रांची: पिछले कुछ वर्षों में झामुमो, कांग्रेस और राजद के कई नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली है. लेकिन वह लंबे दिनों तक भाजपा के पिच पर राजनीति नहीं कर पाए. भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और 2024 लोकसभा चुनाव के राजमहल सीट से उम्मीदवार रहे ताला मरांडी झामुमो में शामिल हो गए हैं. अब राजनीति में यह चर्चा तेज हो गई है कि चुनाव के समय भाजपा में दूसरे दलों के दिग्गज नेता शामिल तो होते हैं, लेकिन वह टिक नहीं पाते हैं.
राज्य में ताला मरांडी, हेमलाल मुर्मू, कुणाल सारंगी, उदय शंकर सिंह, जेपी पटेल, उमाशंकर अकेला, गौतम सागर राणा, गिरिनाथ सिंह, डॉ मनोज कुमार जैसे तमाम नाम ऐसे नेताओं की है, जो झामुमो, कांग्रेस या राजद जैसे दलों के कद्दावर नेता रहे और अपना दल छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. लेकिन ये सभी नेता बीजेपी में टिक नहीं पाए और वापस दूसरे दलों में चले गए.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय इसके पीछे की वजह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बढ़ता कद को बताया है. मनोज पांडेय कहते हैं कि जनता के प्रति उनके नेता (मुख्यमंत्री) हेमंत सोरेन की समर्पण और प्रतिबद्धता की वजह से ही वह आज लोकप्रियता के शिखर पर हैं. ऐसे में किसी भी कारण से अगर कोई नेता गलती से भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाते हैं, तो उन्हें जल्द अपनी गलती का अहसास हो जाता है और वह अपनी गलती सुधार लेता है.
तानाशाही ताकतों के आगे नहीं झुकने वाले हैं उनके नेता: मनोज पांडेय
जेएमएम के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि उनके नेता की पहचान तानाशाही ताकतों के सामने नहीं झुकने वाले नेता की रही है. उन्होंने कहा कि हमारी योजना सिर्फ संथाल नहीं बल्कि पूरे राज्य को भाजपा मुक्त करने की है. जेएमएम प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा के कई और नेता झामुमो में शामिल होना चाहते हैं. लेकिन शॉर्टलिस्टेड करने के बाद ही पार्टी में एंट्री मिलेगी.
भाजपा में नेताओं का भविष्य अंधकारमय
झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि झारखंड भाजपा के न नेता ठीक है और न नीति ठीक है. उनका नियत सिर्फ झारखंड को पूंजीपतियों का उपनिवेश बनाकर लूटना है. ऐसे में वहां नेताओं का भविष्य अंधकारमय है, उनका कोई भविष्य नहीं है. इसलिए जो गलती से भी भाजपा में चला जाता है, वह वापस लौट आता है.
बहुत कम लोग भाजपा से दूसरे दलों में गए: भाजपा सांसद
भाजपा के राज्यसभा सांसद और प्रदेश महामंत्री प्रदीप वर्मा से दूसरे दल से आए नेताओं के पार्टी छोड़ने पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि ऐसे नेताओं की संख्या बेहद कम है. उन्होंने कहा कि बीजेपी इकलौता ऐसा दल है, जिसमें कभी टूट नहीं हुई है. कुछ नेताओं ने पार्टी छोड़ी है, दो-चार नेताओं का आना जाना लगा रहता है. उन्होंने कहा कि जो भी नेता राष्ट्रभावना के साथ भाजपा में शामिल होते हैं, उन्हें दूसरे दलों में जाने से पहले यह जरूर सोचना चाहिए कि जिस दल में वह जा रहे हैं, क्या वहां रहकर वह राष्ट्र सेवा कर पाएंगे.
भाजपा में दो तरह के कार्यकर्ता: प्रदीप वर्मा
सांसद प्रदीप वर्मा से जब पूछा गया कि क्या चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ऐसे नेताओं को पार्टी में शामिल कराता है. इस पर उन्होंने कहा कि भाजपा में संगठन के प्रति समर्पित कार्यकर्ता के अलावा चुनाव जिताऊ लोगों को भी जगह दी जाती है. इन दोनों के बेहतर समन्वय की वजह से ही आज भाजपा न सिर्फ दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है, बल्कि केंद्र और ज्यादातर राज्यों में हमारी सरकार है.
भाजपा में आकर फिर से पार्टी छोड़ने वाले नेताओं की लिस्ट
- हेमलाल मुर्मू: झामुमो से भाजपा में शामिल हुए फिर झामुमो में चले गए
- ताला मरांडी: झामुमो से राजनीति शुरू की फिर कांग्रेस और लंबे दिनों तक भाजपा में रहने के बाद अब झामुमो में चले गए
- कुणाल सारंगी: झामुमो के विधायक थे, भाजपा में शामिल हुए और फिर भाजपा छोड़ झामुमो में लौट गए
- जेपी पटेल: झामुमो से भाजपा में गए और फिर भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए
- गौतम सागर राणा: राजद के प्रदेश अध्यक्ष रहे, पूर्व मंत्री भाजपा में शामिल हुए और कुछ दिन बाद ही पार्टी छोड़ कर दूसरे दल में चले गए, अभी राजद में हैं
- गिरिनाथ सिंह: राजद के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री रहे, राजद छोड़ भाजपा में शामिल हुए और फिर पार्टी छोड़ दी
- डॉ मनोज कुमार: राजद के प्रदेश प्रवक्ता रहे, भाजपा में शामिल होने के कुछ दिन बाद ही पार्टी छोड़ कर दोबारा राजद में लौट गए
इस तरह के और भी छोटे-बड़े नाम हैं जो राजनीतिक में भविष्य को देखते हुए अपने-अपने दल छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए थे. लेकिन भाजपा से फिर पार्टी बदल लिया. इस लिस्ट में उमाशंकर अकेला, डॉ लुईस मरांडी, सरयू राय जैसे नाम भी शामिल है, जिनकी गिनती कभी भाजपा के नीति और सिद्धांतों के प्रति समर्पित नेताओं में होती थी. लेकिन आज वह भाजपा छोड़ किसी अन्य दल में शामिल हैं.
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