रांची:सरना धर्म कोड की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के बीच शक्ति प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस के राज्यस्तरीय आंदोलन के ठीक एक दिन बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन कर सरना धर्मकोड की मांग की और सरना धर्म कोड नहीं लागू करने पर जनगणना नहीं होने तक की धमकी दी है.
लगातार दो दिनों से सरना धर्म कोड को लेकर चल रहे इस आंदोलन के पीछे की वजह भले ही केंद्र की भाजपा सरकार पर मांग को पूरा करवाने के लिए दबाव बनाना है, लेकिन अंदरूनी बात यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों दल के द्वारा जारी संयुक्त घोषणा पत्र सात निश्चय में इसे प्रमुख एजेंडा में रखा गया था. इसके अलावे दोनों दलों ने अपने-अपने घोषणा पत्र में भी प्रमुखता से इस मुद्दे को रखकर जनता का दिल जीतने की कोशिश की थी.
सरना धर्म कोड को झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी अपना पुराना मुद्दा मान रहा है. इन सबके बीच कांग्रेस के इस मुद्दे पर मुखर होने के बाद कहीं ना कहीं जेएमएम के अंदर खलबली मच गई है. इसके बाद पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरने का निर्णय लिया है. हालांकि इस मुद्दे पर दोनों दलों के द्वारा किए जा रहे अलग-अलग आंदोलन को पार्टी नेता सही बता रहे हैं.
सरना धर्म कोड इंडिया ब्लॉक की मांगः विनोद पांडे
इस संबंध में जेएमएम के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडे कहते हैं कि “इंडिया गठबंधन चाहती है कि यह धर्म कोड लागू हो, इसलिए सभी दल अपने-अपने स्तर से आंदोलन कर रहे हैं”. उन्होंने कहा कि हर पार्टी का अपना एजेंडा होता है. उसी के तहत लोग अपने मंच से आंदोलन कर रहे हैं.
वहीं जेएमएम विधायक अमित महतो कहते हैं कि यह हमारी पुरानी मांग है और समय-समय पर उठती रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा विधानसभा से इसे पास कराकर केंद्र को भेजा गया था, मगर केंद्र सरकार के द्वारा अनदेखी की जा रही है. यदि सरना धर्म कोड को लागू नहीं किया जाता है तो आने वाले समय में दिल्ली तक वृहत रूप में प्रदर्शन होगा. अलग-अलग आंदोलन को गठबंधन के अंदर किसी तरह के मतभेद होने से इनकार करते हुए अमित महतो ने कहा कि इस मुद्दे पर भी हम दोनों दल एक साथ हैं. हम लोगों का मानना है कि जातिगत जनगणना होने से पहले सरना धर्म कोड लागू किया जाए.
गंभीर बीमारी होने पर अलग-अलग दवा दी जाती हैः राकेश सिन्हा
इधर, झारखंड कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने सरना धर्म कोड को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के द्वारा चलाए जा रहे हैं आंदोलन को सही बताते हुए कहा है कि जब बीमारी गंभीर हो तो कई दवाई दी जाती है. इसी के तहत हम लोगों ने कल आंदोलन के जरिए केंद्र सरकार को दवाई देने का काम किया है. आज झारखंड मुक्ति मोर्चा ने दूसरी दवाई देने का काम किया है. इससे भी नहीं होगा तो दिल्ली में जंतर मंतर पर और राष्ट्रपति से मिलकर सरना धर्म कोड को लेकर हम लड़ाई लड़ेंगे.
धर्मांतरण रोके बिना सरना धर्म कोड की मांग बेतुका-बाबूलाल
सरना धर्म कोड को लेकर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन की आलोचना करते हुए नेता प्रतिपक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य में धर्मांतरण रोके बिना सरना धर्म कोड की मांग करना बेतुका है. उन्होंने 2011 की जनगणना का हवाला देते हुए कहा कि उस समय राज्य में आदिवासियों की संख्या 86 लाख 45 हजार थी. जिसका 15.48% आबादी क्रिश्चियन बन चुकी है.
उन्होंने कहा कि यदि जनजातीय को अलग-अलग देखें तो उरांव की 36% आबादी क्रिश्चियन बन चुकी है, मुंडा जिसमें पातर मुंडा शामिल हैं 33% ईसाई बन चुके हैं, संथाल 0.85% ईसाई बन चुका हैं. इसी तरह हो जनजाति में 2.14% और खरिया 67.92% ईसाई बन चुका हैं. उन्होंने कहा कि यदि इसी तरह धर्मांतरण होता रहा तो सरना धर्म कौन मानेंगे. सरना तो वही लिखेंगे जो मरांग बुरु को मानते हैं और सरना मां को मानते हैं. जब क्रिश्चियन बन जाते हैं तो यह सब चीजों को वह छोड़ देते हैं. बहरहाल, सरना धर्म कोड को लेकर सियासत तेज है और इसकी गूंज झारखंड से निकलकर आने वाले समय में दिल्ली तक पहुंचने वाली है.
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