरकार 13 साल के लंबे इंतजार के बाद अदालत से न्याय मिला. कोर्ट के फैसले में अपराध के दोषी साबित हुए 23 लोगों को आजीवन कारावास की सजा के साथ-साथ प्रत्येक पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. साथ ही कोर्ट ने पीड़ित परिवार को 8 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है.

चराईदेव डिस्ट्रिक्ट सेशन कोर्ट
चराईदेव डिस्ट्रिक्ट सेशन कोर्ट (ETV Bharat)

9 फरवरी 2012 को हुई इस घटना के संबंध में पीड़ित महिला के बेटे जोगेन हालोवा ने 10 फरवरी को जादू-टोना के संदेह में शिकायत दर्ज कराई थी. 14 गवाहों के साथ जांच के बाद आज फैसला सुनाया गया.

पूरी घटना के सिलसिले में कुल 35 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से 10 को चार्जशीट में बरी कर दिया गया. उनमें से एक उस समय ग्राम प्रधान था, जिसकी अब मौत हो चुकी है. दूसरा ग्राम रक्षा दल का सचिव था, उस पर केवल घटना की जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई न करने के लिए जुर्माना लगाया गया.

9 फरवरी, 2012 को दिल दहलाने वाला दिन था. चराईदेव जिले के जाल्हा गांव की एक महिला फुलेश्वरी हलोवा ने अंधविश्वास से प्रेरित भीड़ की क्रूरता के कारण अपनी जान गंवा दी. फुलेश्वरी पर डायन होने का आरोप लगाते हुए कुछ ग्रामीणों ने उसे रात भर आउटेंगा पेड़ से बांधकर रखा, उसे बेरहमी से प्रताड़ित किया और फिर उसे जिंदा जला दिया. इस जघन्य अपराध के खुलासे ने चराईदेव और पूरे राज्य में सनसनी फैला दी.

घटना के बाद महिला के बेटे जोगेन हालोवा द्वारा सोनारी थाने में दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने 35 लोगों को गिरफ्तार कर जांच शुरू की थी. इसके बाद मामला सुनवाई के लिए कोर्ट पहुंचा. असहनीय यातना से मरी महिला के परिवार ने न्यायपालिका में अपनी लड़ाई लड़ी. 13 साल तक चली लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार सोमवार को अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.

कोर्ट के फैसले पर पीड़िता के बेटे का बयान
अदालत के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए महिला के बेटे जोगेन हालोवा ने कहा कि, डायन और जादू टोना के शक में भीड़ ने उसकी मां को पकड़ लिया और उसे एक पेड़ से बांध दिया. उसके बाद क्रूर भीड़ ने उसकी मां को जलाकर मार डाला.

आरोपियों ने रात में उसकी मां को प्रताड़ित किया और सुबह उसे जला दिया. बेटे 13 साल पुरानी घटना को याद करते हुए कहा कि, जब आरोपी मां को ले गए तो वह उस वक्त घर पर नहीं था. जब उसे पता चला तो वह मौके पर पहुंचा लेकिन भीड़ देखकर वापस आ गया.

उसके बाद सुबह प्रशासन के लोग आए और उसे वहां ले गए. जब ​​वह मौके पर गया तो पाया कि, उसकी मां को आरोपियों ने जलाकर राख कर दिया था. बेटे ने कहा कि, किसी को भी ऐसा नहीं करना चाहिए. डायन जैसी कोई चीज नहीं होती है.

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