रांची: झारखंड का मोस्ट वांटेड क्रिमिनल मयंक सिंह प्रत्यर्पण की हर प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद आखिर अजरबैजान से अब तक क्यों भारत नहीं लाया जा सका है, भारत सरकार की तरफ से सारी प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद अजरबैजान अब भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए है, बताया जा रहा है कि इसके पीछे मुख्य कारण ऑपरेशन सिंदूर और भारतीयों का 'बायकॉट अजरबैजान' मिशन वजह बना है.
भारत की तरफ से हर तरह की प्रक्रिया हो चुकी है पूरी
झारखंड पुलिस की अथक कोशिश के बाद मोस्ट वांटेड क्रिमिनल मयंक सिंह को केंद्रीय एजेंसियों और इंटरपोल के सहायता से अजरबैजान में गिरफ्तार किया गया था. बेहतरीन प्रयास के बाद मयंक के प्रत्यर्पण को भी मंजूरी मिल चुकी है, झारखंड एटीएस के अफसरों को यात्रा भत्ता के साथ साथ अजरबैजान जाकर मयंक को लाने की हर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. भारत सरकार ने भी इस मामले में हरी झंडी दे रखी है. नोडल एजेंसी सीबीआई के द्वारा मयंक सिंह को अजरबैजान से लाने की सारी प्रक्रिया पूरी कर चुकी है. लेकिन सवाल है आखिर मयंक को भारत लाने की अनुमति के कागजात पर अजरबैजान सरकार ने क्यों अब तक रोक लगा रखी है.
क्या ऑपरेशन सिंदूर का है असर
जानकार बताते हैं कि पाक आतंकियों के द्वारा जब कश्मीर में पर्यटकों पर हमला किया गया उससे पहले तक भारत और अजरबैजान में संबंध बिल्कुल ठीक-ठाक थे. लेकिन जैसे ही अपने देशवासियों पर हुए हमले का जवाब भारत में ऑपरेशन सिंदूर के जरिए दिया. तुरंत अजरबैजान भारत के खिलाफ बयान बाजी करने लगा. अजरबैजान ने खुलकर पाकिस्तान का सपोर्ट किया, जिसके बाद भारत की कई अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल एजेंसियों ने अजरबैजान का बायकाट करना शुरू कर दिया. खुले मंच पर आम लोगों से यह अपील की गई कि वह छुट्टियां बिताने के लिए अजरबैजान ना जाए. नाम नहीं छापने की शर्त पर केंद्रीय एजेंसी के कुछ अफसरों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर की वजह से जो हालात बने हैं मयंक के प्रत्यर्पण में देरी होने की प्रमुख वजह वही है.
अजरबैजान के स्वीकृति का इंतजार
हालांकि झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने मयंक सिंह को भारत लाने में क्यों देरी हो रही है इसका सीधा सा जवाब दिया, डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि
मयंक के प्रत्यर्पण में भारत सरकार के तरफ से कोई देरी नहीं है. भारत सरकार के द्वारा हर तरह की कार्रवाई पूर्व में ही कर ली गई है. अजरबैजान सरकार जैसे ही स्वीकृति पत्र भारत को देगी वैसे ही मयंक को भारत लाने का रास्ता साफ हो जाएगा.
सात महीने से ज्यादा समय से अजरबैजान की जेल में बंद मयंक
झारखंड का मोस्ट वांटेड क्रिमिनल मयंक सिंह उर्फ सुनील मीणा पिछले सात महीने से अजरबैजान के बाकू जेल में बंद है. साल 2024 के नवंबर महीने में मयंक को इंटरपोल की सहायता से गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद झारखंड एटीएस के द्वारा केंद्रीय एजेंसियों और इंटरपोल के माध्यम से अजरबैजान की बाकू की उच्च अदालत पुख्ता दस्तावेजों और सबूत पेश किए गए थे. जिसके आधार पर मयंक सिंह को कुख्यात अपराधी स्वीकार करते हुए कोर्ट ने उसके प्रत्यार्पण को मंजूरी प्रदान कर दी थी. अजरबैजान के कानून के अनुसार मयंक सिंह को ऊपरी अदालत में अपील करने का मौका भी दिया गया था, लेकिन उच्च अदालत ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा. फिलहाल मयंक सिंह अजरबैजान की राजधानी के बाकू स्थित एक जेल में बंद है.
कब आएगा मयंक, कितना होगा फायदा
सवाल यह है कि आखिर मयंक भारत कब लाया जाएगा. क्या भारत-पाकिस्तान के बीच की तल्खी और अजरबैजान का पाकिस्तान को सपोर्ट करना इसकी वजह बन गया है. जानकार बता रहे हैं कि इसके पीछे एकमात्र वजह भारत का ऑपरेशन सिंदूर ही है. मयंक सिंह को भारत लाने की सारी कानूनी बाधाएं समाप्त हो चुकी हैं, लेकिन अब तक झारखंड के मोस्ट वांटेड भारत नहीं आ पाया है. दरअसल कुख्यात अपराधी अमन साहू के मारे जाने के बाद मयंक सिंह ही एक ऐसा अपराधी है जिसके सीने में झारखंड सहित एक अंतरराष्ट्रीय अपराधी के कई राज दफन हैं. मयंक सिंह के झारखंड लाने पर कई बड़े कांडों का खुलासा तो होगा ही, साथ ही साथ अपराधियों के कई सिंडिकेट भी ध्वस्त होंगे.
अजरबैजान से है भारत का प्रत्यर्पण संधि
आपको बता दे की अजरबैजान देश के साथ भारत का प्रत्यर्पण संधि पूर्व से है. जिसका फायदा मयंक सिंह के केस में मिला है. लेकिन इसी बीच भारत पाक के बीच उतपन्न तनाव और अजरबैजान के द्वारा पाक का खूलेआम स्पोर्ट करना मयंक को भारत लाने में वर्क बड़ी बाधा बन चुका है. हालांकि सूत्र अभी बता रहे हैं कि मयंक को भारत लाने के लिए केंद्रीय एजेंसियां लगातार प्रयास कर रही हैं जिसका फल जल्द ही देखने को मिल भी सकता है.
खुलेगा अमन साव का राज
डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि मयंक को भारत लाने से न सिर्फ झारखंड पुलिस बल्कि राज्य के कई अन्य पुलिस को भी काफी फायदा मिलेगा. गैंगस्टर अमन साव (अब मृत) के फाइनेंशियल नेटवर्क के साथ-साथ पूरे हथियार नेटवर्क को मयंक ही संभालता था. मयंक से पूछताछ के बाद जो कार्रवाई होगी, उसमें अमन साव के हथियार और फाइनेंशियल नेटवर्क दोनों को ध्वस्त करने में सहायता मिलेगी.
झारखंड के पहला क्रिमिनल जिसका होगा प्रत्यर्पण
कुख्यात गैंगस्टर रहे अमन साव और इंटरनेशनल गैंगस्टर बन चुके लारेंस के बेहद खास मयंक सिंह उर्फ सुनील मीणा झारखंड का ऐसा पहला अपराधी होगा जिसकी गिरफ्तारी विदेश से हुई और अब उसे बाकू से प्रत्यर्पित कर भारत लाया जाएगा. राजस्थान का रहने वाला मयंक सिंह उर्फ सुनील मीणा बेहद कुख्यात अपराधी है. अत्याधुनिक हथियारों और अपनी ऐसो आराम वाली जिंदगी की तस्वीरें सोशल मीडिया में डालकर मयंक अक्सर सुर्खियों में रहता था. झारखंड पुलिस के अथक प्रयास के बाद मयंक सिंह को अजरबैजान देश की राजधानी बाकू से पिछले साल गिरफ्तार किया गया था.
रेड कॉर्नर नोटिस जारी हुआ था मयंक के खिलाफ
पिछले पांच साल तक झारखंड पुलिस को यही पता नहीं था कि मयंक सिंह कौन है. एटीएस की टीम ने अथक प्रयास के बाद यह पता लगाया कि मयंक सिंह असल में सुनील मीणा है जो राजस्थान का रहने वाला है और विदेश में रहकर झारखंड में आपराधिक गतिविधियों का संचालन कर रहा है. जिसके बाद उसके खिलाफ रेड कांर्नर नोटिस जारी किया गया और वह रेड कॉर्नर नोटिस के कारण ही अजरबैजान में पकड़ा गया.
लॉरेंस का बचपन का दोस्त है मयंक सिंह
मयंक सिंह उर्फ सुनील मीणा अपराध की दुनिया का एक जाना माना नाम है. कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस के बचपन के दोस्त मयंक सिंह का पूरा नाम सुनील सिंह मीणा है. अपराध की दुनिया में लॉरेंस और मयंक ने एक साथ कदम रखा था. अपराध के कई मामलों में मयंक जेल भी जा चुका है. लेकिन पिछले 2 साल वह मलेशिया में बैठकर लारेंस के कहने पर झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर रहे अमन साव के साथ काम कर रहा था. अमन और लॉरेंस के बीच की अहम कड़ी मयंक सिंह ही था. इंटरनेट कॉल के जरिए कारोबारी को धमकी देना मयंक सिंह का प्रमुख काम था. मयंक सिंह सोशल मीडिया पर बेहद एक्टिव था और मलेशिया में बैठकर सोशल मीडिया के जरिए अपने गैंग को लेकर खुलकर अपने विचार भी रखता था.
एक साल पूर्व ही मयंक की हुई पहचान
पिछले साल तक झारखंड पुलिस के लिए मयंक सिंह एक अबूझ पहेली बना हुआ था. एटीएस के जांच में यह बात सामने आई की इंटरनेट कॉल के जरिये झारखंड के कारोबारियों को दहशत में डालने वाला मयंक सिंह असल में सुनील कुमार मीणा है. सुनील कुमार मीणा मयंक सिंह के छद्म नाम का प्रयोग कर झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर रहे अमन साहू के लिए काम करता था. झारखंड में शायद ही कोई ऐसा कारोबारी हो जिसे मयंक के द्वारा इंटरनेट कॉल पर धमकी न दी गई हो. मयंक उर्फ सुनील मीना के खिलाफ एटीएस थाने सहित झारखंड के एक दर्जन थानों में दर्जनों मामले दर्ज है.
पहचान के बाद कार्रवाई हुई थी शुरू
मयंक सिंह उर्फ सुनील मीणा के बारे में फूल फ्रूफ जानकारी मिलने के बाद झारखंड एटीएस की एक टीम राजस्थान के अनूपगढ़ जिले के नई मंडी थाना क्षेत्र के जीडीए पुरानी मंडी घड़साना स्थित मीना के घर डुगडुगी बजा कर इस्तेहार भी चस्पा किया था. एटीएस ने नई मंडी थाना की मदद से सुनील मीना उर्फ मयंक सिंह के कई चल-अचल सम्पतियों का भी पता लगाया है. खौफ की कमाई के जरिये सुनील मीणा ने नया घर बनवाया है, साथ ही महंगी गाड़िया भी खरीदी हैं. एटीएस ने मयंक उर्फ सुनील मीना के खिलाफ राजस्थान में कुर्की जब्ती भी की है.
पासपोर्ट ब्लॉक, रेड कॉर्नर नोटिस जारी
जैसे ही मयंक की पहचान हुई फौरन उसे खिलाफ आगे की कार्रवाई झारखंड एटीएस के द्वारा शुरू कर दी गई. झारखंड एटीएस के एसपी ऋषभ झा ने पूर्व में बताया था की झारखंड पुलिस के लिखित आग्रह पर सुनील मीणा का पासपोर्ट भी रद्द कर दिया गया था. उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी कर दिया गया था.
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