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2029-30 तक 10 ट्रिलियन की होगी झारखंड की अर्थव्यवस्था, प्रतिव्यक्ति आय में होगा 14 फीसदी का इजाफा - JHARKHAND ECONOMY

झारखंड की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है. अगर यही रफ्तार रही तो 2029-30 तक यह 10 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था हो जाएगी. रांची से भुवन किशोर झा की रिपोर्ट.

Jharkhand economy
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 10, 2025 at 4:07 PM IST

Updated : April 10, 2025 at 5:02 PM IST

8 Min Read

रांची: प्रकृति की गोद में बसा झारखंड को लेकर हमेशा यह बातें होती रही हैं कि प्राकृतिक संसाधनों से भले ही यह राज्य अमीर है, मगर यहां के लोग बेहद ही गरीब हैं. इन बातों में काफी हद तक सच्चाईयां भी है. मगर सुखद बात यह भी है कि पिछले कुछ वर्षों में लोगों की आय में तेजी से वृद्धि हुई है. जिस वजह से गरीबी कम हुई है.

झारखंड में कितनी है प्रति व्यक्ति आय

झारखंड सरकार के पांचवां वित्त आयोग द्वारा हाल ही में जारी की गई पहली रिपोर्ट के अनुसार 2024-25 में लोगों की आमदनी 1 लाख 14 हजार 271 रुपए थी जो 2025-26 तक बढ़कर 1 लाख 24 हजार 079 रुपये होने का अनुमान है. जबकि राज्य स्थापना काल के तुरंत बाद 2001-02 में प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 1 लाख 451रुपये थी. यानी 25 वर्षों के कालखंड में झारखंड में लोगों की प्रति व्यक्ति आमदनी में 12 गुणा से अधिक का उछाल आया है जो राज्य की मजबूत अर्थव्यवस्था का संकेत है.

जानकारी देते अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल (ईटीवी भारत)

झारखंड में गरीबी हुई कम

झारखंड में एक तरफ जहां प्रति व्यक्ति आय में इजाफा हुआ है. वहीं दूसरी तरफ गरीबी में भी कमी आई है. नीति आयोग के आंकड़ों पर नजर दें तो 2015-16 में 42.10% गरीबी झारखंड में थी. जो 2019-21 में घटकर 28.81% हो गई. अगर देश में गरीबी की स्थिति की बात करें तो 2015-16 में 24.85% थी जो कम होकर 14.96% हो गया है. शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी की बात करें तो 2019-2 1 में जारी आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 2015-16 की तुलना में काफी कम हुई है. 2015-16 में झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में 50.92% गरीब थे, वहीं 2019-21 में यह आंकड़ा घटकर 34.93% पर आ गया है. इसी तरह शहरी क्षेत्र की बात करें तो 2019-21 में 8.67 प्रतिशत गरीब शहरी क्षेत्र में हैं, जबकि 2015-16 के आंकड़ों के अनुसार इनकी संख्या 15.04 प्रतिशत थी.

JHARKHAND ECONOMY
झारखंड की प्रति व्यक्ति आय (ईटीवी भारत)
आपको बता दें कि हर पांच वर्ष पर गरीबी का आकलन कर रिपोर्ट जारी किया जाता है. गरीबी कम होने के कई वजह हैं जिसमें सबसे महत्वपूर्ण राज्य की अर्थव्यवस्था में आई मजबूती के सुखद परिणाम बताया जा रहा है जिससे लोगों के प्रति व्यक्ति आय को भी प्रभावित किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 के प्रोविजनल इस्टीमेट यानी PE के अनुसार राज्य में प्रति व्यक्ति आय 88500 है वहीं 2022-23 में 96449 रुपए प्रति व्यक्ति आय का अनुमान (PR-Projection) लगाया गया है. इसी तरह से सब कुछ ठीक रहा तो 2025- 26 में 124079 रुपए प्रति व्यक्ति आय होने का अनुमान है.


'प्रति व्यक्ति आय हमारे राज्य का बढ़ने का कारण यह रहा है कि राज्य की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे सुदृढ़ हो रही है. यह सिर्फ इसी रिपोर्ट में नहीं जितनी भी रिपोर्ट आप देखेंगे उसमें यह परिलक्षित हो रहा है. नीति आयोग का भी एक रिपोर्ट आई है, उसमें भी यह है कि राज्य ने फिजिकल हेल्थ और राजकोषीय स्वास्थ्य में इंप्रूव किया है. झारखंड पूरे देश में चौथे स्थान पर रहा है. तो चीजों में बढ़ोतरी होती रही है, इंप्रूव होता रहा है जिसके कारण की प्रति व्यक्ति आय में अभिवृद्धि होती रही है-' हरिश्वर दयाल,अर्थशास्त्री

प्रति व्यक्ति आय बढ़ने के पीछे ये हैं कारण

मजबूत आर्थिक नीति के जरिए झारखंड ने विकास दर को सकारात्मक बनाकर रखने में सफलता पाई है. कुछ वर्षों को छोड़कर शेष वित्तीय वर्ष में विकास दर सकारात्मक होने के कारण आर्थिक गतिविधि में तेजी देखी गई है. झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 और 2023-24 के बीच राज्य के स्थिर(2011-12) मूल्यों पर जीएसडीपी में औसतन वार्षिक 7.7% और वर्तमान मूल्य पर जीएसडीपी में 10.7% की दर से वृद्धि हुई है.

JHARKHAND ECONOMY
झारखंड का GSDP (ईटीवी भारत)

वहीं 2024- 25 में स्थिर मूल्य पर 6.7% और वर्तमान मूल्य पर 9.8% की वृद्धि होने की संभावना है. यही वजह है कि इस अवधि में स्थिर मूल्य पर प्रति व्यक्ति आय में औसतन वार्षिक 6.5% की वृद्धि हुई और चालू मूल्य पर 9.5% की दर से वृद्धि हुई है. स्थिर मूल्य पर प्रति व्यक्ति आय साल 2021-22 में 57172 रुपए से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 65062 रुपए और चालू मूल्य पर प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2021-22 में 88500 से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 1,05,274 हो गया.


2029-30 में झारखंड की अर्थव्यवस्था 10 ट्रिलियन

झारखंड में विकास दर की यही स्थिति बनी रही तो राज्य ने 2029-30 तक 10 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था का जो लक्ष्य रखा है उसके तहत प्रति व्यक्ति आय में करीब 14.2% की वृद्धि होने की संभावना है. इस लक्ष्य को पाने के लिए कृषि,पर्यटन और हेल्थ सेक्टर को सरकार बढावा देने में जुटी है.अब तक झारखंड को माइनिंग के लिए देश दुनियां में जाना जाता है उससे निकलकर पर्यटन और हेल्थ सेक्टर पर फोकस करने में सरकार जुटी है जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था और मजबूत हो सके.

JHARKHAND ECONOMY
झारखंड का ग्रोथ प्रतिशत (ईटीवी भारत)

प्रति व्यक्ति आय में सिक्किम सबसे आगे बिहार सबसे पीछे

झारखंड वित्त आयोग के रिपोर्ट के मुताबिक 2022-23 के चालू मूल्य पर सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाला राज्य सिक्किम है. वहीं सबसे नीचे बिहार है. रिपोर्ट के अनुसार सिक्किम की प्रति व्यक्ति आय 52 लाख 466 है जबकि बिहार की प्रति व्यक्ति आय 53478 है. इसी तरह दूसरे नंबर पर गोवा है, जहां प्रति व्यक्ति आय 4 लाख 92 हजार 648 है. वहीं, तीसरे स्थान पर तेलंगाना है जिसकी प्रति व्यक्ति आय 3 लाख 12 हजार 522 है. चौथे नंबर पर कर्नाटक है जिसकी प्रति व्यक्ति आय तीन लाख 4 हजार 474 रुपया है. वहीं पांच में स्थान पर हरियाणा है, जहां प्रति व्यक्ति आय 296592 है. रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड देश के 28 राज्यों में 26वें स्थान पर है जिसके नीचे उत्तर प्रदेश और बिहार है. उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 84126 है.

आखिर कैसे तय होती है प्रति व्यक्ति आय
देश में मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिसटिक्स एंड प्रोगाम इंप्लीमेंटेशन के अधीन केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी यानी सीएसओ राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय का निर्धारण करता रहा है. इसका निर्धारण कई विधियों से होती है मगर सामान्य और सरल शब्दों में प्रति व्यक्ति आय, जिसे औसत आय भी कहते हैं, किसी देश या क्षेत्र की कुल आय को उसकी जनसंख्या से विभाजित करके तय की जाती है, जो उस क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की औसत आय का प्रतिनिधित्व करती है. उदाहरण के रुप में किसी देश की कुल आय 20,000 करोड़ है और उसकी जनसंख्या 10 करोड़ है, तो प्रति व्यक्ति आय 20,000 करोड़ / 10 करोड़ = 2000 रुपया प्रति व्यक्ति होगी.

झारखंड वित्त आयोग के सदस्य और जानेमाने अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल कहते हैं कि पहले तो आय को कई सेक्टर में बांटा जाता है और हर सेक्टर का आय का वैल्यूएशन होता है. इसके कई तरीके होते हैं. कुछ तो उत्पादन किस गति से बढ़ा है उससे वैल्यू निकालते हैं, लेकिन जैसे सर्विस सेक्टर है उसमें आय लोगों का कैसे और कितना बढ़ा है उसके हिसाब से वैल्यू निकालते हैं.

आय में अलग-अलग क्षेत्र हैं जैसे बैंकिंग है, इंश्योरेंस है, फाइनेंस सेक्टर है, कम्युनिकेशन हैं, पब्लिक सेक्टर है जिसमें गवर्नमेंट एम्पलाइज वगैरह आते हैं. उनकी आय क्या है उसे मापा जाता है. उन्होंने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वस्तुओं के उत्पादन को नापा जाता है, वैसे ही प्राइमरी सेक्टर में एग्रीकल्चर में क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट होता है जिसके बेसिस पर उत्पादन नापा जाता है. राज्य स्तर पर सांख्यिकी निदेशालय और राष्ट्रीय स्तर पर मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिसटिक्स एंड प्रोगाम इंप्लीमेंटेशन यानी MoSPI दोनों के रिपोर्ट के आधार पर हर साल अगस्त महीने में इसे जारी किया जाता है.

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झारखंड में कितनी है प्रति व्यक्ति आय

झारखंड सरकार के पांचवां वित्त आयोग द्वारा हाल ही में जारी की गई पहली रिपोर्ट के अनुसार 2024-25 में लोगों की आमदनी 1 लाख 14 हजार 271 रुपए थी जो 2025-26 तक बढ़कर 1 लाख 24 हजार 079 रुपये होने का अनुमान है. जबकि राज्य स्थापना काल के तुरंत बाद 2001-02 में प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 1 लाख 451रुपये थी. यानी 25 वर्षों के कालखंड में झारखंड में लोगों की प्रति व्यक्ति आमदनी में 12 गुणा से अधिक का उछाल आया है जो राज्य की मजबूत अर्थव्यवस्था का संकेत है.

जानकारी देते अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल (ईटीवी भारत)

झारखंड में गरीबी हुई कम

झारखंड में एक तरफ जहां प्रति व्यक्ति आय में इजाफा हुआ है. वहीं दूसरी तरफ गरीबी में भी कमी आई है. नीति आयोग के आंकड़ों पर नजर दें तो 2015-16 में 42.10% गरीबी झारखंड में थी. जो 2019-21 में घटकर 28.81% हो गई. अगर देश में गरीबी की स्थिति की बात करें तो 2015-16 में 24.85% थी जो कम होकर 14.96% हो गया है. शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी की बात करें तो 2019-2 1 में जारी आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 2015-16 की तुलना में काफी कम हुई है. 2015-16 में झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में 50.92% गरीब थे, वहीं 2019-21 में यह आंकड़ा घटकर 34.93% पर आ गया है. इसी तरह शहरी क्षेत्र की बात करें तो 2019-21 में 8.67 प्रतिशत गरीब शहरी क्षेत्र में हैं, जबकि 2015-16 के आंकड़ों के अनुसार इनकी संख्या 15.04 प्रतिशत थी.

JHARKHAND ECONOMY
झारखंड की प्रति व्यक्ति आय (ईटीवी भारत)
आपको बता दें कि हर पांच वर्ष पर गरीबी का आकलन कर रिपोर्ट जारी किया जाता है. गरीबी कम होने के कई वजह हैं जिसमें सबसे महत्वपूर्ण राज्य की अर्थव्यवस्था में आई मजबूती के सुखद परिणाम बताया जा रहा है जिससे लोगों के प्रति व्यक्ति आय को भी प्रभावित किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 के प्रोविजनल इस्टीमेट यानी PE के अनुसार राज्य में प्रति व्यक्ति आय 88500 है वहीं 2022-23 में 96449 रुपए प्रति व्यक्ति आय का अनुमान (PR-Projection) लगाया गया है. इसी तरह से सब कुछ ठीक रहा तो 2025- 26 में 124079 रुपए प्रति व्यक्ति आय होने का अनुमान है.


'प्रति व्यक्ति आय हमारे राज्य का बढ़ने का कारण यह रहा है कि राज्य की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे सुदृढ़ हो रही है. यह सिर्फ इसी रिपोर्ट में नहीं जितनी भी रिपोर्ट आप देखेंगे उसमें यह परिलक्षित हो रहा है. नीति आयोग का भी एक रिपोर्ट आई है, उसमें भी यह है कि राज्य ने फिजिकल हेल्थ और राजकोषीय स्वास्थ्य में इंप्रूव किया है. झारखंड पूरे देश में चौथे स्थान पर रहा है. तो चीजों में बढ़ोतरी होती रही है, इंप्रूव होता रहा है जिसके कारण की प्रति व्यक्ति आय में अभिवृद्धि होती रही है-' हरिश्वर दयाल,अर्थशास्त्री

प्रति व्यक्ति आय बढ़ने के पीछे ये हैं कारण

मजबूत आर्थिक नीति के जरिए झारखंड ने विकास दर को सकारात्मक बनाकर रखने में सफलता पाई है. कुछ वर्षों को छोड़कर शेष वित्तीय वर्ष में विकास दर सकारात्मक होने के कारण आर्थिक गतिविधि में तेजी देखी गई है. झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 और 2023-24 के बीच राज्य के स्थिर(2011-12) मूल्यों पर जीएसडीपी में औसतन वार्षिक 7.7% और वर्तमान मूल्य पर जीएसडीपी में 10.7% की दर से वृद्धि हुई है.

JHARKHAND ECONOMY
झारखंड का GSDP (ईटीवी भारत)

वहीं 2024- 25 में स्थिर मूल्य पर 6.7% और वर्तमान मूल्य पर 9.8% की वृद्धि होने की संभावना है. यही वजह है कि इस अवधि में स्थिर मूल्य पर प्रति व्यक्ति आय में औसतन वार्षिक 6.5% की वृद्धि हुई और चालू मूल्य पर 9.5% की दर से वृद्धि हुई है. स्थिर मूल्य पर प्रति व्यक्ति आय साल 2021-22 में 57172 रुपए से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 65062 रुपए और चालू मूल्य पर प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2021-22 में 88500 से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 1,05,274 हो गया.


2029-30 में झारखंड की अर्थव्यवस्था 10 ट्रिलियन

झारखंड में विकास दर की यही स्थिति बनी रही तो राज्य ने 2029-30 तक 10 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था का जो लक्ष्य रखा है उसके तहत प्रति व्यक्ति आय में करीब 14.2% की वृद्धि होने की संभावना है. इस लक्ष्य को पाने के लिए कृषि,पर्यटन और हेल्थ सेक्टर को सरकार बढावा देने में जुटी है.अब तक झारखंड को माइनिंग के लिए देश दुनियां में जाना जाता है उससे निकलकर पर्यटन और हेल्थ सेक्टर पर फोकस करने में सरकार जुटी है जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था और मजबूत हो सके.

JHARKHAND ECONOMY
झारखंड का ग्रोथ प्रतिशत (ईटीवी भारत)

प्रति व्यक्ति आय में सिक्किम सबसे आगे बिहार सबसे पीछे

झारखंड वित्त आयोग के रिपोर्ट के मुताबिक 2022-23 के चालू मूल्य पर सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाला राज्य सिक्किम है. वहीं सबसे नीचे बिहार है. रिपोर्ट के अनुसार सिक्किम की प्रति व्यक्ति आय 52 लाख 466 है जबकि बिहार की प्रति व्यक्ति आय 53478 है. इसी तरह दूसरे नंबर पर गोवा है, जहां प्रति व्यक्ति आय 4 लाख 92 हजार 648 है. वहीं, तीसरे स्थान पर तेलंगाना है जिसकी प्रति व्यक्ति आय 3 लाख 12 हजार 522 है. चौथे नंबर पर कर्नाटक है जिसकी प्रति व्यक्ति आय तीन लाख 4 हजार 474 रुपया है. वहीं पांच में स्थान पर हरियाणा है, जहां प्रति व्यक्ति आय 296592 है. रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड देश के 28 राज्यों में 26वें स्थान पर है जिसके नीचे उत्तर प्रदेश और बिहार है. उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 84126 है.

आखिर कैसे तय होती है प्रति व्यक्ति आय
देश में मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिसटिक्स एंड प्रोगाम इंप्लीमेंटेशन के अधीन केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी यानी सीएसओ राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय का निर्धारण करता रहा है. इसका निर्धारण कई विधियों से होती है मगर सामान्य और सरल शब्दों में प्रति व्यक्ति आय, जिसे औसत आय भी कहते हैं, किसी देश या क्षेत्र की कुल आय को उसकी जनसंख्या से विभाजित करके तय की जाती है, जो उस क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की औसत आय का प्रतिनिधित्व करती है. उदाहरण के रुप में किसी देश की कुल आय 20,000 करोड़ है और उसकी जनसंख्या 10 करोड़ है, तो प्रति व्यक्ति आय 20,000 करोड़ / 10 करोड़ = 2000 रुपया प्रति व्यक्ति होगी.

झारखंड वित्त आयोग के सदस्य और जानेमाने अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल कहते हैं कि पहले तो आय को कई सेक्टर में बांटा जाता है और हर सेक्टर का आय का वैल्यूएशन होता है. इसके कई तरीके होते हैं. कुछ तो उत्पादन किस गति से बढ़ा है उससे वैल्यू निकालते हैं, लेकिन जैसे सर्विस सेक्टर है उसमें आय लोगों का कैसे और कितना बढ़ा है उसके हिसाब से वैल्यू निकालते हैं.

आय में अलग-अलग क्षेत्र हैं जैसे बैंकिंग है, इंश्योरेंस है, फाइनेंस सेक्टर है, कम्युनिकेशन हैं, पब्लिक सेक्टर है जिसमें गवर्नमेंट एम्पलाइज वगैरह आते हैं. उनकी आय क्या है उसे मापा जाता है. उन्होंने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वस्तुओं के उत्पादन को नापा जाता है, वैसे ही प्राइमरी सेक्टर में एग्रीकल्चर में क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट होता है जिसके बेसिस पर उत्पादन नापा जाता है. राज्य स्तर पर सांख्यिकी निदेशालय और राष्ट्रीय स्तर पर मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिसटिक्स एंड प्रोगाम इंप्लीमेंटेशन यानी MoSPI दोनों के रिपोर्ट के आधार पर हर साल अगस्त महीने में इसे जारी किया जाता है.

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Last Updated : April 10, 2025 at 5:02 PM IST
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